केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने भीमा-कोरेगांव केस को राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआइए) को सौंप दिया है. एक दिन पहले ही महाराष्ट्र सरकार ने साल 2018 में हुए भीमा-कोरेगांव हिंसा की समीक्षा का फैसला लिया था.
Ministry of Home Affairs (MHA) hands over Bhima Koregaon case to NIA (National Investigation Agency). pic.twitter.com/tWeXB27UhS
— ANI (@ANI) January 25, 2020
केंद्र के इस फैसले की महाराष्ट्र सरकार ने निंदा की. फैसले पर एतराज जताते हुए महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि इस बारे में राज्य सरकार से पूछा तक नहीं गया. उन्होंने ट्वीट किया कि जब राज्य सरकार इस मामले की तह में जा रही थी, तब ये फ़ैसला किया गया.
Anil Deshmukh, Maharashtra Home Minister: Central government has handed over the investigation of Bhima-Koregaon case to National Investigation Agency (NIA) without the state government's permission. As the Home Minister of the state, I am raising my objection to it. pic.twitter.com/nbK1Mpom2r
— ANI (@ANI) January 24, 2020
महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने केंद्र की इस फैसले की निंदा करते हुए कहा है कि राज्य सरकार की सहमती के बिना इस तरह का निर्णय लेना गलत है. यह फैसला संविधान के खिलाफ है.
I strongly condemn the decision to transfer the investigation of "Koregaon-Bhima" case to NIA, by the Central Government without any consent of Maharashtra State Government..@PMOIndia@HMOIndia@PawarSpeaks@supriya_sule pic.twitter.com/Ov8PZlSknG
— ANIL DESHMUKH (@AnilDeshmukhNCP) January 24, 2020
केंद्र का यह फैसला महाराष्ट्र सरकार द्वारा भीमा कोरेगांव मामले को लेकर समीक्षा बैठक के एक दिन बाद आया है. गुरुवार को उपमुख्यमंत्री अजित पवार और गृहमंत्री अनिल देशमुख ने भीमा कोरेगांव मामले की अधिकारियों के साथ समीक्षा की थी.
Koregaon-Bhima probe handed over to NIA without Maharashtra government's consent, says home minister Anil Deshmukh
— Press Trust of India (@PTI_News) January 24, 2020
गृहमंत्री अनिल देशमुख ने बताया कि भीमा कोरेगांव मामले की समीक्षा बैठक में कुछ केस वापस लिए जाने और पूरे मामले की एसआईटी द्वारा जांच कराए जाने पर चर्चा हुई थी. अब केंद्र और राज्य में बीच इस मामले को लेकर खींचतान बढ़ सकती है.
बीते साल अगस्त और सितंबर में 10 सामाजिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था.इस मामले में अरुण थॉमस फेरेरिया, रोना जैकब विल्सन, सुधीर प्रल्हाद धवले समेत 19 आरोपी हैं.