COVID-19 संक्रमण की जांच के लिए 130 करोड़ की आबादी पर सिर्फ़ 104 सरकारी लैब हैं

सुशील मानव सुशील मानव
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कोरोना महामारी का प्रसार दिन-ब-दिन गुणात्मक रूप से बढ़ता ही जा रहा है। अब तक दुनिया भर में करीब 60 लाख COVID-19 संक्रमित मरीजों की संख्या हो चुकी है जबकि 27 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।   

Worldometer के मुताबिक भारत में आज की तारीख में COVID-19 संक्रमित मरीजो की संख्या 900 को पार कर चुकी है जबकि 20 मरीजों की मौत हो चुकी है। पिछले 24 घंटे में भारत में कोविड-19 के 94 नए केस सामने आए हैं।

भारतीय चिकित्सा और अनुसंधान परिषद (ICMR) की 27 मार्च 2020 की सुबह 9 बजे जारी की गयी रिपोर्ट के मुताबिक अब तक भारत में सिर्फ़ 26,798 सैंपल को SARC–CoV2 टेस्ट के लिए भेजा गया जिसमें से 691 के कोविड-19 संक्रमित होने की पुष्टि जांच में हुई। यदि प्रतिशत निकालें तो अब तक हुए टोटल सैंपल टेस्ट का 2.31 प्रतिशत COVID-19 संक्रमित मरीज निकले हैं। यानि जितना ज़्यादा टेस्ट होगा उतना ज़्यादा कोविड-19 संक्रमित मरीजों की संख्या निकलेगी और ये संख्या लाखों में होगी।

भारत की 130 करोड़ आबादी के लिए फिलहाल 104 सरकारी लैब काम कर रहे हैं जोकि COVID-19 संक्रमित सैंपल का टेस्ट कर रहे हैं। चार दिन पहले तक ये संख्या सिर्फ़ 89 थी।

उत्तर प्रदेश राज्य की कुल आबादी 23 करोड़ 20 लाख है जबकि दो दिन पहले तक उत्तर प्रदेश में सिर्फ 4 लैब कार्यरत थे। 25 मार्च को यूपी में लैब की संख्या बढ़ाकर 8 कर दी गई जिसमें से तीन तो लखनऊ में ही कार्यरत हैं। इसमें किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ, संजय गाँधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट लखनऊ, कमांड हास्पिटल लखनऊ, इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज बीएचयू वाराणसी, जेएनयू मेडिकल कॉलेज अलीगढ़, उत्तर प्रदेश यूनिवर्सिटी ऑफ लखनऊ साइंसेज सैफई, रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर गोरखपुर, लाला लाजपत राय मेमोरियल मेडिकल कॉलेज मेरठ, की लैब में COVID-19 संक्रमण की जांच की सुविधा है। उत्तर प्रदेश के किसी भी निजी लैब को जांच के लिए अधिकृत नहीं किया गया है जबकि देश भर में 26 निजी लैब को COVID-19 संक्रमण जांच की अनुमति दी गयी है।

उत्तर प्रदेश में अभी तक 43 COVID-19 संक्रमित मरीज पाये गये हैं। हमने प्रयागराज (इलाहाबाद) के सीएमओ डॉ जीएस वाजपेयी से बात की। उन्होंने फोन पर बताया कि इलाहाबाद में फिलहाल COVID-19 संक्रमण की जांच करने के लिए कोई लैब नहीं है और हम इलाहाबाद के मरीजों के सैंपल को किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ भेजते हैं। मेडिकल कॉलेज में जल्द ही COVID-19 संक्रमण की जांच के लिए लैब खोला जाएगा। आइसोलेशन सेंटर की संख्या जैसे सवाल पर आगे बात करने या कोई जानकारी देने से मना करते हुए उन्होंने कहा कि फोन पर मैं सब कुछ नहीं बता सकता।

एक लैब की क्षमता प्रतिदिन 90 सैंपल की है।

भारतीय चिकित्सा और अनुसंधान परिषद (ICMR) के मुताबिक कोविड-19 संक्रमण की जांच के लिए कार्यरत तमाम सरकारी लैब में ले अधिकांश लैब की क्षमता प्रतिदिन 90 सैंपल टेस्ट करने की है। कुछ (10 प्रतिशत) की क्षमता प्रतिदिन 50-60 सैंपल टेस्ट करने की है जबकि दो लैब (एक एनसीआर और दूसरा भुवनेश्वर स्थित है) की क्षमता 1400 सैंपल प्रतिदिन टेस्ट करने की है। ICMR के मुताबिक कोविड-19 का पहला टेस्ट करने में 1500 का खर्चा आता है जबकि दूसरा यानि कन्फर्मेशन टेस्ट करने में कुल मिलाकतर 3000 का खर्चा आता है। इस तरह सरकार लगभग 6000-6500 से रुपए का खर्च वहन करती है जबकि प्राइवेट लैब में टेस्ट कराने का खर्चा 10 हजार के करीब है।

निजी लैब में टेस्ट का खर्च 4500 रुपए

ICMR ने निजी टेस्टिंग लैब को दिशानिर्देश जारी करते हुए निजी लैब में सैंपल टेस्ट का खर्च 4500 रुपए निर्धारित किया है। संदिग्ध मरीजों की स्क्रीनिंग के लिए 1500 और कन्फर्मेशन टेस्ट के लिए 3000 रुपए निर्धारित किया गया है। इसके निजी लैबों से मुफ्त या अनुदान पर टेस्ट करने के लिए भी आग्रह किया है। बता दें कि COVID-19 परीक्षण के लिए अनुमोदित 100 से अधिक सरकारी प्रयोगशालाओं के अलावा, स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में देश भर में 17,000 से अधिक कलेक्शन सेंटर के साथ 30 से अधिक निजी प्रयोगशालाओं को मान्यता दी है। साथ ही ICMR ने तय राशि 4500 से ज्यादा लेने वाले लैब मालिकों के खिलाफ़ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

कोविड-19 टेस्टिंग किट खरीदने के लिए किट निर्माताओं से माँग गया प्राइस कोट

भारतीय मेडिकल काउंसिल (ICMR) के मुताबिक जब प्यास लगेगी तो कुँआ खोद लेंगे वाली कहावत को चरित्रार्थ करते हुए ICMR ने बुधवार 25 मार्च को 7 लाख RNA इक्सट्रैक्शन किट खरीदने के लिए बोलियां आमंत्रित किया।

भारतीय चिकित्सा और अनुसंधान परिषद (ICMR) ने किट निर्माताओं को अपनी कीमतें उद्धृत करने के लिए आमंत्रित किया है। साथ ही उन्हें COVID-19 परीक्षण किटों के लिए उपलब्ध आपूर्ति समयसीमा और क्षमता के बारे में भी पूछा है जो ICMR या USFDA और EUA जैसे अंतर्राष्ट्रीय अधिकारियों द्वारा अनुमोदित हैं। साथ ही इस बात को जोड़ा गया है कि सैंपल 26 मार्च को आईसीएमआर तक पहुंचने चाहिए। परीक्षण किटों के लिए आपूर्ति स्थान डिब्रूगढ़, मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद, भोपाल और दिल्ली हैं। आईसीएमआर का जोर है कि आपूर्ति जल्द से जल्द सुनिश्चित की जाए।
आईसीएमआर ने यह भी संकेत दिया है कि यह समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए एक से अधिक विक्रेताओं के समानांतर अनुबंधों के लिए जा सकता है।

कोरोनावायरस पर प्रेस ब्रीफिंग में ICMR के एपीडिमियओलॉजी और कम्युनिकेबल डिसीज के हेड रमन आर गंगाखेडकर ने कहा है कि नेशनल ‘इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे’ इंडीजिनस डायग्नोस्टिक्स पर काम कर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि भारत डेंगू, चिकेनगुनिया और मलेरिया के लिए डायग्नोस्टिक किट की विश्व भर में सप्लाई करने वाला अग्रणी देश रहा है। हमारा पूरा प्रयास नोवल कोरोनावायरस के लिए बिल्कुल वैसा ही किट जल्द से जल्द तैयार करके देने पर है।

ICMR ने के डीजी बलराम भार्गव ने बताया कि देश में कई लैब हैं जिन्होंने अपना काम शुरु कर दिया है। कोविड-19 टेस्टिंग किट बनाने की गति तेज करने का दावा किया है। उन्होंने कहा कि हमारा सारा फोकस कोविड-19 -फास्ट टेस्टिंग किट बनाने पर है ताकि संदेहास्पद केसों को तेजी से ट्रैक किया जा सके।

कोविड-19 पता करने के लिए एंटीबॉडी टेस्ट शुरू करेगा भारत

ज़रूरत से बेहद कम क्षमता के चलते भारत अब दूसरे टेस्टिंग विकल्पों को आजमाने जा रहा है।  परीक्षण रणनीति पर उच्च-स्तरीय समिति अब इस बात पर विचार कर रही है कि क्या कोविद -19 के लिए सकारात्मक परीक्षण करने वाले लोगों के संपर्क में आने वाले लोगों पर सेरोलॉजी परीक्षण किया जाना चाहिए।

इसी कड़ी में आईसीएमआर ने 10 लाख एंटीबॉडी किट के लिए बुधवार 25 मांच को बोलियां आमंत्रित कीं। कोविड-19 के व्यापक पैमाने पर टेस्टिंग के लिए  ICMR ने 10 लाख एंटीबॉडी किट्स (सेरोलॉजिकल टेस्ट) की आपूर्ति के लिए प्राइस कोट माँगा है। इसके अलावा 7 लाख RNA इक्सट्रैक्शन किट खरीदने के बारे में सोच रहा जोकि फिलहाल देश में कोविड-19 की टेस्टिंग के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। कोरिया से कुछ किट पहले से ही नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी-पुणे के मूल्यांकन और सत्यापन के लिए भेजे गए हैं।

क्या है सीरोलॉजिकल (एंटीबॉडी) टेस्ट

सीरोलॉजिकल टेस्ट के नाम से जाने जाने वाले एंटीबॉडी टेस्ट वर्तमान समय में हो रही कोविंड-19 डायग्नोस्टिक टेस्ट से बिल्कुल अलग है। बता दें कि अभी कोविड-19 टेस्ट में नेजल एस्पिरेट, ट्रेशल एस्पिरेट और स्वाब टेस्ट के जरिए एक्टिव संक्रमण के बारे में पता लगाया जाता है। जबकि सीरोलॉजिकल (एंटीबॉडी) टेस्ट में ये पीड़ित व्यक्ति के खून में मौजूद एंटीबॉडी के जरिए ये पता लगाया जाएगा कि उस व्यक्ति पहले को पहले वायरल संक्रमण था या नहीं। यह कोविड-19 को कन्फर्म करने वाला टेस्ट नहीं है।

ICMR द्वारा कोविद -19 के लिए परीक्षण रणनीति की समीक्षा के लिए गठित उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति के अध्यक्ष रणदीप गुलेरिया ने कहा- “इस बात की पुष्टि करने के लिए कोरोनोवायरस के लिए एंटीबॉडी परीक्षण शुरू करने के लिए तैयार हैं कि क्या कोई व्यक्ति पहले वायरस से संक्रमित हो गया था, यह एक ऐसा कदम जो देश में कोविद -19 की महामारी विज्ञान को समझने में मदद करेगा। सीरोलॉजिकल परीक्षण डॉक्टरों को यह निर्धारित करने की अनुमति देगा कि क्या किसी व्यक्ति को पहले वायरल संक्रमण हुआ है। यह कोविड -19 के कन्फर्मेंशन का टेस्ट नहीं है। सीरोलॉजिकल टेस्ट दरअसल डेटा तैयार करने और यह समझने के लिए है कि कम्युनिटी के लोग वायरस के संपर्क में आए हैं या नहीं।”

हालांकि ICMR द्वारा रैंडम सैंपल पर किए गए परीक्षण यही कहते हैं हैं कि भारत में अभी तक कोविड-19 बीमारी का सामुदायिक प्रसरण (कम्युनिटी ट्रांसमिशन) नहीं है, विशेषज्ञों के कहना है कि सीरोलॉजिकल परीक्षण आगे शोधकर्ताओं को संक्रमित लोगों का पता लगाने और पहचानने तथा बेहतर तरीके से समझने की अनुमति देगा कि वायरस कैसा व्यवहार करता है।

एंटीबॉडी टेस्ट शुरुआती वायरल संक्रमणों को नहीं बता सकता है, लेकिन वे बता सकते हैं कि क्या किसी को कभी कोई विशेष वायरस था – शायद तब भी जब वे लक्षण दिखाई न दिए थे।
एक विषेषज्ञ का कहना है कि- “यह हमें एक अधिक जनसंख्या में संक्रमित को ट्रेस करने में मदद करेगा, साथ ही हल्के संक्रमण के शिकार हुए और रिकवर हुए जनसंख्या का पता लगाने, तथा संक्रमण के पैटर्न को समझने में मदद करेगी।” कम्युनिटी में कोविद -19  के विशिष्ट जांच के लिए इसका इस्तेमाल मास स्केल पर और बहुत ही रियायती दाम पर किया जा सकता है।

ICMR ने जारी किया टेस्टिंग किट गाइडलाइन्स

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने शुक्रवार 27 मार्च को रैपिड टेस्टिंग किट के लिए एक गाईडलाइन्स जारी किया, जो खून, सीरम या प्लाज्मा पर आधारित हैं और 30 मिनट में नोवल कोरोनवायरस, या SARS-CoV2 के संपर्क में आने का परिणाम बता सकता है।

गाइडलाइन्स डॉक्युमेंट के अनुसार, जबकि किट वायरस के संपर्क में आने का संकेत दे सकती है जो संक्रमण के लिए परीक्षण नहीं कर सकता है।

सरकार की नोडल जैव-अनुसंधान एजेंसी ने कहा -“पोजीटेव टेस्ट SARS-CoV-2 के संपर्क का संकेत देता है। जबकि नेगेटिव टेस्ट COVID -19 संक्रमण से पूरी तरह खारिज नहीं करता है।”

ICMR का कहना है कि COVID-19 संक्रमण के निदान के लिए इस टेस्ट की सिफारिश नहीं की गई है, बल्कि केवल यह पता लगाने के लिए है कि रोगी वायरस के संपर्क में आया है या नहीं।

जैव-अनुसंधान निकाय ने जो 12 अनुमोदित रैपिड टेस्ट किट सूचीबद्ध किए हैं, उनमें 11 यूरोपीय नियामक से अप्रूव्ड हैं।

आम तौर पर रियल-टाइम पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन की तुलना में रैपिड टेस्टिंग किट को कम विश्वसनीय माना जाता है, सकारात्मक मामलों के लिए त्वरित परिणाम देने में मदद करता है। दोनों ही टेस्ट आमतौर पर संक्रमण के 7-10 दिनों के बाद पोजीटिव रिजल्ट देते हैं।


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