CAA: उत्तर प्रदेश में पुलिसिया दमन पर जांच दल की रिपोर्ट जारी

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नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुए प्रदर्शनों को दबाने के लिए  उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा किये गए दमन की शिकायतों की जांच करने, यौनिक हिंसा और राजकीय दमन के खिलाफ महिलाएं (WSS) की पांच सदस्यीय टीम विगत 1-2 फरवरी को पश्चिमी उत्तर के मेरठ, शामली, मुज़फ्फरनगर और बिजनौर जिलों के दौरे पर गई। यह जांच समिति मेरठ में 5, मुज़फ्फरनगर में 1 और नहटौर, जिला बिजनौर के 2 मृतकों के परिवारों से मिली जो पुलिस की गोली से मरे। इन सब में कुछ बातें समान थीं. 

1. गोली सीने, गर्दन या आँख पर मारी गई थी। किसी के भी पैर पर गोली नहीं लगी थी। मतलब सब ही को निशाना लगा कर मारा गया।
2. किसी के भी परिवार को उनकी लाश पारिवारिक कब्रिस्तान में दफनाने नहीं दी। कई को कहा गया कि लिखित दो कि तुम लाश ले कर गए और शहर में हिंसा भड़की तो उसकी जिम्मेदारी तुम्हारी होगी। एक पर दबाव डाला कि यहीं गड्ढा कर के गाड़ दो।
3. हर एक परिवार के साथ पुलिस ने बहुत बदतमीज़ी की और अभी भी लगातार दबाव बनाए हुए हैं।
4. सभी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कोई न कोई गलती है, ज्यादातर पुलिस का रोल छुपाने के लिए।
5. आठों में से कोई भी CAA NRC विरोधी प्रदर्शन का हिस्सा नहीं था। कोई भैंस का चारा खरीदने जा रहा था तो कोई नमाज़ पढ़ कर निकला था, कोई बीड़ी खरीद रहा था तो कोई चाचा के यहाँ से दूध माँगने गया था, कोई ई रिक्शा चला रहा था तो कोई तंदूर में रोटी सेंकते हुए भगदड़ की आहट सुन कर सड़क पर देखने आया था।

ये घटनाएं 18-20 दिसंबर 2019 को अंजाम दी गईं मगर दहशत का माहौल अब भी बरकरार है। कई FIR दर्ज कराए गए हैं जिनमें हज़ारों की संख्या में “अज्ञात” आरोपी हैं। पुलिस इस का फायदा उठा कर कभी भी लोगों को उठा ले जाती है और तहकीकात कर नाम पर आए दिन घरों में घुस कर सामान तहस नहस करती है, औरतों के हिजाब हटवाती है और बदतमीज़ी करती है। 1 तारीख की शाम को जब जांच दल शामली के दौरे ओर था तभी तीन युवकों को वहाँ डिटेन किया गया। ऐसे हालात में हमें कई महिलाओं ने कहा कि रात हम उनके घर रुकें तो वह सो पाएँगी, डेढ़ महीने से सोई नहीं हैं।

जांच दल ने पाया कि पुलिस के साथ ही बड़ी मात्रा में “पुलिस मित्र” भी थे जो पहले मुखबीर हुआ करते थे और अब बंदूकों से लैस थे और उन्होंने गोलियां बीबी चलाईं। सबसे ज्यादा दहशत मुज़फ्फरनगर में थी, जहाँ लोगों ने हमसे बात करने से मना कर दिया। एक सज्जन ने बताया कि पुलिस के साथ ही मंत्री संजीव बालियान और उसके डेढ़ दो सौ की संख्या में गुंडे भी मारपीट और लूटपाट में लिप्त थे और उन्होंने लोगों को धमकाया है कि किसी से भी बात की तो संगीन ज़ुर्म में फंसा देंगे।

शामली में ऐसे व्यक्ति मिले जिन्हें हिरासत में करंट दे कर टॉर्चर किया गया था, और चमड़े के फट्टे से मारा गया था।
ऐसे कई लोग थे जिन्हें 18 दिसंबर की रात को ही गिरफ्तार कर लिया गया था और उन पर इल्जाम 20 तारिख को धार्मिक भावनाएं भड़काने और जबरन दुकानें बंद करवाने का है।

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