मीडियाविजिल प्रतिनिधि
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में कला संकाय के प्रमुख डॉ. कुमार पंकज के खिलाफ़ पत्रकारिता विभाग की प्रोफेसर डॉ. शोभना नर्लिकर की एफआइआर के 72 घंटे बाद भी उनकी गिरफ्तारी न होने के चलते मंगलवार को छात्रों का गुस्सा पुलिस पर फूटा। बीएचयू के छात्रों ने विश्वविद्यालय के सिंहद्वार से लंका थाने तक एक मार्च निकाला और गिरफ्तारी की मांग को लेकर थाने का घेराव किया।
छात्रों की मांग पर आखिरकार सीओ को आना पड़ा और जांच की औपचारिक प्रक्रिया शुरू हुई। ख़बर लिखे जाने तक आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। अपुष्ट सूत्रों की ओर से बताया जा रहा है कि पुलिस ने एससी/एसटी कानून की जो धारा एफआइआर में लगाई है, उसमें गिरफ्तारी का प्रावधान नहीं है।
इस बीच मंगलवार को ही इस मामले पर एक याचिका राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में भी दाखिल की गई है। मानवाधिकार जन निगरानी समिति के प्रमुख डॉ. लेनिन रघुवंशी की ओर से यह याचिका ‘मीडियाविजिल’ की खबर को आधार बनाते हुए एनएचआरसी में लगाई गई है। इस बीच कुलपति भी परिसर में लौट आए हैं और डॉ. शोभना ने उन्हें पत्र भेजकर डॉ. पंकज को निलंबित करने की मांग उठाई है।
विश्वविद्यालय में दलित उत्पीड़न का यह मामला सामने आने के बाद आरोपी के समर्थकों और विरोधियों की ओर से तमाम तरह की बातें की जा रही हैं। एक प्रचार यह किया जा रहा है कि बीते कुछ वर्षों के दौरान डॉ. शोभना ने चूंकि दलित उत्पीड़न की तीन शिकायतें दर्ज करवाई हैं, इसलिए उन्हें गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए। इस मामले के सामने आने के बाद बीएचयू के कुछ पूर्व छात्रों की ओर से मीडियाविजिल को फोन आए।
दिल्ली विश्वविद्यालय में पत्रकारिता के शिक्षक सुभाष गौतम ने इस बात की पुष्टि की कि डॉ. कुमार पंकज दलित विरोधी हैं और उन्होंने अपने समूचे करियर में एक भी दलित छात्र को पीएचडी जानबूझ कर नहीं करवायी है। उन्होंने बताया कि कैसे विश्वविद्यालय में उनके छात्र रहते हुए कुमार पंकज ने उनके साथ भेदभाव किया था।
मामले को लेकर बनारस में माहौल गर्म है। छात्रों का कहना है कि इस मामले में अगर गिरफ्तारी नहीं हुई तो विरोध प्रदर्शन बड़े आंदोलन की शक्ल ले सकता है। शहर के कुछ पुराने पत्रकारों की मानें तो इस मामले में आरएसएस की भूमिका से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।