दलितों, मुसलमानों औरतों और युवाओं के बाद अब भाजपा सरकार का हमला झेलने की बारी बच्चों की है। पहले दसवीं और बारहवीं के बच्चों का सीबीएसई परचा लीक हुआ, जिसके चलते दिल्ली की सड़कों पर छोटे-छोटे बच्चों को आंदोलन करने उतरना पड़ा। अब दिल्ली के भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा ने मांग कर डाली है कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिवस 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में न मनाया जाए।
उन्होंने इस मांग के समर्थन में कहा है कि बीजेपी के 60 सांसदों का समर्थन है और वे जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस संबंध में एक ज्ञापन सौंपेंगे।
भाजपा के सत्ता में आने के बाद से ही नाम बदलने का खेल का काम पूरे जोरशोर से किया जा रहा है। कभी किसी संस्था का नाम बदलकर उसको नया बनाने की कोशिश की जा रही है तो कभी किसी योजना को अपना बनाकर पेश करने की. ऐसा करते हुए भाजपा के निशाने पर वे सभी चीजें शामिल हैं जिनमें उसकी भागीदारी नहीं रही है। खासकर नेहरू के युग की निशानियों को मिटाने में भाजपा खास दिलचस्पी लेती रही है।
जवाहर लाल नेहरू हमेशा से भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निशाने पर रहे हैं। अब उनके बाल प्रेम को ही कठघरे में खड़ा किया जा रहा है। भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा की पहली मांग तो यह है कि नेहरू के जन्मदिन 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में नहीं मनाया जाए। अगर बाल दिवस मनाना ही है, तो दूसरी मांग यह है कि उसे 26 दिसंबर को मनाया जाए। इसके पीछे उनकी दलील है कि इस दिन गुरु गोविंद सिंह के चार पुत्रों को मुगलों द्वारा मार दिया गया था। उनका कहना है कि ”चार साहिबजादों” की शहादत से चूंकि बच्चों को प्रेरणा मिलेगी, लिहाजा बाल दिवस 26 दिसंबर को मनाया जाना चाहिए।
वर्मा का प्रस्ताव है कि 14 नवंबर को बाल दिवस के बजाय ‘चाचा दिवस’ के रूप में मनाया जा सकता है।