मागी नाव न केवटु आना। कहइ तुम्हार मरमु मैं जाना॥
चरन कमल रज कहुं सबु कहई। मानुष करनि मूरि कछु अहई॥
रामचरितमानस के अयोध्याकांड में राम ने जब केवट को नाव किनारे लाने की आवाज दी, तो निषादराज ऐंठ गए। बोले, मैं तुम्हें ज़रूर पार ले जाऊंगा लेकिन शर्त यह है कि तुम भी बदले में मुझे भवसागर के पार लगाओ। अयोध्या का राजकुमार केवट का निहोरा कर रहा है। केवट की मांग के आगे राम को झुकना पड़ता है। कालांतर में निषादराज केवट रामराज्य का प्रथम नागरिक बन जाता है।
राम के भक्त रामचरिमानस के इस अध्याय को लगता है भूल गए हैं। बनारस में केवट समुदाय यानी नाव चलाने वाले मल्लाह 9 दिनों से अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे हैं। ये वही निषाद हैं जिन्होंने दिल खोलकर राम के नाम पर भारतीय जनता पार्टी को 2014 और बाद में यूपी चुनाव में भर-भर कर वोट दिया था। उन्हें उम्मीद थी कि उनकी जिंदगी में सुधार आएगा, लेकिन सुधार के बदले आ गया विशाल क्रूज़।
शुक्रवार को राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान समाजवादी पार्टी के विशम्भर प्रसाद निषाद ने बनारस में गंगा में संचालित यात्री जहाज (क्रूज) के अपने निर्धारित मार्ग के बजाय नाविकों के लिए निर्धारित मार्ग पर चलने का आरोप लगाते हुए इसके विरोध में एक सप्ताह से चल रहे मल्लाहों के आंदोलन का मुद्दा जोरशोर से उठाया। निषाद ने बताया कि गंगा में क्रूज़ चलाने के कारण नाव चलाकर जीवनयापन करने वाले मल्लाहों के परिवार भुखमरी की कगार पर आ गए हैं। उनकी बात राज्यसभा में आई और चली गई। बनारस का संसद में प्रतिनिधित्व करने वाले इस देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पता नहीं यह जानकारी मिली भी है या नहीं कि वे इस देश में जो रामराज्य लाना चाहते हैं, उसका प्रथम नागरिक उनसे रुष्ट है।
इस बीच जनांदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय ने बनारस के सांसद और प्रधानमंत्री, जल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजकर बनारस के नाविक समाज के पारंपरिक अधिकारों की बहाली व गंगा संरक्षण से जुड़ी कई मांगें उठाई हैं। आज केवटों के हड़ताल का नौंवा दिन है लेकिन अब तक सरकार और प्रशासन से उन्हें किसी तरह की कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है।
बीएचयू के छात्र हरिश्चंद्र बिंद अपने साथियों के साथ अकेले इस आंदोलन को प्रचारित करने और इसके लिए समर्थन जुटाने में लगे हुए हैं। जेएनयू की छात्रा कनकलता यादव ने शुक्रवार को इस संबंध में एक अपील जारी करते हुए लिखा है- सभी विश्वविद्यालय, सिविल सोसाइटी और सामाजिक न्याय/प्रगतिशील धड़े के संगठन और छात्र राजनीति में शामिल लोगों और मीडिया से मेरा अपील के साथ ये प्रस्ताव है कि बनारस में नाविकों के समर्थन में कम से कम एक पर्चा लाएं और आंदोलन को मजबूत करने में जो भी योगदान दे सकते हैं, उसे करें और हो सके तो शामिल भी होइये।
बनारस के मल्लाहों की मांगें निम्न हैं:
- क्रूज की वापसी
- नावों का लाइसेंस पुराने नियम के तहत विनियमित हो
- गोताखोरों की नियुक्ति जल पुलिस में स्थाई रूप से हो
- बाढ के दिनों में नावें बंद न हों
- वाटर स्पोर्ट्स काशी में बंद हो और गंगा तट की जमीनों का पट्टा मल्लाहों के नाम आवंटित हो।