2022-23 के अकादमिक वर्ष से छात्र अब दो फ़ुल-टाइम कोर्स की पढ़ाई साथ-साथ कर सकेंगे। यह निर्णय नई शिक्षा नीति के तहत लिया गया है, और इसकी सूचना देते हुए यू.जी.सी. के मौजूदा चेयरपरसन एम. जगदीश कुमार ने मंगलवार को कहा कि इस निर्णय के पीछे विद्यार्थियों को बहुरंगी शिक्षा और कौशल सीखने में मदद मिलेगी।
यूँ तो 2020 से ही यू॰जी॰सी॰ ने दो डिग्री साथ पढ़ने की अनुमति दे रखी थी, मगर अब तक एक कोर्स का फ़ुल-टाइम क्लासरूम प्रोग्राम और दूसरे का दूर-शिक्षा अथवा ऑनलाइन होना ज़रूरी था। मंगलवार को जारी सूचना के मुताबिक़, अब दोनो ही डिग्री किसी भी माध्यम से, क्लास रूम प्रोग्राम, अथवा दूर-शिक्षा, अथवा ऑनलाइन, और एक या अलग, किन्ही भी विश्वविद्यालय से की जा सकेगी। देश में सभी तरह की शिक्षा प्रोग्राम पर लागू, यू॰जी॰सी॰ की नई गाइडलाइन विद्यार्थियों को अपनी मनपसंद कॉम्बिनेशन – डिप्लोमा + अंडरग्रैजूएट, बैचलर + बैचलर, मास्टर + मास्टर, इत्यादि – विज्ञान, कामर्स या आर्ट्स संकाय की एक बड़ी श्रेणी में से चुनने की आज़ादी होगी।
बहरहाल, यू॰जी॰सी॰ की नवीनतम गाइडलाइन सिर्फ़ संस्थान द्वारा अनुमोदित नॉन-टेक्निकल पाठ्यक्रम पर ही लागू होंगे, और सभी टेक्निकल और प्रोफ़ेसनल पाठ्यक्रम इसके दायरे से बाहर रहेंगे। विश्वविद्यालयों को आज़ादी रहेगी की वे नई गाइडलाइन को अमल में लाते हैं या नहीं, लेकिन चेयरपर्सन कुमार ने भरोसा जताया है कि कई विश्वविद्यालय इस नई नीति का हिस्सा बनेंगे।
हम बताते चलें कि भारत की नई शिक्षा नीति (एन.ई.पी.) 2020 में पारित की गई थी, और इसके अनुपालन के लिए वर्ष 2022-23 का अकादमिक वर्ष निर्धारित किया गया था। कुछ लोगों को यू.जी.सी. का यह कदम स्वागत योग्य लग सकता है, लेकिन साथ ही इस नीति का शिक्षा की गुणवत्ता, और विद्यार्थियों की उद्यम-धर्मिता और रोज़गार पर कैसा प्रभाव पड़ता है, इसका जवाब भविष्य में इस पर निर्भर करेगा कि मानव और आधारभूत संरचना के संसाधनों को सरकार कितना विकसित करती है।