वाराणसी : BHU में धांधली के विरुद्ध छात्रों का प्रदर्शन 

मीडिया विजिल मीडिया विजिल
कैंपस Published On :


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) गढ़ के रूप में चर्चित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) ने जातिगत आधार पर अनारक्षित पद पर आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों का आवेदन खारिज कर दिया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा असिस्टेंट प्रोफेसर और जेआरएफ के लिए आयोजित होने वाली राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) की कैटगरी को आधार बनाकर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को अयोग्य ठहराया है। विश्वविद्यालय प्रशासन के इस फैसले को असंवैधानिक बताते हुए आरक्षित वर्ग के छात्रों ने सोमवार की सुबह साक्षात्कार रोकने के लिए होल्कर हाउस के सामने धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया जो खबर लिखे जाने तक जारी रहा।

धरनारत छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा अभी तक ऐसा कोई आदेश नहीं जारी किया गया है जिसमें यूजीसी-नेट की पात्रता परीक्षा की कैटगरी को आधार बनाकर आरक्षित वर्ग के अभ्य़र्थियों का चयन करने के लिए कहा गया हो।

धरना पर बैठे रविंद्र प्रकाश भारतीय का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन का आदेश पूरी तरह से जातिगत आधार पर लिया गया है जो भारतीय संविधान और उसके तहत बने कानूनों के विभिन्न प्रावधानों को उल्लंघन है।

बता दें कि दिसंबर, 2014 तक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली यूजीसी नेट और जेआरएफ कीू राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा के प्रमाण-पत्र में कहीं भी कैटगरी का उल्लेख नहीं होता था लेकिन उसके बाद की होने वाली यूजीसी-नेट की राष्ट्रीय पात्रता परीक्षाओं के प्रमाण-पत्रों पर कैटगरी का उल्लेख कर प्रमाण-पत्र जारी किये जाने लगा। यह केंद्र में आरएसएस नीत भाजपा की अगुआई में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार बनने के बाद बदलाव हुआ है। साथ ही यह आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के उस एजेंडे की प्रक्रिया का प्रमाण है जिसमें उन्होंने आरक्षण की समीक्षा की बात कही थी।


Related