अमेरिका के प्रमुख अख़बार वाशिंगटन पोस्ट में छपी एक रिपोर्ट ने अमेरिकी में बसे उन भारतीयों की चिंता बढ़ा दी है जो मोदी राज में अल्पसंख्यकों, वंचितों और आदिवासियों पर होने वाले ज़ुल्म को मुद्दा बनाते हैं। वाशिंगटन पोस्ट ने भारत स्थित एक प्रचार समूह ‘द डिसइन्फो लैब’ को लेकर छापी गयी एक रिपोर्ट में कहा है कि इसके ज़रिये मोदी सरकार के आलोचकों को चुप कराने और बदनाम करने के उद्देश्य से व्यापक दुष्प्रचार अभियान चलाया जाता है। फैक्ट चेक के नाम पर बनायी जा रही इसकी रिपोर्ट के निशाने पर ख़ासतौर पर अमेरिकी प्रशासन से जुड़े लोग, शोधकर्ता, हिंदू फॉर ह्यूमन राइट्स (HFHR), इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (IAMC), कांग्रेसवुमन प्रमिया जयपाल, युनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (USCIRF), और इक्वेलिटी लैब्स आदि हैं।
वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में उद्धृत पूर्व कर्मचारियों के अनुसार, डिसइन्फो लैब का नेतृत्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल से जुड़े खुफिया अधिकारी करते हैं। डिसइन्फो लैब ने अमेरिका स्थित हिंदू राष्ट्रवादी संगठनों की सहायता से मानवाधिकार समूहों को बदनाम करने लिए व्यापक अभियान चलाये हैं। इसकी मनगढंत रिपोर्ट को आधार बनाकर बड़े पैमाने पर प्रचार किया जाता है।
इसी के तहत डिसइन्फो लैब की रिपोर्टों ने IAMC को पाकिस्तान की इंटर-सर्विस इंटेलिजेंस एजेंसी के प्रमुख संगठन के रूप में गलत तरीके से प्रस्तुत किया और अमेरिकी प्रतिनिधि प्राइमिया जयपाल पर भी इसी तरह के अपमानजनक आरोप लगाये और झूठा दावा किया कि वे “इस्लामिक फंडिंग” के प्रभाव में हैं। हिंदू राष्ट्रवादी संगठनों द्वारा अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों को वितरित की गई डिसइन्फो लैब रिपोर्ट अमेरिकी मुस्लिम मानवतावादी संगठनों और आतंकवादी समूहों के बीच मनगढ़ंत संबंध दिखाती है। यही नहीं, कैलिफ़ोर्निया में, हिंदुत्व से जुड़े संगठनों ने डिसइन्फो लैब रिपोर्ट का उपयोग यह सुझाव देने के लिए किया कि अमेरिका स्थित दलित (भारत में सबसे निचली जाति) अधिकार संगठन ‘इक्वेलिटी लैब्स’ पाकिस्तानी खुफिया से जुड़ा था।
आईएएमसी के कार्यकारी निदेशक रशीद अहमद ने वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट को लेकर चिंता जताते हुए कहा, “वाशिंगटन पोस्ट के निष्कर्ष उन अमेरिकियों के लिए एक चेतावनी होनी चाहिए जो अभी भी संदेह में हैं: भारत सरकार यहां, भारत में और कहीं भी आलोचनात्मक आवाजों को चुप कराना चाहती है, जहां लोकतांत्रिक स्वतंत्रता उनकी दबंग आकांक्षाओं के साथ टकराव में आती है।”
आईएएमसी के अध्यक्ष मोहम्मद जवाद ने कहा है कि आईएएमसी और एचएफएचआर के सोशल मीडिया खातों की सेंसरशिप से लेकर इन खुलासों तक यही साबित होता है कि भारत सरकार का मक़सद विदेशी धरती से भी जतायी जा रही असहमति को चुप कराना है। उन्होंने इस सारे प्रकरण की जाँच की माँग करते हुए कहा, ‘अमेरिकी अधिकारियों को अमेरिकी राजनीतिक क्षेत्र में ऐसी घुसपैठ रोकने के लिए निर्णायक रूप से कार्रवाई करनी चाहिए।”
वाशिंगटन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ अमेरिका स्थित हिंदू राष्ट्रवादी संगठनों, जिनमें अमेरिका के विश्व हिंदू परिषद की दोनों शाखाएं हिंदूपैक्ट और हिंदू एक्शन शामिल हैं, द्वारा सोशल मीडिया पर डिसइंफो लैब के प्रचार को बड़े पैमाने पर बढ़ाया गया है। इन दोनों समूहों के लॉबिस्टों ने वाशिंगटन डी.सी. में 2022 अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता शिखर सम्मेलन सहित विभिन्न अमेरिकी राजनीतिक स्थानों पर डिसइन्फो लैब रिपोर्ट वितरित की थी।