बिहार में मोहन भागवत की आरक्षण विरोधी टिप्पणी की जली भाजपा सवर्णों का छाछ भी फूंक-फूंक कर पी रही है
बीते 2 अप्रैल को दलितों के भारत बंद के खिलाफ आज आरक्षण विरोधियों की तरफ से भारत बंद का आह्वान किया गया था। देश के कई राज्यों में भारत बंद का छिटपुट असर देखा गया वरना मोटे तौर पर भारत बंद असफल ही कहा जा सकता है। आरक्षण विरोधियों के आह्वान को पूरे देश में बहुत कम समर्थन मिला। देश के ज्यादातर हिस्सों में रोजमर्रा के कामकाज सामान्य रूप से चालू रहे।
सवर्णों द्वारा बुलाया गया बंद भाजपा की सरकारों और केंद्र सरकार के लिए असहजता की स्थिति पैदा करने वाला था। जानकारों की मानें तो 2019 से पहले भाजपा ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाना चाहती जिससे उसके दलित और पिछड़ा वोटर बिदक जाएं। इसका उदाहरण बिहार विधानसभा चुनाव के वक्त देखा गया था जब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण विरोधी बयान देकर ऐन मौके पर भाजपा की किस्मत बिगाड़ दी थी और भाजपा चुनाव हार गई थी।
#WATCH: Clash between two groups in Bihar's Arrah during protests against caste-based reservations, gunshots heard. pic.twitter.com/s0RUA4KP2B
— ANI (@ANI) April 10, 2018
यही वजह है कि देश के बाकी हिस्सों में तो आज अपेक्षया शांति रही लेकिन बिहार में माहौल बिगड़ा, चूंकि उसका सीधा ठीकरा नीतीश कुमार के सिर फूटना था। बिहार में विरोध प्रदर्शन को देखते हुए एहतियात के तौर पर एजेंसियों की तरफ से अलर्ट जारी किया गया था। इसके बावजूद आरा नगर थाना क्षेत्र के आनंदनगर इलाके में बंद समर्थकों और विरोधियों के बीच हिंसक झड़प हो गई। इस दौरान दोनों गुटों की तरफ से पथराव, आगजनी और फायरिंग हुई। पथराव में डीएसपी की गाड़ी क्षतिग्रस्त हो गई है। आरा जिले में कतीरा, त्रिभुवनी मोड़ सहित कई जगहों पर सड़क जाम किया। आंदोलनकारियों ने रेल यातायात भी बाधित कर दिया। उन्होंने पटना-मुगलसराय रेल खंड पर परिचालन बाधित कर दिया।
Total of 127 people arrested in #Bihar, in connection with protests against caste-based reservations in jobs and education.
— ANI (@ANI) April 10, 2018
वहीं हाजीपुर में केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा जाम में फंस गए। बंद समर्थकों ने केंद्रीय मंत्री से मारपीट भी की। गया जिला में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया, जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। जिसके बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। भीड़ को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले भी छोड़े गए। दर्जनों लोगों को हिरासत में लिया गया।
Bihar: Protesters protesting in Gaya's Manpur against caste-based reservations pelted stones after a clash with the police, several detained. pic.twitter.com/cIlmYZ1G8w
— ANI (@ANI) April 10, 2018
बेगूसराय में बंद समर्थकों और विरोधियों में मारपीट हुई। मौके पर कवरेज कर रहे मीडियाकर्मियों को भी पीटा गया। नगर थाना क्षेत्र के अंबेडकर चौक पर तनाव तब भड़का, जब एक पक्ष ने दूसरे पर बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा तोड़ने की कोशिश का आरोप लगाया।
पिछले बंद में हुई हिंसा से सबक लेते हुए सरकार पूरी तरह से सतर्क थी। मध्य प्रदेश में सरकार ने भिंड, मुरैना, ग्वालियर और भोपाल में कर्फ्यू लगाया जिससे किसी प्रकार की हिंसा को रोका जा सके. गृहमंत्रालय ने कई जिलों में इंटरनेट सेवायें बंद करने की एडवाइजरी जारी की वहीं कई जिलों में धारा 144 का लगाई गई जिससे किसी प्रकार की अनहोनी को रोका जा सके।
The Union #HomeMinistry has issued an advisory to all states to take precautionary measures in view of calls on social media for "#BharatBandh"https://t.co/bRF5ovSIgF
— WION (@WIONews) April 9, 2018
आज का आरक्षण विरोधी बंद केंद्र सरकार और भाजपा शासित राज्यों की गले की हड्डी बन गया था। अगर कहीं कोई हिंसा होती तो इसका सीधा इल्ज़ाम भाजपा सरकारों पर ही लगना था। इसका असर भाजपा के दलित और पिछड़ा वोट पर भी पड़ता। लिहाजा सरकार ने अतिरिक्त मुस्तैदी दिखायी और सवर्णों द्वारा किए गए आह्वान को फ्लॉप कर दिया।
आरक्षण को लेकर भाजपा के डर का इससे बड़ा सबूत और क्या हो सकता है?