DU: गणित विभाग में क्‍लास बायकॉट को महीना पूरा, अनशन पर छात्र और प्रशासन बेसुध


न केवल गणित बल्कि भौतिकी, अंग्रेजी, अर्थशास्‍त्र और एनसीडब्‍लूईबी के परचों के मूल्‍यांकन में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई है जिसके चलते इन विभागों में 80 फीसदी छात्र परीक्षा में फेल हो गए हैं


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दिल्‍ली युनिवर्सिटी के गणित विभाग में आखिर कौन सा गणित खेला जा रहा है कि महीने भर से यहां के छात्र विरोध प्रदर्शन और धरने के लिए विवश होकर भी बेबस हैं? विडम्‍बना की स्थिति है कि जब देश के तमाम शैक्षणिक परिसरों में अध्‍यादेश आने से पहले 13 प्‍वाइंट रोस्‍टर को लेकर आंदोलन चल रहा था, उस वक्‍त भी गणित विभाग के छात्र अपनी दिक्‍कतों को लेकर धरने पर थे लेकिन उनकी आवाज़ उसके हो हल्‍ले में अनसुनी रह गई। अभी जब 12 मार्च को छात्रों ने कुछ संगठनों के सहयोग से वीसी कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया, तब जाकर इस आशय की खबर बाहर आ सकी कि न केवल गणित बल्कि भौतिकी, अंग्रेजी, अर्थशास्‍त्र और एनसीडब्‍लूईबी के परचों के मूल्‍यांकन में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई है जिसके चलते इन विभागों में 80 फीसदी छात्र परीक्षा में फेल हो गए हैं।   

उत्‍तर पत्रिकाओं के पक्षपातपूण और त्रुटिपूर्ण मूल्‍यांकन के खिलाफ करीब महीने भर से डीयू के गणित विभाग के छात्र धरने पर हैं। वजह यह है कि एमए/एमएससी के सेमेस्‍टर परचे में 40 में से 35 छात्रों को फेल कर दिया गया है। हर साल दो वर्ष की अवधि में केवल 20 से 30 फीसदी छात्र ही इस पाठ्यक्रम में उत्‍तीर्ण हो पाते हैं। बड़े पैमाने पर छात्रों को अनुत्‍तीर्ण करने का यह चलन न केवल गणित बल्कि फिजिक्‍स, रसायन, अंग्रेजी, अर्थशास्‍त्र और एनसीडब्‍लूईबी में देखा गया है। इसी के खिलाफ गणित विभाग के छात्र संगठित होकर अनिश्चितकालीन धरने पर महीने भर पहले चले गए और 14 फरवरी से ही उन्‍होंने कक्षाओं का बहिष्‍कार शुरू कर दिया। आज इसे पूरा महीना हो चुका है।

छात्रों द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि परीक्षा में उपस्थित रहने वाले कुछ छात्रो को अनुपस्थित दर्ज किया गया जबकि कई अनुपस्थित रहने के बावजूद परीक्षा पास कर गए। ऐसे में ये छात्र एक स्‍वतंत्र कमेटी द्वारा उत्‍तर पत्रिकाओं के दोबारा मूल्‍यांकन की मांग और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि इन विभागों के शिक्षक कक्षाओं में महिला विरोधी टिप्‍पणी करते हैं जिसके चलते कई छात्राओं ने कक्षाओं में जाना बंद कर दिया। विशाखा दिशानिर्देशों को अमल में लाने के लिए यहां कोई कमेटी नहीं बनी है जिसके चलते शिक्षकों द्वारा उत्‍पीड़न पर कोई रोक नहीं लग पा रही है। इस संदर्भ में छात्रों ने प्रत्‍येक विभाग में एक लैंगिक संवेदीकरण कमेटी के गठन की भी मांग की है।

विश्‍वविद्यालय प्रशासन से वार्ता नाकाम रहने के बाद छात्र पिछले हफ्ते मार्च निकालने को मजबूर हुए। प्रदर्शनरत छात्रों को विभाग में बंद कर दिया गया। बाहर से छात्रों को परिसर में प्रवेश नहीं करने दिया गया। इसके बाद सुरक्षा कर्मियों ने छात्रों से बदसलूकी और मारपीट की जिसमें कई को चोट आई।

इसके बाद छात्रों ने एक बार फिर प्रशासन ओर फैकल्‍टी सदस्‍यों के साथ संवाद बहाल करने की कोशिश की लेकिन नतीजा सिफर रहा। अब तक वीसी और रजिस्‍ट्रार छात्रों से नहीं मिले हैं। इसकी प्रतिक्रिया में छात्रों ने सामूहिक निर्णय लिया है कि वे मांगें पूरी होने तक अनिश्चितकालीन अनशन करेंगे। अनशन के चार दिन बीतने और कक्षा बहिष्‍कार के एक महीना बीतने के बाद भी कोई नतीजा निकलता नहीं दिख रहा। छात्र अपने पक्ष में अड़े हुए हैं।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित)


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