तीसरे चरण के प्रचार में कांग्रेस की पहल, पूर्णिया में किसानों के मुद्दों पर सुरजेवाला की प्रेस कांफ्रेंस

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बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के पूर्व कांग्रेस ने पूर्णिया में एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की – जिसमें भाजपा-जदयू गठबंधन की सरकार पर किसानों की समस्याओं को लेकर जोरदार हमला बोला. प्रेस को संबोधित करते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने नीतीश कुमार की सरकार को कपटी तथा बिहार के इतिहास का सबसे काला अध्याय तक कह डाला. प्रधानमन्त्री पर निशाना साधते हुए सुरजेवाला ने कहा कि प्रधानमन्त्री देश के कुछ पूंजीपतियों को लाभ पहुचाने के लिए किसान विरोधी तीन काले क़ानून लेकर आये हैं.

कृषि के दृष्टि से सीमांचल एक समृद्ध क्षेत्र है. जिस कारण कांग्रेस का आज की प्रेस कांफ्रेंस कृषि केन्द्रित थी. सुरजेवाला ने नीतीश-मोदी सरकार पर हमला करते हुए अपनी बात 8 मुख्य बिन्दुओं में रखा.

  1. कपटी नीतीश सरकार ने किसानों से छल किया. हाल ही में बीते सीज़न में बिहार को तीन हज़ार करोड़ का चूना लगा है. बिहार मक्का उत्पादन में देश के तीन बड़े राज्यों में से है. यहाँ प्रति वर्ष 31 लाख टन मक्का उत्पादन होता है. जिसमें सीमांचल ख़ासकर पूर्णिया मक्का उत्पादन में सबसे आगे है. यहाँ के 11 जिले मक्का कॉरिडोर के रूप में जाने-जाते हैं. बिहार में मक्का उत्पादन का औसत 5 क्विंंटल प्रति हेक्टेयर है. लेकिन पूर्णिया एकमात्र ऐसा जिला है, जहाँ मक्का उत्पादन का औसत 9,188 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है. नीतीश सरकार ने मक्का उत्पादन करने वाले किसानों की पीठ में विश्वासघात का एक खंज़र भोंक दिया है क्योंकि अप्रैल माह से ही बिहार के किसान नीतीश सरकार से 1850 रूपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य पर मक्का खरीद की गुहार लगते रहे, परन्तु भाजपा-जदयू सरकार किसान का मक्का आठ-नौ सौ रूपये क्विंटल पर बिचौलियों को बिकवाते रहे. 15 सितम्बर 2020 को मोदी सरकार ने संसद में यह बाताया कि बिहार सरकार ने मक्का की खरीद का कोई प्रस्ताव ही नही भेजा. इसप्रकार से नीतीश कुमार और नरेन्द्र मोदी एक-दूसरे पर इल्ज़ाम लगाते रहे और बिचौलियों को मक्का बिकवाते रहे.
  2. दगाबाज़ मोदी सरकर ने भी किसान से धोखा किया. मोदी सरकार ने चंद पूंजीपतियों को लाभ पहुँचाने के लिए के एक बड़ा फैसला लिया. 23 जून 2020 को देश में मक्का के आयात पर इम्पोर्ट ड्यूटी को 50 प्रतिशत से कम कर 15 प्रतिशत कर दिया. और पांच लाख टन मक्का सस्ते दर पर विदेशों से मंगवाने की छूट दे दी. नतीज़ा यह हुआ कि बिहार सहित पूरे देश में मक्का उत्पादन करने वाले किसानों के दाम गिर गये.
  3. 15 साल से नीतीश सरकार सिमांचल के मक्का किसान को मक्का प्रोसेसिंग प्लांट लगाने का झूठा वादा कर रहे हैं. प्रदेश का 80 प्रतिशत मक्का दूसरे प्रदेशों में जाता है. वहाँ से मुर्गे का दाना आदि बनकर महंगे दामों पर यहाँ आता है.
  4. बिहार में फ़सल की कीमत नहीं मिलती क्योंकि भाजपा-जदयू सरकार ने फ़सल ख़रीदी केंद्र ही बंद कर दी. 2015-16 में बिहार में फ़सल ख़रीद केंद्र की संख्या नौ हज़ार थी. लेकिन 2020-21 में यह संख्या महज़ 1619 रह गई.
  5. बिहार में धान का किसान बर्बादी के कगार पर- 1850-1888 रूपये क्विंटल धान की कीमत होनी चाहिए. लेकिन बिहार में धान 11-12 रूपये क्विंटल बिकता है. सबसे बड़ी बात कि नीतीश की सरकार धान की ख़रीद ही नहीं करती है. बिहार में 70-80 लाख मीट्रिक टन धान का उत्पादन होता है लेकिन बिहार सरकार ने 2019-20 में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर महज़ 13.41 लाख टन ही ख़रीदा. जबकि 18-19 में 9.49 लाख टन ही ख़रीदा था.
  6. नीतीश सरकार ने बिहार के गेहूं किसानों की मेहनत को भी बिचौलियों के हाथों बेच दिया- 2020-21 में गेंहू का उत्पादन 61 लाख मैट्रिक टन हुआ. 1925 रूपये मूल्य है, जबकि कोई भी किसान इसे 1 हज़ार रूपये से ज्यादा कीमत में नहीं बेच पाया.
  7. किसान सम्मान बनाम किसान लूट योजना- खेती जनगणना के अनुसार, बिहार में 2015-16 में 1 करोड़ 60 लाख 20 हज़ार किसान है. जिसमें महज़ 56 लाख 95 हज़ार 392 लोगों को इस योजना के तहत शामिल किया गया है.
  8. बाढ़ का मुआवज़ा न देकर किसान को दर्द पहुंचा रही है जदयू-भाजपा सरकार- बिहार के 16 जिले में 83 लाख 62 हज़ार लोग बाढ़ से प्रभावित हुए. 7 लाख 54 हज़ार हेक्टेयर में खड़ी फ़सल बर्बाद हो गई. आज तक न मोदी और न ही नीतीश सरकार ने इसका मुआवज़ा दिया.

महागठबंधन में दूसरी बड़ी पार्टी कांग्रेस, बेरोजगारी, पलायन के साथ-साथ कृषि को मुद्दा बनाकर, इस इलाके में होने वाले तीसरे चरण के चुनाव में उतर गई ह। विपक्ष जिस तरह से इस पूरे चुनाव में जनसरोकार के मुद्दों को मजबूती से उठाती रही है उसी का परिणाम है की बिहार चुनाव का पूरा विमर्श जनसरोकारों से जुड़ा नजर आ रहा है.


 


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