भोजपुर: प्रोजेक्‍ट NHPC का, शिलान्‍यास पट पर नाम BJP सांसद का, और सड़क नदारद!

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आशुतोष कुमार पांडे

इस लोहे की चादर वाले सीमेंट के बने बोर्ड को देखिये. तस्‍वीर को ज़ूम कर के सफेद बोर्ड पर लिखा पढ़िए. यह सरकारी उपक्रम एनएचपीसी लिमिटेड का बोर्ड है। इसमें आगे लिखा है कि सामाजिक दायित्व गतिविधियों के अंतर्गत कार्य यानी यह एनएचपीसी के सीएसआर (कॉरपोरेट सोशल रेस्‍पॉन्सिबिलिटी) से जुड़ा कोई काम है जिसकी मुनादी के लिए बोर्ड ताना गया है। अब कार्य का नाम देख लीजिए- ‘’काली स्थान से गया राम के दरवाजा होते हुए चंद्रदेव राम के घर तक सड़क का निर्माण’’।

अब इसी तस्वीर में दाईं ओर जा रही सड़क को देख लीजिए. कितना सुन्दर निर्माण हुआ है या हो रहा है। बोर्ड पर कार्य प्रारंभ होने की तिथि दर्ज है 09.12.2018।

इस सफेद बोर्ड के बगल में सीमेंट और ईंट का एक बोर्ड बना हुआ है। उसे पढ़िए। इसमें कार्य समाप्ति की तारीख दर्ज़ की हुई है। लिखा है कि आर.के. सिंह के कर कमलों द्वारा 05 मार्च 2019 को संपन्न। हकीकत यह है कि इस सीमेंट वाले बोर्ड का निर्माण परसों शाम यानी 28 मार्च 2019 को किया गया।

ये दोनों बोर्ड बिहार के भोजपुर जिले के शाहपुर प्रखंड के अंतर्गत खुटहा पंचायत के बंशीपुर गांव मे लगे हैं। बंशीपुर भूमिहार बहुल गांव है। यहां थोड़े बहुत यादव, पासवान, बनिया और रविदासी भी हैं। यहां की आबादी 1800 के करीब है।

बोर्ड में गांव का नाम गलत लिखा गया है। स्थानीय निवासी चंदन का कहना है कि ‘’हमसे पूछ के थोड़े नाम लिखा गया है, जो मन में आया उसका नाम लिख दिया गया। हम कुछ नहीं जानते हैं।‘’

यह काम है आरा के मल्टीटैलेंटेड सांसद सह केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह का। आरा में बड़े क़रीने से एक वर्ग ने यह अफवाह फैलायी है कि आज़ादी के बाद सबसे ज्यादा काम इन्‍हीं सांसद महोदय ने करवाया है जबकि अभी तक इनके जितने भी बोर्ड लगे हैं, सब हाल-फिलहाल के हैं। पिछले छह महीने या नौ महीने के आसपास के हैं। इनमें दर्ज काम अभी प्रारंभ भी नहीं हुआ है। तस्‍वीर में दिख रही ‘सड़क’ इसका गवाह है।

आरके सिंह के समर्थकों का कहना है कि आरा रेलवे के विस्तारीकरण का काम इन्हीं के चलते हुआ है। शहर में रोशनी की व्यवस्था आर.के. सिंह की ही देन है। दस्तावेज़ बताते हैं कि इन सब कार्यों में आर.के. सिंह का कोई योगदान नहीं है बल्कि यह एक आर्थिक वर्ग द्वारा फैलाया गया सुनियोजित झूठ है।

इसी तरह करनामेपुर बाज़ार में दस हज़ार की लागत वाले सोलर प्लेट को 48000 हज़ार लागत का दिखाया गया है।


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