काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.गिरीशचंद्र त्रिपाठी मशहूर टीवी पत्रकार और फ़िलहाल इंडिया टुडे ग्रुप से जुड़े राजदीप सरदेसाई से बेहद नाराज़ हैं। राजदीप ने ट्वीट किया था कि उन्होंने पीएम मोदी के रोड शो में हिस्सा लिया था, जबकि कुलपति के मुताबिक वे तब टीवी के सामने बैठे रोड शो देख रहे थे (लेकिन ग़ुस्से की असल वजह कुछ और है, जिसे हम नीचे बताएँगे।)
कुलपति इतने नाराज़ हैं कि इस सिलसिले में उनसे कैच न्यूज़ की ओर से बात करने गए पत्रकार अभिषेक श्रीवास्तव, न्यूज़18 के सुभाष मुंशी, दि हिंदू के पवन दहाट और बिज़नेस वर्ल्ड की प्रियंका सिंह से उन्होंने कहा कि “ एक पत्रकार ने ट्विटर पर इस तरह का झूठ फैलाया। अगर वह दोबारा कैंपस में आए तो क़ायदे से सबक सिखाया जाएगा। वो विधिवत पीटे जाएँगे। बिलकुल पीटे जाएँगे। मैं किसी को मेरे या संस्था के बारे में झूठ फैलाने की इजाज़त नहीं दूँगा। ”
कुलपति ने आगे यह भी कहा कि “आज तक की आईडी लिए हुए कोई दिख गया तो बीएचयू के छात्र उसकी जमकर पिटाई करेंगे। वे बहुत क्षुब्ध हैं।”
इस पूरी बातचीत की ऑडियो रिकर्डिंग मीडिया विजिल के पास मौजूद है।
सूत्रों के मुताबिक़, कुलपति के इस रुख के नतीजे में बीएचयू के प्रशासनिक अधिकारियों ने सुरक्षाकर्मियों को ‘आज तक’ समेत इंडिया टुडे ग्रुप से जुड़े पत्रकारों को ‘धर लेने’ का अलिखित निर्देश जारी कर दिया है। बीएचयू परिसर में किसी पत्रकार के पास अगर आज तक या इंडिया टुडे की आईडी दिख गई तो उसका बीएचयू परिसर में पिट जाने की पूरी आशंका है।
हालाँकि राजदीप इसे ‘मिस्टेकेन आइडेंटिटी’ का मसला बताकर ट्विटर पर माफ़ी माँग चुके हैं, लेकिन सवाल यह उठता है कि प्रो.त्रिपाठी मरने-मारने पर क्या यूँ ही उतारू हैं। वे छिपाते नहीं कि कि वे आरएसएस की शाखा में प्रशिक्षित हुए हैं, लेकिन जिस धर्म और संस्कृति की वे बात-बात में दुहाई देते हैं, उसमें गुरुओं और गली के गुंडों की भाषा में क्या फ़र्क़ नहीं सिखाया जाता ? वे इलाहाबाद विश्वविद्यालय में भी पढ़ाते रहे हैं, जो संगम में ‘लुप्त’ सरस्वती को प्रयाग में ‘साक्षात’ करता है, लेकिन प्रो.त्रिपाठी की भाषा तो सरस्वती के वाक़ई ‘लुप्त’ हो जाने की गवाही दे रही है !
कहीं इस ग़ुस्से की वजह प्रो.त्रिपाठी के कार्यकलाप की पोल खोलने वाला राजदीप का वह कार्यक्रम तो नहीं जो कुछ दिन पहले प्रसारित हुआ ?
इसमें बीएचयू महिला हॉस्टल की चार लड़कियों ने बताया था कि कैसे 21वीं सदी में उन्हें क़ैदियों की तरह रहना पड़ रहा है। लगता ही नहीं कि बालिग़ होने के बावजूद वे अपना अच्छा-बुरा सोच सोच सकती हैं। ना वे शाम आठ बजे के बाद हॉस्टल से निकल सकती हैं। ना वे राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा ले सकती हैं। ना उन्हें वाईफाई की सुविधा है, ना उनके मेस में मांसाहार की सुविधा है जो लड़कों के छात्रावासों में है। उन्हें टीवी देखने की भी सुविधा नहीं है। चार बजे उनकी लाइब्रेरी बंद हो जाती है। सिर्फ़ आरएसएस के पक्ष में बात की जा सकती है।
राजदीप के इस कार्यक्रम से बीएचयू को लेकर काफ़ी सवाल उठे थे। राजदीप ने प्रो.त्रिपाठी से भी बात की थी और उन्होंने तमाम आरोपों को राजनीतिक बताया था। राजदीप लगातार इस मुद्दे को सोशल मीडिया में उठा रहे थे..
ज़ाहिर है, प्रो.त्रिपाठी काफ़ी गुस्से में थे। ऐसे वक़्त जब पीएम मोदी बनारस में हों, उनके बारे में ऐसी बातों का होना उन्हें असहज कर रहा था। राजदीप के शो में ‘सर्वविद्या की राजधानी’ बीएचयू अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के लिहाज़ से हास्यास्पद साबित हो रहा था।
वैसे, कुलपति प्रो.त्रिपाठी पहले भी ऐसे बयान देते रहे हैं जिन्हें लड़कियों की ‘स्वतंत्रता को बाधित’ करने वाला बताया जाता रहा है। राजदीप की एक लापरवाही ने उन्हें मौक़ा दे दिया है कि वे ‘शाखा’ वाली अपनी लाठी को तेल पिलाकर तैयार रख सकें।
यह राजदीप के बहाने बीएचयू की छात्राओं को सबक़ सिखाने की ‘कुलपति मुद्रा’ भी है।
.बर्बरीक