ओम थानवी
मोदी सरकार की सबसे हास्यास्पद हरकतों में एक – संस्कृति मंत्रालय ने सीबीआइ को कवि और संस्कृति-मौला अशोक वाजपेयी की ‘अनियमितताओं’ की जाँच करने को कहा है, जब वाजपेयी केंद्रीय ललित कला अकादमी के अध्यक्ष थे। मंत्रालय के अनुसार वाजपेयी ने वहाँ ‘नियम और प्रक्रियाओं’ की अवहेलना की, कुछ कलाकारों को कलादीर्घा नि:शुल्क भी दे दी।
संस्कृति मंत्रालय की यह वाहियात हरकत – कोई भी समझ सकता है – इसलिए है कि मोदी सरकार के अनाचार के ख़िलाफ़ ‘प्रतिरोध’ का झंडा खड़ा करने वालों में वाजपेयी अगुआ रहे। अकादमी के सचिव को उन्होंने निलम्बित किया था, जो भाजपा सरकार के आते ही बहाल हुए और इस अरण्यरोदन के बीज हो सकते हैं।
मैंने जीवन में सैकड़ों आइएएस देखे होंगे। अशोक वाजपेयी उनमें अनूठे मिले। सिर्फ़ इसलिए नहीं कि कवि-आलोचक हैं, भारत भवन के परिकल्पक हैं। उनके जीवन में सहज ईमानदारी और सादगी है। एक सामान्य फ़्लैट में रहते हैं, रज़ा फ़ाउंडेशन की करोड़ों की सम्पत्ति के महज़ संरक्षक हैं। एक आयोजन में मैं राजस्थान ले गया, लौटकर ऑटो से हम स्टेशन से अपने-अपने घर गए।
कलाओं में उनकी अनूठी पैठ है। हिंदी कवि के रूप में अंतरराष्ट्रीय ख्याति है। साहित्य, कला और संस्कृति के क्षेत्र में अनवरत आयोजन उन्होंने समाज को दिए हैं। इन दिनों युवा लेखकों-कलाकारों के बीच सक्रिय हैं। लोग अपनी विभूतियों को भुला रहे हैं। अशोकजी विचारधारा के घेरे से बाहर उनकी याद जगा रहे हैं। अज्ञेय और मुक्तिबोध सहित अनेक विभूतियों पर उन्होंने इन वर्षों में जाने कितने आयोजन किए होंगे।
कहना न होगा, अपनी बदले की भावना भरी टुच्ची हरकत से सरकार आगे शर्मिंदा ही होगी
वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी की फे़सबुक दीवार से साभार।