दिल्ली चुनाव: ‘साफ हवा’ के लिए नागरिकों ने मांगा ठोस समाधान

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दिल्ली में खराब होती एयर क्वालिटी में सुधार के लिए हजारों नागरिक शहर के विभिन्न टाउन हॉल में एकजुट हुए और प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से स्वच्छ वायु बहाल रखने की मांग की। देश की राजधानी दिल्ली दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित शहरेां में से एक है। ‘पार्टिकुलेट मैटर’ से जुड़े वायु प्रदूषण के कारण रोजाना करीब 80 लोगों की मौतें होती हैं, जिस वजह से दिल्ली में वायु प्रदूषण एक ‘हेल्थ इमरजेंसी’ का रूप ले चुका है।

पिछले दो वर्षों में युवाओं, एक्टीविस्टों और मेडिकल प्रोफेशनल्स के अनथक प्रयासों से वायु प्रदूषण की बहस एक मौसमी मुद्दे से आगे बढ़ कर आम जनता के सबसे बड़े मुद्दे का रूप ले चुका है। पहली बार राजनीतिक पार्टियों के नेता और प्रत्याशी चुनाव के संदर्भ में वायु प्रदूषण पर बात कर रहे हैं।

‘#दिल्ली धड़कने दो’ अभियान ‘माई राइट टू ब्रीद’ के नेतृत्व में एक नागरिक आंदोलन है, जो मतदाताओं को शिक्षित और जागरूक करता है कि वे वायु प्रदूषण के समाधानों के प्रति अपने जनप्रतिनिधियों को जवाबदेह बनाएं। यह पहली बार है कि नागरिकों ने खुद को संगठित किया है और प्रमुख राजनीतिक पार्टियों से वायु प्रदूषण के विषय को गंभीरता से लेने की बात रखी है। यह अभियान दिल्ली के पंद्रह विधानसभा क्षेत्रों के टाउन हॉल्स में बैठकों से शुरू हो रहा है और आज 27 जनवरी को करवाल नगर के टाउन हॉल से यह श्रृंखला शुरू हुई है।

27 जनवरी को करवाल नगर, दिल्ली कैंटोंमेंट और आरके पुरम स्थित विभिन्न टाउन हॉल्स की बैठकों में आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी, इंडियन नेशनल कॉंग्रेस सहित प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। बैठक में मौजूद सभी राजनीतिक दलों के नेताओं और प्रतिनिधियों ने वर्तमान वायु प्रदूषण की समस्या के समाधान के लिए साथ मिल कर काम करने का वचन दिया। बैठक के बाद करीब 300 इलेक्ट्रिक रिक्शॉ और सैकड़ों नागरिकों के साथ मार्च और रैली निकाली गई।

टाउन हॉल मीटिंग के अलावा दिल्ली के नागरिक शहर में स्वच्छ हवा के मसले पर जनसमर्थन उठाने के लिए कई तरह के नागरिक केंद्रित अभियान चला रहे हैं। इस अभियान से 20 विधानसभा क्षेत्रों के करीब 2 लाख लोगों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है और राजनीतिक दलों को प्रेरित करने की योजना है कि वे अपने चुनावी घोषणापत्र के वायदों से आगे बढ़ें। दिल्ली के नागरिक पर्यावरण के मुद्दे पर राजनीतिक दलों की पूर्ण प्रतिबद्धता से कम की उम्मीद नहीं कर रहे।

करवाल नगर की टाउन हॉल मीटिंग में ‘फेडरेशन ऑफ रिक्शॉपुलर एसोसिएशन’ के महासचिव श्री विघ्नेश झा ने अपने संबोधन में कहा कि ‘‘हम रोजाना चौबीसों घंटे घातक वायु प्रदूषण के साये में रहते हैं, लेकिन पार्टियां और सरकार हमें गंभीरता से नहीं लेती। अंतिम छोर तक संपर्क बनाने के समाधान के रूप में इलेक्ट्रिक रिक्शॉ दिल्ली के सार्वजनिक परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हम सभी राजनीतिक पार्टियों से गुजारिश करते हैं कि वे वायु प्रदूषण की रोकथाम से संबंधित हमारी मांग पर अमल करें और इससे निजात पाने के लिए इलेक्ट्रिक रिक्शॉ के बड़े पैमाने पर चलन, चार्जिंग इंफ्रास्टक्चर को बढ़ाने और सार्वजनिक परिवहन को प्रोत्साहित करें। अपने संगठन की तरफ से मैं अपने सहयोगियों से विनती करता हूं कि वे उस पार्टी को वोट दें, जो शहर में वायु की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए काम करेगी।’’

दिल्ली कैंटोंमेंट स्थित संस्था ‘सहज संभव’ की डायरेक्टर श्रीमती रेखा झींगन ने कहा कि ‘‘औरतें और उनके जैसी युवा माताएं वायु प्रदूषण से कई तरह की परेशानियों का सामना करती हैं। कई अध्ययन बताते हैं कि वायु प्रदूषण के कारण सबसे ज्यादा बच्चों में दीर्घकालिक बीमारियों के बढ़ने का जोखिम रहता है और चिंताजनक बात यह है कि केवल वायु प्रदूषण से वर्ष 2018 में एक लाख बच्चे मर गए। हमारे पड़ोस में बच्चे प्रायः बीमार पड़ते हैं और स्कूल नहीं जा पाते। हमने ठान लिया है कि अब हम चुप नहीं बैठे रह सकते। मेरे जैसी युवा माताएं राजनीतिक दलों से मांग करती हैं कि वे वायु प्रदूषण को हेल्थ इमरजेंसी के रूप में लें और युवा पीढ़ी की स्वास्थ्य के लिए ठोस कदम उठाएं।’’

दिल्ली में विभिन्न नागरिक समूह वायु प्रदूषण के विषय पर राजनीतिक दलों से प्रतिबद्धता जाहिर कराने के लिए कई अभियान चला रहे हैं। ये सिटीजन ग्रुप्स शहर के 15 टाउन हॉलों जैसे करवाल नगर, दिल्ली कैंटोंमेंट, आरके पुरम, मंगोलपुरी, रिठाला, द्वारका, बदरपुर, विकासपुरी, पटपड़गंज, किरारी, लक्ष्मीनगर, नांगलोई, रोहिणी, घोंडा और कालकाजी आदि में आगामी चुनाव की तारीख से पहले बैठक कर अभियान चला रहे हैं।


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