कहते हैं कि देश में बलात्कार के ख़िलाफ़ लोगों में बहुत ग़ुस्सा है। सरकारें सख़्त हैं। अब तो न 12 साल से कम का बलात्कार होने पर फाँसी का क़ानून भी बन गया है। लेकिन ज़मीनी स्तर पर ताक़तवर के ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना और उन्हें जेल या फाँसी के तख़्ते पर पहुँचाने का ‘सिस्टम’ कहाँ है?
ऐसे किसी ‘सिस्टम’ की मौजूदगी और बच निकलने का यक़ीन न होता तो मेरठन में दो दरिंदे चार महीने तक एक ना्बालिग़ दलित लड़की का रेप न करते। यही नहीं उसके गर्भवती होने पर मामला जब खुला तो उसे पुलिस तक जाने ही नहीं दिया गया। गाँव में पंचायत बुलाई गई और बलात्कार की बोली लगी। सौदा तीन लाख रुपये में हुआ। आरोपित पक्ष ने पीड़िता के पक्ष को दो लाख रुपये तुरंत दे दिए और एक लाख रुपये एबार्शन कराने के बाद देने का वादा किया।
वह क़ानून कहाँ है जिसके दम पर कोई दलित परिवार अपनी बेटी के बलात्कारियो ंको सज़ा दिलाने के लिए बेख़ौफ़ थाने जा सकें और अदालत से इंसाफ़ पा सकें। उन्हें किसी पंचायत का डर न हो।
बहरहाल, मामला किसी तरह सामने आ गया और पुलिस को शुक्रवार को एफ़आईआर दर्ज करनी पड़ी। एफ़आईआर के मुताबिक खरखौदा थाना क्षेत्र के एक गांव की लड़की अपने परिवार के साथ रोज पड़ोस के एक गांव में मजदूरी करने जाती थी। 4 महीने पहले गांव के दो युवको ने किशोरी के साथ गैंगरेप किया और वीडियो बना लिया। इसके बाद आरोपित लड़की को ब्लैकमेल कर लगातार 4 महीने तक उसके साथ रेप करते रहे। लेकिन लड़की गर्भवती हो गई जिससे मामला सामने आ गया।
बलात्कारियों को सख़्त सज़ा और फाँसी दो का नारा लगाने वाले समाज की पंचायत बैठी और पंच परमेश्वरों ने लड़की के बलात्कार का सौदा कर दिया। लड़की दलित न होती तो भी क्या वह ऐसा कर सकते थे। घटना देश के किसी सूदूर कोने की नहीं है। राजधानी दिल्ली से सटा हुआ इलाक़ा है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र। मोदी राज और योगी राज जहाँ एक दूसरे से गले मिलते हैं, वहीं एक बलात्कार की शिकार दलित बच्ची के गैंगरेप का सौदा हुआ है। तीन लाख में।