महिला दिवस पर मार्च: प्रियंका के ‘लड़की हूँ लड़ सकती हूँ’ नारे में सत्तावनी क्रांति की छटा!

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8  मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर कांग्रेस पार्टी द्वारा लखनऊ में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के नेतृत्व में विशाल महिला मार्च का आयोजन किया जाएगा। यह मार्च बेग़म हज़रत महल पार्क से शुरू होकर सिकंदर बाग़ चौराहे स्थित ऊदा देवी की प्रतिमा की परिक्रमा करते हुए होते हुए जीपीओ स्थित गांधी प्रतिमा पर ख़त्म होगा। बेग़म हज़रत महल और ऊदादेवी दोनो्ं 1857 की क्रांति की महान योद्धा रही हैं।

ख़ास बात ये है कि उत्तर प्रदेश में 7 मार्च को मतदान का आखिरी चरण संपन्न हो जाएगा। आम तौर पर इसके बाद राजनीतिक दल किसी बड़े आयोजन से बचते हैं और सरकार बनाने-बिगाड़ने के गुणा-भाग में व्यस्त हो जाते हैं, लेकिन प्रियंका गांधी ने जैसे ‘लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ’ के अपने नारे को नई ऊंचाई देने का मन बना लिया है। 8 मार्च यानी महिला दिवस पर होने वाला मार्च इसी की कड़ी है। इस संबंध में जानकारी देने के लिए लखनऊ स्थिति प्रदेश मुख्यालय पर बुलाई गयी प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि ‘ लड़की हूं लड़ सकती हूं’ कांग्रेस के लिए सिर्फ चुनावी नारा नहीं बल्कि देश में नारी को सशक्त और सक्षम बनाने के लिए शुरू किया गया आंदोलन है।

उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य भारतीय राजनीति में महिलाओं और उनकी आकांक्षाओं को मुख्यधारा में लाना है। यह उत्तर प्रदेश में शुरू हुआ, जिसमें कांग्रेस ने वादा किया और फिर महिला उम्मीदवारों को 40 प्रतिशत टिकट देने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा किया। उन्होंने कहा कि इस अभियान में पूरे देश से कांग्रेस पार्टी की निर्वाचित महिला जनप्रतिनिधि शामिल होंगी। दिन में 12 बजे से शुरू होने वाला यह मार्च बेगम हजरत महल चौराहे से ऊदा देवी चौराहे तक वहां से होते हुए जीपीओ स्थित गांधी प्रतिमा के पास ख़त्म होगा।

उन्होंने कहा कि बेग़म हज़रत महल पार्क से यह मार्च शुरू होगा। बेग़म हज़रत महल महिला सशक्तीकरण की प्रतीक हैं। नवाब वाजिद अली शाह को जब अंग्रेज़ कैद करके कलकत्ता ले गये तो उन्होंने 1857 की क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में अवध के तमाम रियासतों ने अंग्रेज़ों के खिलाफ अंतिम दम तक संघर्ष किया। अंग्रेज़ उन्हें अंत तक पकड़ नहीं सके। वहीं, पासी समाज में जन्मीं ऊदा देवी के पति लखनऊ के छठे नवाब वाजिद अली शाह अपनी सेना में सैनिकों को बढ़ाना चाहते थे, जिसमें एक सैनिक ऊदा देवी के पति भी थे। अपने पति को आज़ादी की लड़ाई के लिए सेना के दस्ते में शामिल होता देख निडर ऊदा देवी भी वाजिद अली शाह के महिला दस्ते में शामिल हो गईं। उन्होंने महिला दस्ते में रहकर और कई दलित महिलाओं को एक अलग बटालियन तैयार की, जिसे ‘दलित वीरांगनाओं’ के रूप में जाना जाता है। सिकंदर बाग के युद्ध में उन्होंने जैसी बहादुरी दिखाई उसे देखकर अंग्रेज़ों ने अपने दांतों तले उंगलियां दबा ली थीं। एक पेड़ पर छिपकर उन्होंने तमाम अंग्रेज़ सिपाहियों को मार गिराया था और अंत में शहीद हो गयीं। ये दोनों नाम भारतीय महिलाओं के साहस और संघर्ष की मिसाल हैं।

उन्होंने कहा कि यह महिला मार्च एकजुटता का संदेश देने और राजनीति को अधिक समावेशी बनाने के साथ-साथ राजनीति में महिलाओं की भागीदारी का भी प्रतीक है। नारी शक्ति के राजनीतिक पुनरोत्थान को अब कोई ताकत नहीं रोक सकती है और उत्तर प्रदेश से इसकी शुरुआत हो चुकी है। उन्होंने कहा कि लखनऊ में आयोजित इस मार्च में डॉक्टर्स,  समाज सेविकाओं, शिक्षिकाओं के साथ खेल और सिने जगत से जुड़ी महिलाओं के अलावा कांग्रेस पार्टी की महिला पदाधिकारी व कार्यकर्ता शामिल होंगी।


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