भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) ने कहा है कि मोदी सरकार में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा शनिवार को प्रस्तुत वर्ष 2020-21 के आम बजट से आर्थिक संकट से कोई निजात नहीं मिलने जा रही, क्योंकि यह बजट सरकार की उन्हीं नीतियों का जारी रूप है, जिनके चलते देश मंदी में फंसा है।
पार्टी राज्य सचिव सुधाकर यादव ने कहा कि भीषण बेरोजगारी, मूल्यवृद्धि, कृषि संकट व लगातार गिरती मजदूरी दरों से यह बजट जरा भी राहत देने वाला नहीं है। कहा कि जीवन बीमा निगम को बेचने का फैसला करोड़ों लोगों की जीवन सुरक्षा को खतरे में डालने और जनता के पैसे को कारपोरेट की सेवा में लगाने वाला है। बैंक में जनता अपनी मेहनत की कमाई बचत व अन्य खातों में जमा करती है, लिहाजा बैंक डूबने पर जनता की जमा पाई-पाई वापस मिलने की गारंटी होनी चाहिए, लेकिन महज पांच लाख की ही गारंटी की बात कही गई है। इससे कारपोरेट द्वारा सरकारी बैंकों को दिवालिया बनाने का रास्ता खुल रहेगा।
बजट में सार्वजनिक क्षेत्र की कीमत पर कारपोरेट को फायदा पहुंचाने की नीति बदस्तूर जारी है। माले नेता ने कहा कि मनरेगा पर वास्तव में कुल आवंटन घटा दिया गया है, जबकि पहले से ही यह पता है कि न तो इसमें नया रोजगार गरीबों को मिल रहा है, न ही बकाया मजदूरी का भुगतान।
बजट में आयकर में छूट की बात की गई है पर इसे ऐक्षिक बनाया गया है जो जनकल्याण में निवेश को प्रोत्साहित करने की वर्षों पुरानी नीति से उलट है। इसका दुष्प्रभाव सार्वजनिक कल्याण में आयकर दाताओं द्वारा किये जाने वाले खर्च पर पड़ेगा। कुल मिलाकर कहा जाए तो यह बजट यथास्थिति और अर्थव्यवस्था में चौतरफा फैली निराशा को ही बनाये रखने वाला है।
विज्ञप्ति: अरुण कुमार, यूपी राज्य कार्यालय सचिव द्वारा जारी