गलवान घाटी में शहीद हुए देश के जवानों की याद में भाकपा-माले ने आज देशभर में श्रद्धांजलि दिवस का आयोजन किया. प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिए गए भ्रामक और देश के जवानों को क्षेत्रीय आधार पर विभाजित करने संबंधी बयानों की माले कार्यकर्ताओं ने श्रद्धांजलि सभा में कड़ी निंदा की और कहा कि देश को अंधकार में रखने का सरकार को कोई भी हक नहीं है.
बिहार में माले राज्य कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में मारे गए जवानों को सबसे पहले एक मिनट मौन रहकर श्रद्धांजलि दी गई. इस आयोजन में मुख्य रूप से भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल, पार्टी के वरिष्ठ नेता बृजबिहारी पांडेय, केंद्रीय कमिटी की सदस्य सरोज चैबे, सामाजिक कार्यकर्ता मीरा दत्त, प्रदीप झा, राज्य कमिटी सदस्य प्रकाश कुमार सहित कई लोग उपस्थित थे.
इस मौके पर माले नेता बृजबिहारी पांडेय ने कहा कि ऐसे गंभीर मसलों पर प्रधानमंत्री यदि देश की जनता को भ्रम में डालने वाला बयान दें, तो यह बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है. हम किसी भी प्रकार के युद्ध के पक्ष में नहीं हैं लेकिन अपने देश की संप्रुभता से समझौता भी नहीं कर सकते. केंद्र सरकार को चाहिए कि वह इस विवाद का राजनयिक हल निकाले और समस्या का समाधान करे.
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माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि 20 जवानों में 17 जवानों की मौत खाई में गिर जाने और शून्य डिग्री से भी कम तापमान में पड़े रहने के कारण हुई. यदि सरकार ने तत्काल कदम उठाए होते और हेलीकाॅप्टर भेजकर जवानों को राहत पहुंचाया होता, तो कई जवानों को बचाया जा सकता था. यह भी कहा कि शहीद जवानों को क्षेत्र के आधार पर बांटना उनका अपमान है. बिहार रेजीमेंट में देश के सभी हिस्से के जवान शामिल हैं. इससे तो यही साबित होता है कि प्रधानमंत्री और भाजपा बिहार चुनाव के मद्देनजर ‘बिहारी रेजीमेंट’ का राग अलाप रही है. हम क्षेत्रवादी नजरिए का विरोध करते हैं.
सामाजिक कार्यकर्ता मीरा दत्त ने कहा कि पिछले कई महीनों से गलवान घाटी में इंटरनेट सेवा ठप्प है. जवानों को पर्याप्त उपरकरण नहीं मुहैया कराए गए. हमने देश की संप्रुभता के साथ इस तरह खिलवाड़ करने वाला प्रधानमंत्री अब तक नहीं देखा.
राजधानी पटना में राज्य कार्यालय, कंकड़बाग, आयकर गोलबंर, जक्कनपुर, पटना सिटी, भोला पासवान शास्त्री भवन आदि इलाकों में माले कार्यकर्ताओं ने शहीद जवानों की तस्वीरों के साथ शोक व श्रद्धांजलि दिवस मनाया. पटना जिले के मसौढ़ी, दुल्हिनबाजार, पालीगंज, बिहटा, फतुहा आदि जगहों पर भी कार्यक्रम लागू हुए. भोजपुर, सिवान, गोपालगंज, अरवल, दरभंगा, जहानाबाद, पश्चिम चंपारण, मुजफ्फरपुर, गया, समस्तीपुर, औरंगबाद, नालंदा, पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर, जमुई, सहरसा, कैमूर, मधुबनीआदि जिलों में भी बड़ी संख्या में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया.
आयकर गोलबंर पर ऐक्टू के राज्य महासचिव आरएन ठाकुर, सचिव रणविजय कुमार, माले नेता जितेन्द्र कुमार, मुर्तजा अली आदि नेताओं ने श्रम कार्यालय नियोजन भवन के समक्ष निर्माण मजदूर यूनियन के साथ मिलकर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया. यहां पर नेताओं ने कहा कि देश की जनता को अंधकार में रखने का कोई भी अधिकार सरकार को नहीं है. सरकार ने हमेशा सीमा पर सैनिकों की बात करके भारत के अंदर के संघर्षों को दबाने की कोशिश की है, उसे यह बताना चाहिए कि भारतीय सैनिकों को निहत्थे लड़ाई में क्यों भेजा गया, जिसके कारण कई लोगों की जानें चली गईं.
भोला पासवान शास्त्री भवन, आशियाना में छात्रा पूजा कुमारी, रेखा कुमारी, तराना, तबस्सुम, खुश्बू समेत ऐपवा की नेताओं समीना खातून, सलीमा खातून, शमां प्रवाीण, अलीमन खातून आदि ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी.
दाउदनगर में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में पार्टी के पोलित ब्यूरो सदस्य राजाराम सिंह सहित पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेतागण जगह-जगह श्रद्धांजलि सभा में शामिल हुए.
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में भी भाकपा (माले) ने भारत-चीन सीमा पर गलवान घाटी में शहीद हुए 20 सैनिकों को सोमवार को प्रदेश भर में भावभीनी श्रद्धांजलि दी। चीन से मुकाबला करते हुए शहीद हुए अपने बहादुर जवानों की स्मृति में कार्यकर्ताओं ने मोमबत्तियां जलायीं व दो मिनट का मौन रखा। उनके शोक व सम्मान में शारीरिक दूरी का पालन करते हुए सभाएं आयोजित कीं और उनके परिवार वालों के प्रति हार्दिक संवेदनाएं व्यक्त कीं। इनमें नौजवान कार्यकर्ताओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
लखनऊ में बख्शी का तालाब (बीकेटी) व चिनहट इलाके में हरदासी खेड़ा मजदूर बस्ती में माले कार्यकर्ताओं ने श्रद्धांजलि दी। बलिया, देवरिया, गोरखपुर, महराजगंज, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, भदोही, मिर्जापुर, सोनभद्र, प्रयागराज, अयोध्या, कानपुर, जालौन, सीतापुर, मथुरा, रायबरेली, लखीमपुर खीरी सहित तमाम जिलों में शोक व श्रद्धांजलि सभा के आयोजन हुए।
इस मौके पर राज्य सचिव सुधाकर यादव ने शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए मोदी सरकार पर सवाल उठाए। कहा कि सरकार एलएसी के हालात पर देश को गुमराह कर रही है और सही जानकारियों को जनता से छुपा रही है। सवाल उठता है कि प्रधानमंत्री के अनुसार जब भारतीय सीमा में घुसपैठ हुई ही नहीं, तब हमारे सैनिकों की शहादतें कैसे और कहां हुईं। उन्होंने कहा कि 19 जून की सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री का वक्तव्य भ्रामक और गुमराह करने वाला था।
उन्होंने आगे कहा कि सीमा पर तेलंगाना समेत देश के विभिन्न राज्यों के जवान शहीद हुए हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी इस मामले में केवल बिहार का गुड़गान कर रहे हैं, क्योंकि बिहार में विधानसभा का चुनाव होने वाला है। इसी तरह संघ-भाजपा के लोग तथ्यों को छिपाने के क्रम में विपक्षी दलों पर आरोप लगाने के अलावा चीनी सामानों की खरीद-फरोख्त के लिए जनता को ही दोषी ठहराने की कवायद कर रहे हैं। जबकि तथ्य यह है कि मोदी के शासन में ही चीन हमारा सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी बना।
विज्ञप्ति पर आधारित