बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद ने 4325 करोड़ की बोली लगाकर नृवनस्पति तेल की बड़ी कंपनी रुचि सोया को खरीद लिया है। इस अधिग्रहण के बाद पतंजलि सोया तेल और रुचि सोया के अन्य उत्पादों के मामले में बाजार की बड़ी खिलाड़ी बनकर उभरेगी। रुचि सोया के बड़े उत्पादों में न्यूट्रेला, महाकोश, रुचि स्टार और रुचि गोल्ड हैं।
रुचि सोया कर्ज में डूब चुकी थी। उसने बैंकों को कर्ज नहीं चुकाया था जिसके चलते स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और डीबीएस बैंक ने अपने कर्ज की वसूली के लिए बोली आमंत्रित की थी।
कंपनी पर तमाम देनदारों का 9345 करोड़ रुपया बकाया है। सबसे ज्यादा बकाया स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का 1800 करोड़ का है। इसके अलावा इसके बड़े कर्जदाताओं में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक और डीबीएस हैं।
एफएमसीजी (फास्ट मूविंग उपभोक्ता उत्पाद) के बाजार पर राज करने का सपना तो रामदेव का बहुत पहले से रहा है लेकिन पिछले साल उनका टर्नओवर 10,000 करोड़ पर अटक गया था जबकि उनका लक्ष्य तीन से पांच साल के भीतर टर्नओवर को बीस से पचीस हजार करोड़ पर ले जाना था।
क्रेडिट सुइस रेटिंग एजेंसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक पतंजलि का उपभोक्ता बाजार में दबदबा कम हुआ है। उसके उपभोक्ता सामानों की बिक्री कम हुई है। इसके अलावा उत्पादों का वितरण, अत्यधिक विस्तार आदि कंपनी के लिए संकट का कारण बना हुआ था। इस अधिग्रहण से पतंजलि को बड़ी राहत मिलने की बात कही जा रही है।
फिलहाल अडानी विल्मर के पास देश के वनस्पति तेल बाजार का 19 फीसदी हिस्सा है जबकि रुचि सोया का 14 फीसदी बाजार पर कब्जा है। पतंजलि ने रुचि सोया को खरीद कर अडानी के बाद दूसरी जगह बना ली है।
इकनॉमिक टाइम्स की खबर पर आधारित