भीमा-कोरेगांव केस NIA को देना गलत-शरद पवार, नवलखा और तेलतुंबड़े की याचिका ख़ारिज

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केंद्र सरकार द्वारा भीमा कोरेगांव मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) को सौंपे जाने के फैसले के बाद आज पुणे सत्र न्यायालय ने केस से संबंधित सभी फाइल मुंबई के विशेष एनआइए अदालत में जमा करने का आदेश दिया है साथ ही सभी आरोपियों को 28 फरवरी को मुंबई के एनआइए कोर्ट में हाजिर होने का भी फरमान सुनाया है.

वहीं, भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा और आनंद तेलतुंबड़े की जमानत याचिका बॉम्बे हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है. शुक्रवार को जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति पी. डी. नाइक ने उनकी अग्रिम जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया. हालांकि, अदालत ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए चार हफ्ते का समय दिया है.

इससे पहले पुणे की एक सत्र अदालत ने उनकी याचिकाओं को खारिज कर दिया था.

पुणे के विशेष अवैध गतिविधियां (रोकथाम) कानून कोर्ट से अग्रिम जमानत याचिका 12 नवंबर 2019 को खारिज होने के बाद नवलखा ने हाईकोर्ट से अर्जी देकर गुहार लगाई थी. तेलतुम्बडे ने फरवरी 2019 में प्री-अरेस्ट बेल के लिए याचिका दायर की थी.

पिछले साल दिसंबर में उच्च न्यायालय ने उन्हें अग्रिम जमानत याचिकाओं के निस्तारण की सुनवाई लंबित रहने के कारण गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी थी. पुणे पुलिस मामले की जांच कर रही थी लेकिन केंद्र ने पिछले महीने इसकी जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंप दी.

उधर, भीमा कोरेगांव मामले की जांच पुणे पुलिस से एनआईए को हस्तांतरित करने पर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस में कुछ लोगों का व्यवहार (भीमा कोरेगांव जांच में शामिल) आपत्तिजनक था. मैं चाहता था कि इन अधिकारियों की भूमिका की जांच हो. उन्होंने कहा कि सुबह में पुलिस अधिकारियों के साथ महाराष्ट्र सरकार के मंत्रियों की बैठक हुई थी और दोपहर 3 बजे केंद्र ने मामले को एनआईए को हस्तांतरित करने का आदेश दिया. यह संविधान के अनुसार गलत है, क्योंकि अपराध की जांच राज्य का अधिकार क्षेत्र है.

गौरतलब है कि भीमा कोरेगांव मामले की जांच को केंद्र सरकार ने एनआइए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) को सौंप दिया है. वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र सरकार भीमा कोरेगांव मामले को खत्म करने की तैयारी कर रही थी. इस बीच केंद्र सरकार ने मामले को एनआइए को सौंप दिया.

बता दें कि, केंद्र ने पिछले महीने मामले की जांच पुणे पुलिस से लेकर एनआईए को सौंप दी थी. राज्य की शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस सरकार ने उस समय इस फैसले की आलोचना की थी. पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने केंद्र के इस फैसले की यह कहते हुए आलोचना की थी कि केंद्र सरकार को जांच में दखल देने का पूरा अधिकार है, लेकिन एनआईए को जांच सौंपने से पहले उसे राज्य सरकार को विश्वास में लेना चाहिए था. उन्होंने कहा कि मामला एनआईए को उस समय सौंपा गया जब एनसीपी प्रमुख शरद पवार विशेष जांच दल (एसआईटी) से इसकी जांच की मांग कर रहे थे.


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