कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के लिए पाबंदियां लगाने के खिलाफ आइएएस की नौकरी छोड़ने वाले कन्नन गोपीनाथन को केंद्र ने चार्जशीट भेजी है. इस चार्जशीट में जो सबसे दिलचस्प आरोप गोपीनाथन पर लगाया है वह है कि उन्होंने प्रधानमंत्री पुरस्कार के लिए आवेदन नहीं था!
These are the charges. Same as the memo.
1. Did not putt up file in time
2. Did not complete underground cabling project in time
3. Did not submit tour report for relief work in Kerala
4. Did not apply for PM excellence award
5. Submitting file directly to AdministratorScary! pic.twitter.com/LMrJvrlY0u
— Kannan Gopinathan (@naukarshah) November 6, 2019
इस चार्जशीट में एक और मजेदार आरोप जो कण्णन पर लगा है वह है कि इस्तीफा देने के बाद उन्होंने दमण में ड्यूटी नहीं किया था!
Next is that they are upset that I did not continue in Daman after submission of resignation.
Fakeer aadmi hu na ab. Jhola uthake chal pada. Fakeeri yaad hoga.
Don’t feel bad. If Daman administration needs help to I still offer my services. Pro-bono though. pic.twitter.com/c4GjQQxu7t
— Kannan Gopinathan (@naukarshah) November 6, 2019
बता दें कि, कन्नन गोपीनाथन ने जब इस्तीफा दिया तो उस समय वे दादरा एंव नागर हवेली में कलेक्टर के पद पर तैनात थे.
कन्नन गोपीनाथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर लगातार 8 ट्वीट दाग दिए. इन ट्वीट्स में उन्होंने दावा किया कि उनके खिलाफ चार्जशीट फाइल की गई है.
So they emailed me the chargesheet. Well @HMOIndia, I know it must be tough as you are unable to manage what’s happening between lawyers and police right under your nose.
So in the interest of the nation I do not want to trouble you more in your weak time. I acknowledge receipt. https://t.co/JKgtdOcWE5
— Kannan Gopinathan (@naukarshah) November 6, 2019
इसके बाद 2 अन्य ट्वीट में उन्होंने वो लेटर शेयर किया जो उन्हें मेल पर मिला था. जिसमें उन पर विभागीय जांच की जानकारी लिखी है. इसी लेटर का एक हिस्सा पोस्ट करते हुए गोपीनाथ ने अमित शाह पर निशाना साधा. उनको जो मेमोरेंडम मिला है उसमें कामकाज में ‘राजनीतिक प्रभाव’ इस्तेमाल न करने के बारे में लिखा है.
उन्होंने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सरकार अफसरों को टारगेट कर रही है और मौलिक अधिकारों को नजरअंदाज कर रही है.
Final charge is that my interaction with media created an adverse image of GoI.
Sorry tto.
It is your actions that creates such an image. Not my interactions.
But good to know that you have been watching them. Slowly you will learn about fundamental rights.
That’s the plan. pic.twitter.com/IhqSSCpHGE
— Kannan Gopinathan (@naukarshah) November 6, 2019
गोपीनाथ ने आगे कहा कि, “पांच साल के नेतृत्व के बाद आपसे उम्मीद यही निकली कि आप लोगों को डराने-धमकाने और उनका उत्पीड़न करने में माहिर हो गए हैं.”
If this is the way @HMOIndia target officers, no wonder @narendramodi is upset ki aapne 5 saal unki barbaad kar diya. Sad!
After 5 years of enlightened leadership one would expect you to be masters in intimidation and targeted harassment at least.
— Kannan Gopinathan (@naukarshah) November 6, 2019
बता दें कि एक दिन पहले ही गोपीनाथन ने चुनाव आयुक्त अशोक लवासा का समर्थन किया था, जिनके पुराने रिकॉर्ड खंगालने का आदेश जारी किया गया है.
गोपीनाथन ने 23 अगस्त 2019 को अपना इस्तीफा डीडीडी एंड एनएच और गृह मंत्रालय को भेज दिया था. उन्होंने ‘जम्मू और कश्मीर में अभिव्यक्ति की आजादी’ नहीं होने का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया था. उसके बाद वह काम पर नहीं गए थे. गोपीनाथन पर सरकारी नीतियों के मुद्दों पर प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के साथ गैर आधिकारिक रूप से चर्चा करने का भी आरोप है. आरोप पत्र में कहा गया है कि उनके द्वारा सरकारी नीतियों की ऐसी आलोचना ‘विदेशी राज्य सहित अन्य संगठनों के साथ केंद्र सरकार के संबंधों को शर्मसार कर सकती है.’