असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एनआरसी की अंतिम सूची से 19,06,657 लोगों को निकाल दिया गया है. बाहर हुए इन लोगों के लिए ‘हिरासत केंद्र’ (डिटेंशन सेंटर) निर्माण का काम जोरों पर हैं. असम के गोपालपाड़ा में 7 फुटबॉल मैदान जितना बड़ा डिटेंशन सेंटर यानी यातना गृह का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. राज्य में ऐसे और भी हिरासत गृहों का निर्माण किया जायेगा.
Construction work in full swing at India's first detention centre in Assam's Goalpara
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— ANI Digital (@ani_digital) September 14, 2019
जारी की गई तस्वीर में ये डिटेंशन सेंटर काफी बड़ा लग रहा है. गेरुए रंग से पुताई किए हुए इस डिटेंशन सेंटर की दीवारें लगभग 20 फीट ऊंची लग रही है. यहां पर अभी कमरों को बनाये जाने का काम जारी ही है. तस्वीरों में बड़े-बड़े कमरों में काम करते मजदूर दिखाई दे रहे हैं.
Assam: India's first detention centre is being built in Goalpara district's Matia. Junior Engineer (JE) Rabin Das says "The work on this project started in December 2018, our target is to complete it by December 2019. It's being done at an expense of around Rs 46 Crore." (13.09) pic.twitter.com/3JQeXA5XYD
— ANI (@ANI) September 14, 2019
गौरतलब है कि, सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल सितम्बर में विदेशी नागरिकों को गिरफ्तार करके असम में उनके परिजनों से अलग रखे जाने पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि राज्य सरकार को इस पर तत्काल गंभीरता दिखानी चाहिए ताकि परिवार न टूटें. न्यायाधीश मदन बी लोकूर और दीपक गुप्ता की पीठ ने असम की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलिसीटर जनरल (एएसजी) तुषार मेहता से कहा था , ‘आप उन्हें उनके परिजनों से ऐसे अलग नहीं कर सकते.’
Why foreigners kept in detention centre separated from their families: SC asks Assam govt https://t.co/RUUwNuiHYL pic.twitter.com/yQ64PW3pHz
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पीठ ने अधिवक्ता गौरव अग्रवाल द्वारा पेश किए गए तथ्यों पर गौर करते हुए कहा था कि नजरबंद किए गए इन लोगों को परिवारों से अलग नहीं किया जा सकता है. एएसजी ने अदालत से कहा कि नजरबंद लोगों के साथ परिजनों को नहीं रखा जा सकता था. हिरासत केंद्र में परिजनों के लिए आवश्यक इंतजाम किए जा सकते हैं, लेकिन वे वहां स्थान की उपलब्धता के अधीन होंगे.
केंद्र की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलिसीटर जनरल एएनएस नादकर्णी ने अदालत को बताया कि पूरे देश में विदेशियों को हिरासत केंद्र में रखने को लेकर वे एक नियमावली को अंतिम रूप देने पर काम कर रहे हैं.
इसपर पीठ ने सरकार से कहा कि वह नियमावली को अतिशीघ्र तैयार करें. एएसजी तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि असम के गोलापाड़ा जिले में हिरासत केंद्र के निर्माण के लिए जमीन आवंटित की गई है. साल भर में काम पूरा होने की उम्मीद है. मामले पर केंद्र ने सरकार को बताया कि असम में हिरासत केंद्र के निर्माण के लिए 46.51 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है.
हालांकि,असम की राज्य सरकार ने सीधे तौर पर कहा है कि जब तक NRC की लिस्ट से बाहर किए गए लोगों को विदेशी ट्रिब्यूनल अवैध आप्रवासी नहीं घोषित कर देता तब तक उन्हें देश से बाहर नहीं किया जा सकता है.किन्तु आज़ादी और नागरिकता के बिना मनुष्य अपनी पहचान खो देता है. इस सच्चाई को कैसे भूल जायेंगे कैद में लोग ?
रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार ने 2014 में ही सभी राज्यों से कह दिया था कि कम से कम एक हिरासत केंद्र का निर्माण कर लें. महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार इस दिशा में काम में लग गई है.
Navi Mumbai to have Maharashtra’s first detention centre for illegal immigrants: Report https://t.co/fUDqHYeR8k
— Scroll.in (@scroll_in) September 7, 2019
महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में पहला डिटेंशन सेंटर बनाने के लिए सीआइडीसीओ (CIDCO) को जमीन के लिए पत्र लिखा है.अवैध घुसपैठियों के लिए नवी मुंबई के नेरुल में पहले डिटेंशन सेंटर का निर्माण किया जायेगा.
असम: पीपुल्स ट्रिब्यूनल ने कहा-NRC ने पैदा किये मानवीय संकट, जूरी ने की SC की आलोचना
बता दें कि, हाल ही में पीपुल्स ट्रिब्यूनल की जूरी ने कहा था कि एनआरसी ने असम में नागरिक संकट खड़ा किया है.
Assam NRC: Deprivation of citizenship should be through rigorous procedure, says People's Tribunal #NRC #AssamNRC https://t.co/78ra3mTsCg
— Bar and Bench (@barandbench) September 9, 2019