बनारस के मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता रवि शेखर ने नीचे जो तस्वीर अपनी फेसबुक दीवार पर लगाई है और इसे अप्रत्याशित विरोध प्रदर्शन् का नाम दिया है, वह वास्तव में न केवल अप्रत्याशित है बल्कि अभूतपूर्व और ऐतिहासिक है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के सिंहद्वार पर लटका ये लंबा सा बैनर आधी रात को छात्राओं की मुक्ति की मुनादी कर रहा है। इस मुनादी की अनुगूंज इतनी तगड़ी है कि करीब चौबीस घंटा बीत जाने के बाद भी विश्वविद्यालय के किसी भी अधिकारी को यहां आकर बात करने की हिम्मत नहीं हुई है और वाराणसी संसदीय क्षेत्र के प्रतिनिधि यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को छात्राओं के डर से अपना रूट बदल देना पड़ा है।
यह वीडियो भी रवि शेखर का ही लगाया हुआ है। रात दस बजे का है जब सैकड़ों छात्राओं को अपनी सुरक्षा की मांग को लेकर सिंहद्वार घेरे 12 घंटे से ज्यादा हो गया था और अभी आधी रात को भी वे धरने पर जुटी हुई हैं।
यह दृश्य मामूली नहीं है। आज से ठीक पंद्रह साल पहले फरवरी 2002 में भी कुलपति वाइसी सिम्हाद्रि को हटाने के लिए छात्रों ने एक जंबरदस्त आंदोलन छेड़ा था और उस वक्त छात्र राजनीति का आलम यह था कि फिर भी एकाध गिने-चुने संगठन परिसर के भीतर कार्यरत थे, हालांकि छात्राओं की संख्या नगण्य हुआ करती थी। 2017 का सितंबर बीएचयू में इतिहास बना रहा है क्योंकि मोर्चे पर छात्राएं डटी हैं और बाकी सब उनके समर्थन में पीछे खड़े हैं। कोई भी राजनीतिक संगठन सामने नहीं है और सबसे बड़ी बात यह है कि खुद प्रधानमंत्री के दिए नारे ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ को सिंहद्वार पर लटका लंबा सा बैनर मुंह चिढ़ा रहा है, जिस पर लिखा है, ”बचेगी बेटी, तभी तो पढ़ेगी बेटी।’
कुल मिलाकर छात्राओं की सारी मांग अपने उत्पीड़न के खिलाफ सुरक्षा दिए जाने से जुड़ी हैं, लेकिन प्रशासन अब तक उन्हें संबोधित करने में दिलचस्पी नहीं दिखा सका है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने बनारस प्रवास पर तुलसी मनस मंदिर जाने के लिए बीएचयू से होकर गुज़रना था, लेकिन छात्राओं के साहस के आगे उन्हें घुटने टेकने पडे। शर्म की बात तो यह होनी चाहिए कि वे एक बार भी इन छात्राओं की सुनने नहीं आए लेकिन इससे बड़ी बेशर्मी यह की गई कि अपने निर्धारित कार्यक्रम में बिना कोई संशोधन किए उन्होंने अपने काफिले का रूट ही बदल डाला।
इस बीच रात एक बजे का अपडेट यह है कि कुछ अराजक तत्व आंदोलन में घुसपैठ करने लगे हैं। इस बारे में बीएचयू बज़ नाम के एक फेसबुक पेज पर आगाह किया गया है।
आखिरी अपडेट 22 सितबर, 2017, 13.11 मिनट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश चुनाव के बाद पहली बार आज अपने संसदीय क्षेत्र बनारस पहुंचे हैं। वो शहर जो तीन-चार साल पहले तक ‘हर-हर मोदी’ के नारों से गूंजा करता था, आज उसकी सड़कों की तस्वीर और ताबीर पूरी तरह बदली हुई थी। आज भले ही सरकार से असहमत एनडीटीवी को ‘हर-हर मोदी’ के जनक कारोबारी अजय सिंह ने खरीद लिया हो, लेकिन बनारस के परिसरों और सड़कों पर असहमति के वे स्वर मुखर हो गए हैं जिनका जवाब किसी के पास नहीं है।
दरअसल तस्वीरों में दिख रहा छात्राओं का यह स्वयं स्फूर्त आक्रोश गुरुवार शाम की एक घटना की प्रतिक्रिया है जब एक छात्रा से छेड़खानी की वारदात हुई थी। छात्रा जब शिकायत करने प्रशासन के पास पहुंची तो उससे शांत रहने को कहा गया और कारण बताया गया कि अगले दिन प्रधानमंत्री आने वाले हैं इसलिए इस मामले को तूल न दिया जाए।
प्रशासन के इस रवैये ने छात्राओं का आक्रोश भड़का दिया। आज सुबह से एकाध सौ छात्राओं ने मुख्य द्वार को घेर लिया और अब तक वे डटी हुई हैं। बीएचयू प्रशासन इस मामले में हाथ डालने से बच रहा है जबकि और उसने जिला प्रशासन के जिम्मे इसे छोड़ दिया है। छात्राओं की मांग है कि वाइस चांसलर खुद सामने आएं और उन्हें सुरक्षा की गारंटी दें।
दिलचस्प यह है कि प्रधानमंत्री के काफिले को दो बार बीएचयू के सिंहद्वार से होकर गुजंरना है। इस लिहाज से अगले दो घंटे बनारस के हालात बहुत नाजुक हो सकते हैं।
देखिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के सिंहद्वार की कुछ तस्वीरें और वीडियो: