भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) की राज्य इकाई ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए)-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ पीलीभीत में महिलाओं के शांतिपूर्ण धरने को संबोधित करने के कारण पार्टी की केंद्रीय समिति सदस्य व ऐपवा प्रदेश अध्यक्ष कृष्णा अधिकारी समेत अन्य संगठनों के 33 नामजद नेताओं व 100 अज्ञात व्यक्तियों पर पुलिस द्वारा संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज करने की कड़ी निंदा की है।
भाकपा (माले) के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने रविवार को जारी बयान में कहा कि अभी सर्वोच्च न्यायालय तक के वरिष्ठ न्यायाधीश ने असहमति व शांतिपूर्ण प्रतिवाद को लोकतंत्र की जीवंतता और बहुलतावाद का परिचायक बताया, क्योंकि देश का संविधान इसकी इजाजत देता है। आज जब महिलाएं सीएए के खिलाफ शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन कर रही हैं, तो उनकी बात सुनने और उनसे संवाद करने के बजाय मोदी-योगी की सरकार उनका उत्पीड़न कर रही है। लोकतांत्रिक विरोध को कुचलने की नीति के तहत ही पीलीभीत में बीती 13 फरवरी को हुए महिलाओं के धरने के दो दिन बाद पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज किया गया है।
माले राज्य सचिव ने उक्त एफआईआर को निरस्त करने की मांग की। कहा कि जनता अपने लोकतांत्रिक अधिकारों की हिफाजत लड़कर करेगी और भाजपा सरकार के दमन के आगे कतई नहीं झुकेगी।
अरुण कुमार राज्य कार्यालय सचिव (उ.प्र.) द्वारा जारी