हम लोग घर जाना चाहते हैं और मेरी 6 महीने की पत्नी प्रेग्नेंट हैं..हमको प्लीज़ घर पहुंचवा दीजिए..’ 29 मई को हमसे बात करते हुए, छत्तीसगढ़ के जांजागीर-चांपा ज़िले से महाराष्ट्र में मज़दूरी करने आए अशोक दास हमसे ये एक बातचीत में न जाने कितनी बार कहा था। भावुकता से भरे, अशोक दास माणिकपुरी ने हमसे भर्राई आवाज़ में कहा था, ‘हम लोगों को और कुछ नहीं चाहिए…बस हमको घर पहुंचवा दीजिए…हम पैदल भी नहीं जा सकते कि हमारी मिसेज प्रेग्नेंट हैं..’ फोन पर मैं बस ये कह पाया कि मुझसे जो बन पड़ेगा, मैं करूंगा। हम क्या कर सकते थे? हम बस अशोक दास की कहानी को आपके सामने ला सकते थे। हमने सिर्फ वही किया और मंगलवार शाम हमको ये खुशख़बरी मिली है कि अशोक दास अपनी पत्नी के साथ, किसी श्रमिक स्पेशल रेल से नहीं, बल्कि बाक़ायदा चार पहिया वाहन से अपने गांव, अपने घर के लिए रवाना हो गए हैं। इसमें उनकी मदद के लिए आगे आए छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी, सोनमोनि बोरा।
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@priyankaaap23 @ipskabra @sudiepshri
छत्तीसगढ़ के गर्भवती महिला समेत 12 मजदूर ग्राम-जानौरी, तहसील-डिंडौरी,जिला-नासिक में बहुत तकलीफ के साथ फॅसे हैं पिछले 1माह से घर वापसी के लिए कोशिश कर रहे हैं कृपया मदद करे🙏😥अशोक दास- 7… pic.twitter.com/OL3e0LGPp1— Sonmoni Borah IAS (@sonmonib5) June 2, 2020
छत्तीसगढ़ से एक्टिविस्ट प्रियंका शुक्ला ने मीडिया विजिल को दोपहर बाद फोन कर के ये जानकारी दी कि छत्तीसगढ़ से महाराष्ट्र के नासिक ज़िले के एक गांव में मज़दूरी करने गए अशोक दास की आख़िरकार मदद हो गई है और वे अपने गांव जाने के लिए महाराष्ट्र से छत्तीसगढ़ रवाना हो चुके हैं। इस मामले की हमको जानकारी मिलने के बाद, हमने 29 मई को अशोक दास के साथ पूरी बातचीत पर आधारित स्टोरी प्रकाशित की थी।
अशोक दास मानिकपुरी, इस साल फरवरी में ही, अपने गांव से नासिक ज़िले में मज़दूरी करने आए थे और साथ में उनकी पत्नी अलकाबाई थी, जो उस समय 3 माह की गर्भवती थी। आने के डेढ़ महीने से भी कम वक़्त में देशव्यापी लॉकडाउन लागू हो गया और वे पत्नी समेत नासिक की ही एक तहसील डिंडोरी के जानौरी गांव में फंस गए। न उनके पास कुछ पैसे थे, न ही राशन और न ही आसपास में पत्नी की स्वास्थ्य देखभाल के लिए कोई सुविधा। अशोक दास बिना पैसों और गर्भवती पत्नी की देखरेख की सुविधा के ऐसी जगह फंस गए थे, जहां से उनके लिए किसी नज़दीकी बड़े शहर जाकर, ट्रेन पकड़ना भी संभव नहीं था। उनकी पत्नी 7 महीने की गर्भवती होने वाली थी।
इस बीच अशोक की पत्नी गर्भावस्था के छठे महीने में प्रवेश कर रही थी। अशोक में छत्तीसगढ़ राज्य सरकार से गुहार लगाई कि उनको वापस छत्तीसगढ़ बुला लिया जाए। उन्होंने 12 अप्रैल के आसपास, राज्य सरकार के पास आवेदन दिया था। उनके पास 12 मई को एसएमएस आया कि उनका आवेदन स्वीकृत हो गया और रजिस्ट्रेशन हो गया लेकिन इसके बाद लगातार दिन पर दिन बीतते गए, उनके पास कोई कमाई का ज़रिया नहीं रहा और न ही उनके पास नासिक के इस गांव से कहीं भी जाने का कोई साधन ही है। इसके बाद अशोक दास को जानकारी मिली कि एक ट्रेन थी, जो एक दिन पहले ही रवाना हो चुकी है। अशोक दास के पास न तो कोई मैसेज आया और न ही फोन कि कोई ट्रेन है, जो मुंबई से छत्तीसगढ़ जा रही थी। इसके बाद, अशोक दास का हमारे पास व्हॉट्सएप पर संदेश आता है कि किसी तरह हम उनकी मदद करें और उनको कैसे भी घर पहुंचा दें।
लेकिन छत्तीसगढ़ की एक्टिविस्ट प्रियंका शुक्ला की लगातार कोशिश के सहारे, हमारी ख़बर छपने के तीन ही दिन बाद अशोक दास अब छत्तीसगढ़ के रास्ते में हैं। आईएएस सोनमोनि बोरा, जो श्रम विभाग के सचिव और राज्य के नोडल अधिकारी हैं – उन्होंने अशोक दास को वापस छत्तीसगढ़ लाने के लिए सीधे नासिक के डिंडोरी से कार का इंतज़ाम कर दिया। 2 मई को अशोक दास और उनकी पत्नी अलकाबाई, अंततः दो और लोगों के साथ छत्तीसगढ़ के लिए वापस रवाना हो गए हैं।
दिल से ढेर सारा धन्यवाद सर।
अभी अशोक ने बताया कि वो और उनकी पत्नी निकल गए है, एक व्यक्ति नागपुर के है, बाकी छत्तीसगढ़ के लिए सिर्फ 2 लोग ही निकले।
आपको जितना धन्यवाद बोलू कम होगा।@_MayankSaxena आपको भी धन्यवाद, आपने इस पर स्टोरी की थी।
ज़िंदाबादआप सभी का शुक्रिया https://t.co/aaIfaox85t
— Advocate Priyanka Shukla (Priya Shukla) (@priyankaaap23) June 2, 2020
अंतिम जानकारी मिलने तक अशोक, अपनी गर्भवती पत्नी अलकाबाई के साथ, महाराष्ट्र के अकोला पहुंच गए थे – जहां उनके रात को रुकने का इंतज़ाम एनएपीएम के कार्यकर्ताओं की ओर से किया गया था। इस बारे में धन्यवाद जताते हुए, अशोक के रिश्तेदार ने ट्वीट भी किया है।
सबका मिलाजुला सहयोग है, प्रणाम मत करो भाई।
बाकी अकोला पहुँच गए है, वहां पर @napmindia के साथी युवराज जी ने रुकने की रात की व्यवस्था करवा दी है।
ज़िंदाबाद https://t.co/2jh2ZJveLr
— Advocate Priyanka Shukla (Priya Shukla) (@priyankaaap23) June 2, 2020
ज़ाहिर है कि ये एक सुखद अंत वाली कहानी है, लेकिन अभी कई और लोग हैं – जिनकी कहानियों के लिए ये ही सुखद अंत तय करना होगा। साथ ही सैकड़ों ऐसी कहानियां भी हैं, जो पहले ही दुखांत हो चुकी हैं। ऐसे में हम न केवल लगातार ऐसी कहानियां आपके सामने लाते रहेंगे, हम आपसे भी उम्मीद करते हैं कि आप भी इन कहानियों के किरदारों की मदद के लिए हमेशा खड़े रहेंगे – क्योंकि ये कहानियां और किरदार, दोनों ही वास्तविक हैं और इनका किसी कल्पना से कोई लेना-देना नहीं है।
मीडिया विजिल, अपने पाठकों के प्रति आभार प्रकट करना चाहता है – जिन्होंने इस ख़बर को साझा किया, प्रसारित किया और हमको ईमेल कर के, हमसे ये भी पूछा कि अशोक दास और उनके परिवार की मदद कैसे की जा सकती है। साथ ही छत्तीसगढ़ की एक्टिविस्ट प्रियंका और आईएएस अधिकारी सोनमोनि बोरा का भी शुक्रिया, जिन्होंने अशोक दास और उनकी गर्भवती पत्नी की अपने घर पहुंचने में मदद की।
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