एक बार नोटिस, 4 बार स्पष्टीकरण और कई बार कन्फ्यूज़न में ट्रोल हुई बुलंदशहर पुलिस!

आदर्श तिवारी
ख़बर Published On :


यूपी के बुलंदशहर की पुलिस का कन्फ्यूज़न, शुक्रवार दिन भर सोशल मीडिया पर वायरल होता रहा और बुलंदशहर पुलिस ने इतनी सफाईयां दे दी कि अब समझ में नहीं आ रहा है कि सही सफाई कौन सी है। दरअसल बुलंदशहर पुलिस की एक नोटिस सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। जिसके जवाब में पुलिस को अपने ट्विटर अकाउंट पर हर किसी को और हर दो घंटे स्पष्टीकरण देना पड़ा। नोटिस में कोरोना लॉकडाउन के दौरान अपने-अपने घरों को जा रहे पैदल मजदूरों को रोक कर खाना-पानी देने पर एक तुगलकी फ़रमान (नोटिस पर स्पष्टीकरण नहीं आने तक ये तुगलकी फ़रमान ही था) जारी किया था। जिसमें लिखा था कि प्रायः देखने में आ रहा है कि आपके द्वारा पैदल चल रहे मजदूरों को अपने आवास के सामने रोक कर उन्हें खाने-पीने की चीज़ों का लालच दिया जा रहा है। इससे कोविड 19 के नियमों का उल्लंघन हो रहा है। आप सचेत हों, भविष्य में आपके द्वारा इस प्रकार से कोविड 19 के नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर महामारी अधिनियम के अनुसार वैधानिक कार्यवाही की जाएगी।

इस नोटिस में किसी का नाम नहीं था और ज़ाहिर है कि इसको पढ़कर, किसी को भी ये लगेगा कि ये उन सभी लोगों के लिए है – जो प्रवासी श्रमिकों की मदद कर रहे हैं। ऐसे में ये नोटिस जैसे ही सोशल मीडिया पर पहुंचा, इस पर हल्ला मच गया। नोटिस के इंटरनेट पर वायरल होने के बाद और लोगों द्वारा सवाल किये जाने पर बुलंदशहर पुलिस ने स्पष्टीकरण जारी किया। जिसमें कहा गया कि जनपद पुलिस जनसेवा करने वाले समाजसेवियों का निरंतर स्वागत करती है। जिस नोटिस की बात हो रही है उसे भगवान शर्मा उर्फ़ गुड्डू पंडित के लिए ज़ारी किया गया था। जो अपने आवास पर भीड़ एकत्रित कर लॉकडाउन का उल्लंघन कर रहे थे। नोटिस को मूल संदर्भ से अलग कर के प्रसारित किया जा रहा है।

 बुलंदशहर पुलिस ने ही एक और ट्वीट किया जहाँ बताया गया कि उक्त नोटिस को नाम से जारी न करने के कारण चौकी प्रभारी खुर्ज़ा को तत्काल प्रभाव से लाइन हाज़िर करके स्पष्टीकरण मांगा गया है 

ज़ाहिर है कि इस जवाब पर ये सवाल तो उठना ही था कि आख़िर ये नोटिस अगर गुड्डू पंडित के नाम पर था, तो इसमें उनका नाम क्यों नहीं लिखा था? सो ट्विटर से फेसबुक तक ये सवाल भी वायरल होने लगा। इसके बाद इस कहानी में एक और ट्विस्ट आ गया, जब बुलंदशहर पुलिस ने एक और ट्वीट किया कि इस नोटिस को जारी करने वाले थाना प्रभारी को, नोटिस में किसी का नाम न लिखने के कारण लाइन हाज़िर कर दिया गया।

लाइन हाज़िर करने संबंधी ट्वीट, जो अब ट्विटर पर उपलब्ध नहीं है

 

लेकिन मामला यहां ख़त्म नहीं होना था और नहीं हुआ। इस लीपापोती के बीच, बुलंदशहर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने एक वीडियो जारी करके नोटिस के बारे में एक नया बयान दिया। उन्होंने कहा कि जो नोटिस सोशल मीडिया पर फैलायी जा रही है वो ग़लत संदर्भ में फलाई जा रही है। वो ख़ासतौर पर गुड्डू पंडित को जारी की गयी थी। उस नोटिस में जहां गुड्डू पंडित का नाम अंकित था वो हिस्सा नोटिस से हटा कर नोटिस को गलत तरीक़े से प्रसारित किया जा रहा है। और बुलंदशहर पुलिस की छवि ख़राब करने की कोशिश की जा रही है। जबकि पुलिस समाजसेवियों को के प्रयास का स्वागत कर रही है और सहयोग भी कर रही है। जिस प्रकरण में नोटिस जारी की गयी उसके मूल संदर्भ और प्रसंग से अलगकर हटकर नोटिस को प्रसारित कर रहे हैं।  

और इस तरह ये घटना दरअसल भ्रम से भरे तमाशे में तब्दील हो गई। जो मामला केवल पहले स्पष्टीकरण से ख़त्म हो जाना था। वो पुलिस अधीक्षक द्वारा वीडियो बयान जारी करने तक, लगातार बढ़ता चला गया। अब लोगों ने पुलिस पर यू-टर्न लेने का आरोप लगते हुए सवाल किया कि अगर नाम काट के नोटिस फैलायी जाने की बात है तो चौकी इंचार्ज को नाम न अंकित करने की वजह से क्यों लाइनहाजिर किया गया ?

अब बुलंदशहर पुलिस ने इसके जवाब में भी एक नई सफ़ाई दी है कि कोई यू-टर्न नहीं लिया जा रहा है। चौकी इंचार्ज द्वारा ज़ारी नोटिस में भगवान शर्मा उर्फ़ गुड्डू पंडित का नाम नहीं था। जिन पर विगत 4 माह में 4 अभियोग दर्ज़ किये गए हैं। क्योंकि चौकी इंचार्ज वाली नोटिस वायरल की जा रही है इसलिए यदि नोटिस में नाम अंकित होता और भाषा स्पष्ट होती तो पुलिस की जो छवि धूमिल की जा रही है उससे बचा जा सकता था।

 

अब इस सफाई के बाद जैसे कि अभी ये मामला कम विवाद में था, पूर्व विधायक भगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पंडित का बयान भी आ गया। गुड्डू पंडित ने अपने बयान में बुलंदशहर पुलिस पर ही राजनैतिक द्वेष की भावना से काम करने का आरोप लगा दिया। उन्होंने कहा, ‘बुलंदशहर की पुलिस भारतीय जनता पार्टी (BJP) विधायक की तो थाने में सभा करवाती है लेकन उन्‍हें मजदूरों को खाना खिलाने पर नोटिस देती है।’ दरअसल चूंकि पूर्व विधायक का घर उस मुख्य सड़क पर है जिस पर लगातार बड़ी संख्या में प्रवासी कामगार पैदल चलते हुए जा रहे हैं। ऐसे में गुड्डू पंडित इन मजदूरों को भोजन वगैरह वितरित करते हैं, जिसकी तस्वीरें उनके राजनैतिक फेसबुक प्रोफाइल पर साझा की जाती हैं। और पुलिस ने इसी के बाद गुड्डू पंडित के घर पर ये नोटिस चस्‍पा किया।

भगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पंडित (आर्काइव चित्र)

इस तरह पहले बुलंदशहर पुलिस का एक नोटिस, बिना किसी के नाम के जारी हुआ, इस पर विवाद हुआ तो ट्विटर पर स्पष्टीकरण देकर पूर्व विधायक का नाम लिया गया। फिर इस कन्फ्यूज़न को सुधारने के लिए एक ट्वीट की गई कि चौकी प्रभारी को उक्त नोटिस को नाम से न जारी करने पर लाइन हाजिर कर दिया गया। फ़िर पुलिस अधीक्षक वीडियो जारी करके बताते हैं कि नोटिस नाम से जारी की गयी थी लेकिन नोटिस में से नाम हटाकर उसे सोशल मीडिया पर कुछ लोगों द्वारा गलत तरीके से प्रचारित किया जा रहा है। अब लोगों के यू-टर्न वाले सवाल पर फ़िर एक नई सफ़ाई दी गयी है कि चौकी इंचार्ज की नोटिस में नाम नहीं था और वही नोटिस सोशल मीडिया पर वायरल की जा रही है।

अब बुलंदशहर पुलिस को दरअसल ये ख़ुद तय करना और फिर बताना होगा कि नोटिस जारी करने वाले थाना प्रभारी को लाइन हाज़िर किया गया है या नहीं। क्योंकि पुलिस के ही बयान के मुताबिक, इस नोटिस में कोई ग़लती नहीं है। लेकिन पुलिस के ही बयान के मुताबिक, नोटिस में नाम न होना ग़लती थी – तो थाना प्रभारी को लाइन हाज़िर कर दिया गया है। बुलंदशहर पुलिस ने इस मामले को जल्दबाज़ी में रफा-दफा करने में कन्फ़्यूज़न का ऐसा जाल बुन दिया, जिसमें वो अब ख़ुद ही फंस गई है और उसे बाहर निकलने का रास्ता नहीं सूझ रहा। सोशल मीडिया जगह ही ऐसी है और अब शनिवार को हो सकता है कि कोई बुलंदशहर पुलिस से पूछ ले कि थाना प्रभारी लाइन हाज़िर है या नहीं…तो कहीं बुलंदशहर पुलिस का हाल सरोवर पर खड़े, यक्ष के सवालों का उत्तर देते चार पांडवों सा न हो जाए…  


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