महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को एनसीपी नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल जिसमें कैबिनेट सदस्य जयंत पाटिल,छगन भुजबल और लेजिस्लेटर प्रकाश गजभिये शामिल थे, को आश्वासन दिया कि भीमा कोरेगांव हिंसा में दलित एक्टिविस्टों पर दायर मामलों को जल्द से जल्द हटा दिया जायेगा।
Will drop Koregaon Bhima cases: CM Uddhav Thackeray to NCP leaders https://t.co/SpOSINcU6B
— Priyanka Chaturvedi🇮🇳 (@priyankac19) December 4, 2019
सोमवार को नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता धनंजय मुंडे ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में दर्ज सभी केस वापस लेने की मांग की थी। इसको लेकर उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को खत लिखा था, जिसमें कहा गया कि भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा मामले में दर्ज सभी केस वापस लिए जाएं।
Dhananjay Munde, whose party #NCP is a key ally in the Maha Vikas Aghadi government led by #ShivSena, has made the demand in a letter written to Maharashtra Chief Minister Uddhav Thackeray on Monday.https://t.co/yuWkakpwHO
— The Hindu (@the_hindu) December 3, 2019
बता दें कि मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद उद्धव ठाकरे ने नाणार रिफाइनरी परियोजना और आरे मेट्रो कारशेड प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मामले वापस लिए जाने की घोषणा की थी।
Days after Maharashtra CM #UddhavThackeray announced dropping of cases against Nanar refinery and Aarey carshed protestors, NCP MLA #DhananjayMunde has sought withdrawal of cases related to #BhimaKoregaon in Pune.https://t.co/Q4EqE0nHbK
— The New Indian Express (@NewIndianXpress) December 3, 2019
पुणे के भीमा कोरेगांव में 1 जनवरी 2018 को हिंसा भड़क गई थी। यह हिंसा 31 दिसंबर 2017 को एलगार परिषद की तरफ से आयोजित किए गए कार्यक्रम के बाद भड़की थी। इसमें एक युवक की जान चली गई थी। कई घायल हुए थे। सरकारी संपत्ति का भी काफी नुकसान हुआ था।
जिसके बाद दर्जनों मानवाधिकार कार्यकायर्ताओं जिनमें गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज,अरूण फरेरा, वेरनॉन गोंजाल्विस वकील सुरेंद्र गाडलिंग, शोमा सेन, महेश राउत, सुधीर धावले और रोना विल्सन सहित अन्य के खिलाफ पुणे पुलिस ने आईपीसी और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत मामला दर्ज किया था।