‘ईमानदारी’ के नाम पर चंदा मांग रहे मोदीजी क्‍या 2017-18 में पार्टी को मिले 550 करोड़ का स्रोत बताएंगे?


पहली बार देश में किसी प्रधानमंत्री ने अपने विचारक के नाम पर पार्टी के लिए चंदा मांगा है


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Courtesy India Tribune


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दीनदयाल उपाध्‍याय की पुण्‍य तिथि पर ईमानदारी और स्‍वच्‍छ धन का हवाला देते पार्टी के लिए ट्विटर पर हुए चंदा मांगा है। उन्‍होंने यह नहीं बताया कि पिछले वित्‍त वर्ष में अज्ञात स्रोतों से पार्टी को मिले साढ़े पांच सौ करोड़ के चंदे के मामले में ईमानदारी और पारदर्शिता के सवाल का क्‍या किया जाए।

आज राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के विचारक और भारतीय जन संघ के नेता दीनदयाल उपाध्‍याय की पुण्‍यतिथि है। देश भर में पिछले चार साल के दौरान दीनदयाल उपाध्‍याय के नाम पर योजनाओं से लेकर रेलवे स्‍टेशन तक का नामकरण करने के बाद अब भारतीय जनता पार्टी ने उनकी पुण्‍य तिथि को ‘’समर्पण दिवस’’ के नाम से मनाने का निश्‍चय किया है। इस मौके पर पहली बार देश में किसी प्रधानमंत्री ने अपने विचारक के नाम पर पार्टी के लिए चंदा मांगा है।

नरेंद्र मोदी ने सोमवार सुबह ट्वीट कर के लिखा, ‘’दीनदयालजी सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी पर ज़ोर देते थे। आज उनकी पुण्‍यतिथि पर बीजेपी समर्पण दिवस नाम से एक आंदोलन शुरू कर रही है जो राजनीति में पारदर्शिता और स्‍वच्‍छ धन को आगे बढ़ाने के उद्देश्‍य से है। आप सभी से अनुरोध है कि पार्टी को चंदा दें। नमो ऐप ऐसा करने का आसान माध्‍यम है। मैंने भी अपना योगदान दिया है।‘’

इस ट्वीट के साथ प्रधानमंत्री ने पार्टी को दिए अपने 1000 रुपये के चंदे की पर्ची चिपकायी है। ऐसे चंदे को प्रधानमंत्री ईमानदारी और पारदर्शिता का पर्याय बता रहे हैं, लेकिन उन्‍होंने पिछले कुछ वर्षों में पार्टी को दूसरे स्रोतों से मिले करोड़ों के चंदे का कोई जिक्र नहीं किया है।

ध्‍यान रहे कि पिछले साल नवंबर में इलेक्‍टोरल ट्रस्‍टों से 2017-18 में सभी पार्टियों को मिले अनुदान में बीजेपी को अकेले 86.59 फीसदी धन मिला था जो 167.80 करोड़ का था। इसी तरह 2016-17 में बीजेपी को 290.22 करोड़ या सभी पार्टिययों को इलेक्‍टोरल ट्रस्‍टों से मिले धन का 89.22 फीसदी हिस्‍सा प्राप्‍त हुआ था। देश में फिलहाल 22 पंजीकृत इलेक्‍टोरल ट्रस्‍ट हैं जो विभिन्‍न कारोबारी घरानों और कंपनियों के बनाए हुए हैं।

असोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्‍स की रिपोर्ट के अनुसार छह ऐसे ट्रस्‍ट हैं जिनके द्वारा दिए गए चंदे का कुछ पता नहीं है कि वे कर रियायत के लिए दिए गए या फिर काले धन को सफेद बनाने के लिए दिए गए।

अभी चार दिन पहले एडीआर ने एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें बताया गया था कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने 213.47 करोड़ का चंदा जुटाया। कुल आठ राजनीतिक दलों ने मिलकर इस दौरान 356 करोड़ का चंदा जुटाया था, इसमें बीजेपी की हिस्‍सेदारी अकेले करीब साठ फीसदी रही। इसमें से पार्टी ने 139 करोड़ रुपये कर्नाटक चुनाव पर खर्च किए। प्रचार पर बीजेपी ने कुल 122.68 करोड़ रुपये खर्च किए थे।

बीते 23 जनवरी 2019 को जनसत्‍ता में छपी एक ख़बर एडीआर के हवाले से कहती है कि अज्ञात स्रोतों से प्राप्‍त आय के मामले में सबसे ज्‍यादा हिस्‍सेदारी बीजेपी की है। एडीआर की रिपोर्ट में बताया गया था 2017-18 में बीजेपी, कांग्रेस, भाकपा, बसपा, तृणमूल और एनसीपी को कल 1293 करोड़ का चंदा मिला जिसमें से 53 फीसदी यानी 553 करोड़ रुपये अकेले बीजेपी को मिले, जो कि बीजेपी की कुल आय का 80 फीसदी है।


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