सोहराबुद्दीन केस : बॉम्बे HC ने 22 लोगों को भेजा नोटिस, पुनर्विचार याचिका स्वीकार

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सोहराबुद्दीन शेख की कथित फर्जी मुठभेड़ 2005 मामले में विशेष सीबीआई अदालत द्वारा बरी किये गये गुजरात और राजस्थान के जूनियर स्तर के पुलिस अधिकारियों सहित 22 लोगों को बॉम्बे हाईकोर्ट ने नोटिस भेजा है. विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ सोहराबुद्दीन के भाई रुबाबुद्दीन और नायबुद्दीन शेख ने बीते अप्रैल में मुंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर किया था. अपनी याचिका में सोहराबुद्दीन के भाइयों ने विशेष अदालत के फैसले को ख़ारिज करने की मांग की है.

याचिका में लिखा है कि सेशन कोर्ट के स्पेशल जज ने आदेश में जो ऑबजर्वेशन और कनक्लूजन दिए हैं, वे साक्ष्यों से पूरी तरह विरोधाभासी हैं. कोर्ट ने 118 गवाहों के समन ही नहीं किया गया और उनके बयान नहीं हुए. रूबाबुद्दीन ने केस में न्यायाधीशों के बदलने को लेकर लिखा है कि केस के हर मोड़ पर इसमें न्यायाधीश बदलते रहे हैं. जहां पहले जज का पूणे तबादला कर दिया गया, वहीं दूसरे जज की मौत हो गयी थी और जिस जज ने इस केस में सभी आरोपियों को बरी करने का फैसला सुनाया है, वे फैसले के 9 दिन बाद ही सेवानिवृत हो गए.

जस्टिस आईए महंती और जस्टिस एएम बदर की खंडपीठ इन अपीलों पर सुनवाई को तैयार हो गई तथा बरी किए गए लोगों को नोटिस जारी किए. पीठ बाद में इन अपीलों पर अंतिम सुनवाई करेगी.बॉम्बे हाईकोर्ट ने पूरे मामले का रिकॉर्ड विशेष अदालत से मंगवाया.

साल 2005 में सोहराबुद्दीन एक कथित मुठभेड़ में मारे गये थे. वर्ष 2018 में  विशेष अदालत ने गुजरात और राजस्थान के पुलिस अधिकारियों सहित 22 लोगों को इस मामले में बरी कर दिया था.

विशेष सीबीआई अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि अभियोजन यह स्थापित करने में विफल रहा कि सोहराबुद्दीन और अन्य-उसकी पत्नी कौसर बी तथा उसके साथी तुलसी प्रजापति को मारने के लिए कोई साजिश रची गई थी और आरोपियों की इसमें कोई भूमिका थी. इसलिए इनको बरी किया जाता है.

बता दें कि इस मामले भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और अब देश गृहमंत्री अमित शाह आरोपियों में शामिल थे. उन्हें सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा उन्हें 2014 में आरोपमुक्त कर दिया गया था. शाह इन घटनाओं के वक़्त गुजरात के गृह मंत्री थे. मुक़दमे के दौरान अभियोजन पक्ष के करीब 92 गवाह मुकर गए थे.
अदालत ने सीबीआई के आरोपपत्र में नामज़द 38 लोगों में 16 को सबूत के अभाव में आरोपमुक्त कर दिया है. इनमें अमित शाह, राजस्थान के तत्कालीन गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया, गुजरात पुलिस के पूर्व प्रमुख पीसी पांडे और गुजरात पुलिस के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी डीजी वंज़ारा शामिल हैं.

सीबीआई के मुताबिक आतंकवादियों से संबंध रखने वाला कथित गैंगस्टर सोहराबुद्दीन शेख़, उसकी पत्नी कौसर बी. और उसके सहयोगी तुलसीराम प्रजापति को गुजरात पुलिस ने एक बस से उस वक़्त अगवा कर लिया था, जब वे लोग 22 और 23 नवंबर 2005 की दरमियानी रात हैदराबाद से महाराष्ट्र के सांगली जा रहे थे.

सीबीआई के मुताबिक शेख़ की 26 नवंबर 2005 को अहमदाबाद के पास कथित फ़र्ज़ी मुठभेड़ में हत्या कर दी गई. उसकी पत्नी को तीन दिन बाद मार दिया गया था.

 


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