‘डिप्टी’ मौसम विज्ञानी चिराग़ पासवान के अल्टीमेटम से बीजेपी में खलबली


2019 चुनाव के पहले अगर लोजपा एनडीए से अलग हो जाए तो किसी को आश्चर्य नहीं होगा।


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तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव हार के बैकफुट पर आई बीजेपी मे ‘ डिप्टी ’ मौसम विज्ञानी चिराग़ पासवान के एक ट्वीट से खलबली मच गई है। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने  बीजेपी को चेताया है कि वह समय रहते सहयोगियों से सीटों का सम्मानजनक समझौता कर ले, वरना नुकसान हो सकता है। यही नहीं, उन्होंने साफ़ कहा है कि एनडीए नाज़ुक मोड़ से गुज़र रहा है। वहीं उनकी लोक जनशक्ति पार्टी ने 31 दिसंबर तक बीजेपी को अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि लोकसभा चुनाव में 7 सीटों से कम उसे मंज़ूर नहीं होगा।

राजनीतिक हवा भाँपने में रामविलास पासवान का कोई जोड़ नहीं समझा जाता। गुजरात दंगों के मुद्दे पर अटलबिहारी वाजपेयी की सरकार के कैबिनेट मंत्री पद छोड़ने वाले रामविलास पासवान बादमें लालू यादव की मदद से राज्यसभा में गए लेकिन 2014 में हवा को समय रहते पहचान कर वापस एनडीए में गए और उन्हीं मोदी की कैबिनेट में मंत्री हैं जिन्हें सांप्रदायिक दंगों का जिम्मेदार बताते हुए न जाने क्या-क्या कहते थे। लालू यादव ने उनकी इसी कला को रेखांकित करते हुए ‘मौसम विज्ञानी’ की उपाधि दी जो उन पर चिपक गई। पासवान ने लोकजनशक्ति पार्टी का कामकाज पूरी तरह सांसद बेटे चिराग पासवान पर सौंप रखाहै। वैसे वे पुराने समाजवादी हैं, पर तमाम दूसरे नेताओं की तरह इस नतीजे पर पहुँच चुके हैं कि बेटे के हाथों ही पार्टी का भविष्य है। उन्होंने सारे फ़ैसले करने का हक़ चिराग़ को दे दिया है।

चिराग़ ने अपने ट्वीट में चंद्रबाबू नायडू और उपेंद्र कुशवाहा के एनडीए से अलग होने की मिसाल दी है। मौका पाकर उपेंद्र कुशावाह ने उन्हें एनडीए से अलग हो जाने की सलाह दी है। उन्होंने कहा है कि बीजेपी छोटी पार्टियों को बर्बाद कर देती है। अच्छी बात है किलोजपा को यह बात समझ आ रही है। चिराग पासवान को यही सलाह एनडीए छोड़ने वाले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम माँझी ने भी दी है।      

हैरानी की बात यह है कि बीजेपी की ओर से इस पर कोई बड़ा नेता कुछ बोल नहीं रहा है। चिराग पासवान की ट्वीट में नाराज़गी स्पष्ट है कि बार-बार मुलाकात होने के बावजूद बीजेपी के नेता मुद्दे की बात नहीं कर रहे हैं। बहरहाल, कभी आरएसएस के जानकार के रूप में चैनलों पर अवतरित होकर बीजेपी के राज्यसभा सदस्य बनने वाले राकेश सिन्हा ने शब्दों के खेल  से जवाब दिया है। राकेश सिन्हा ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा है कि चिराग का ट्वीट चिंता नहीं सरोकार जताने वाला है।  

बीजेपी के लिए चिंता की बात यह भी है कि चिराग़ ने कुछ हालिया इंटरव्यू में राम मंदिर पर जोर देने के लिए बीजेपी की आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि एनडीए का मुद्दा सिर्फ विकास होना चाहिए, मंदिर नहीं। यही नहीं, उन्हें राहुल गाँधी की तारीफ़ भी की है जिससे पार्टी के कान खड़े हो गए हैं। कहा जाता है कि यूपीए शासन के दौरान चिराग़ की राहुल से अच्छी पटती थी। राहुल गाँधी चिराग़ पासवान की फ़िल्म के प्रीमीयर में भी गए थे। फ़िल्म फ़्लॉप होने के बाद वे पिता के सहारे राजनीति में हिट होने चले आए।  

उधर, पार्टी ने स्पष्ट किया है कि यह ट्वीट चिराग की व्यक्तिगत राय नहीं है। पूरी पार्टी ऐसा ही सोचती है। बुधवार को  रामविलास पासवान के भाई और पार्टी नेता पशुपति पारस ने अल्टीमेटम दिया कि अमित शाह 31 दिसंबर तक फैसला लें। उन्होंने यह भी कहा पार्टी को लोकसभा चुनाव में  में 7 सीटों में एक भी कम मंजूर नहीं है। 

गौर करने की बात यह है कि नितीश कुमार की एनडीए में वापसी के बाद एलजेपी की यह माँग पूरी करना बीजेपी के लिए संभव नहीं लगता। संदेह नहीं कि राजनीति के बदलते मौसम को पासवान पिता-पुत्र बहुत बारीक़ी से परख रहे हैं। पल्टी मारना वे हमेशा ही स्वास्थ्यके लिए बेहतर मानते रहे हैं। ऐसे में 2019 चुनाव के पहले अगर लोजपा एनडीए से अलग हो जाए तो किसी को आश्चर्य नहीं होगा

पासवान मौसम विज्ञानी हैं तो हैं। 

 


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