पूर्व IAS गोपीनाथन को चार्जशीट, प्रधानमंत्री पुरस्कार के लिए आवेदन न करने का आरोप!

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कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के लिए पाबंदियां लगाने के खिलाफ आइएएस की नौकरी छोड़ने वाले कन्नन गोपीनाथन को केंद्र ने चार्जशीट भेजी है. इस चार्जशीट में जो सबसे दिलचस्प आरोप गोपीनाथन पर लगाया है वह है कि उन्होंने प्रधानमंत्री पुरस्कार के लिए आवेदन नहीं था! 

इस चार्जशीट में एक और मजेदार आरोप जो कण्णन पर लगा है वह है कि इस्तीफा देने के बाद उन्होंने दमण में ड्यूटी नहीं किया था!

बता दें कि, कन्नन गोपीनाथन ने जब इस्तीफा दिया तो उस समय वे दादरा एंव नागर हवेली में कलेक्टर के पद पर तैनात थे.

कन्नन गोपीनाथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर लगातार 8 ट्वीट दाग दिए. इन ट्वीट्स में उन्होंने दावा किया कि उनके खिलाफ चार्जशीट फाइल की गई है.

इसके बाद 2 अन्य ट्वीट में उन्होंने वो लेटर शेयर किया जो उन्हें मेल पर मिला था. जिसमें उन पर विभागीय जांच की जानकारी लिखी है. इसी लेटर का एक हिस्सा पोस्ट करते हुए गोपीनाथ ने अमित शाह पर निशाना साधा. उनको जो मेमोरेंडम मिला है उसमें कामकाज में ‘राजनीतिक प्रभाव’ इस्तेमाल न करने के बारे में लिखा है.

उन्होंने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सरकार अफसरों को टारगेट कर रही है और मौलिक अधिकारों को नजरअंदाज कर रही है.

गोपीनाथ ने आगे कहा कि, “पांच साल के नेतृत्व के बाद आपसे उम्मीद यही निकली कि आप लोगों को डराने-धमकाने और उनका उत्पीड़न करने में माहिर हो गए हैं.”

बता दें कि एक दिन पहले ही गोपीनाथन ने चुनाव आयुक्त अशोक लवासा का समर्थन किया था, जिनके पुराने रिकॉर्ड खंगालने का आदेश जारी किया गया है.

गोपीनाथन ने 23 अगस्त 2019 को अपना इस्तीफा डीडीडी एंड एनएच और गृह मंत्रालय को भेज दिया था. उन्होंने ‘जम्मू और कश्मीर में अभिव्यक्ति की आजादी’ नहीं होने का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया था. उसके बाद वह काम पर नहीं गए थे. गोपीनाथन पर सरकारी नीतियों के मुद्दों पर प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के साथ गैर आधिकारिक रूप से चर्चा करने का भी आरोप है. आरोप पत्र में कहा गया है कि उनके द्वारा सरकारी नीतियों की ऐसी आलोचना ‘विदेशी राज्य सहित अन्य संगठनों के साथ केंद्र सरकार के संबंधों को शर्मसार कर सकती है.’


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