केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को भेजे एक पत्र में व्यापारियों के परिसंघ कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने फ्लिपकार्ट प्राइवेट लिमिटेड की बैलेंस शीट का हवाला देते हुए उस पर कानून को दरकिनार करने के गंभीर आरोप लगाए हैं जिसके कारण सरकार को जीएसटी और आयकर में भारी राजस्व की हानि हुई है। फ्लिपकार्ट द्वारा इन्वेंट्री को नियंत्रित करने के लिए सकल जोड़तोड़, सरकार की एफडीआई नीति को दरकिनार करना और खुले और पारदर्शी तरीके से कारोबार करने के बजाय कंपनी के मूल्यांकन को बढ़ाने जैसे आरोप कैट ने लगाए हैं ।
कैट ने कहा है कि यह ईकॉमर्स बाजार को विषाक्त करने का खुला मामला है और गोयल को पहले कदम के रूप में फ्लिपकार्ट को बंद करने के लिए आदेश देना चाहिए और कर विशेषज्ञों, चार्टर्ड एकाउंटेंट और वरिष्ठ अधिकारियों की एक उच्चस्तरीय समिति का गठन करना चाहिए जो एक समयबध्द सीमा में फ्लिपकार्ट, उसकी मूल कंपनी और अन्य सहयोगी या संबंधित कंपनियों की बैलेंस शीट, आय और व्यय खाते का गहराई से अध्ययन कर सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपे !
गोयल को दिए अपने पत्र में कैट ने कहा कि “हमने लगातार जोरदार तरीके से यह कहा है कि ये कंपनियां हर साल हजारों करोड़ रुपये का नुकसान कर रही हैं, लेकिन फिर भी वे बिना किसी समस्या के अपने व्यवसायों को जारी रखने में सक्षम हैं, जो कि अर्थशास्त्र के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ है।हालांकि, मीडिया के एक हिस्से में फ्लिपकार्ट के बारे में सही तथ्यों का चौंकाने वाला खुलासा हुआ है, जिसने फ्लिपकार्ट की बैलेंस शीट का विश्लेषण किया है और उसका निष्कर्ष हमारे आरोपों की पुष्टि करता है कि फ्लिपकार्ट कोई मार्केटप्लेसनहीं है बल्कि वास्तविक रूप में यह देश की सबसे बड़ी खुदरा कंपनी है जो एफडीआई नीति का घोर उल्लंघन है!”
एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कैट ने कहा कि देश के पांच शीर्ष कॉर्पोरेट खुदरा विक्रेताओं ने वित्तीय वर्ष 2018-19 में 43,374 करोड़ रुपये का माल ख़रीदा जबकि फ्लिपकार्ट की सिंगापुर मूल कंपनी फ्लिपकार्ट प्राइवेट लिमिटेड के वित्तीय स्टेटमेंट से पता चलता है कि अकेले फ्लिपकार्ट ने इस वर्ष 39,514 करोड़ रुपये का सामान खरीदा, जो कॉर्पोरेट खुदरा विक्रेताओं द्वारा खरीदे गए कुल माल का 90% है। प्रासंगिक सवाल यह है कि एक मार्केटप्लेस को इतने बड़े पैमाने पर सामान खरीदने और बेचने की आवश्यकता क्यों है?
कैट ने कहा की उसी वित्तीय वर्ष में फ्लिपकार्ट ने उन सामानों की बिक्री के कारण रु .4431 करोड़ का नुकसान उठाया जिसमें बिक्री के लिए खर्च किए गए आकस्मिक खर्चे शामिल नहीं हैं । 2019 में समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में भारी डिस्काउंट देने की वजह से घाटा 170% तक बढ़ा है। एक अनुमान के अनुसार फ्लिपकार्ट हर दिन 110 करोड़ रुपये का सामान खरीद रहा है और प्रति दिन 39 करोड़ रुपये के नुकसान पर बेच रहा है।कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी.भारतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि फ्लिपकार्ट उसके द्वारा नियंत्रित विक्रेताओं को उत्पाद बेचता है। सुपरकोम, नेट, ओमनी टेक रिटेल और रिटेल नेट जैसी कंपनियां फ्लिपकार्ट की बी 2 बी इकाई से सामान खरीद रही हैं और स्पोर्ट्स लाइफस्टाइल प्राइवेट लिमिटेड, प्रीमियम लाइफस्टाइल, फैशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और विशबेरी ऑनलाइन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड जैसे विक्रेताओं को बेचती हैं जो स्पष्ट रूप से एफडीआई नीति का खुला उल्लंघन है !
भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि यह ऐसी ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा किए गए उच्च स्तर के हेरफेर की एक झलक है और अगर इनके पूरे व्यापार मॉडल के गहन विवरण की जांच की जाए तो ऐसे और भी चौंकाने वाले खुलासे सामने आएंगे जो काफी चिंताजनक होंगे। इसके अलावा, उच्च रियायती मूल्य पर सामानों की बिक्री करके वास्तव में उत्पादों के उचित बाजार मूल्य से काफी नीचे की रियायती मूल्य पर जीएसटी वसूलते हैं, जिससे सरकार को भारी जीएसटी राजस्व का नुकसान होता है, क्योंकि जीएसटी को उचित बाजार मूल्य पर लगाया जाना है।
हर साल भारी नुकसान करके फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियां सरकार को पर्याप्त आयकर एवं जीएसटी राजस्व देने के दायित्व से बच रहे हैं।उन्होंने आगे कहा कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि एक तरफ ऐसी ईकॉमर्स कंपनियां सरकार की एफडीआई नीति काक्रूरता से उल्लंघन कर रही हैं और दूसरी ओर बड़े पैमाने पर जोड़तोड़ के माध्यम से सरकार को बड़े पैमाने पर राजस्व का नुकसान कर रही हैं तथा कानून और नीति दरकिनार करना तथा नीति का उसकी मूल भावना से पालन न करना।
विज्ञप्ति : CAIT द्वारा जारी