मोदी-शाह को आचार संहिता उल्‍लंघन में क्‍लीन चिट दिए जाने को लेकर चुनाव आयोग दो फाड़

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केन्द्रीय चुनाव आयोग के सदस्यों के बीच चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन और क्लीन चिट मामले में मतभेद हो गया है. आयोग की तीन सदस्यीय समिति के एक सदस्य अशोक लवासा आयोग के फैसलों में अलग मत और असंतोष जताने वाले फैसलों को शामिल नहीं किए जाने से नाराज हैं. अपनी इस नाराजगी के कारण लवासा ने 4 मई से ही चुनाव आचार संहिता के मुद्दे पर चर्चा करने वाली सभी बैठकों से खुद को अलग कर लिया है.

लवासा ने यह फैसला अल्पमत के फैसले को रिकॉर्ड नहीं किए जाने के विरोध में लिया. लवासा ने कहा, ‘मीटिंग में जाने का कोई मतलब नहीं है इसलिए दूसरे उपायों पर विचार कर सकता हूं.’

चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने के मामलों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को क्लीनचिट देने वाले आयोग के कई फैसलों पर असंतोष जताते हुए लवासा ने अलग राय रखी थी. कई मामलों में वे चाहते थे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को नोटिस भेजा जाए. इस सम्बन्ध में उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा को पत्र भी लिखा था.

अशोक लवासा ने 4 मई को लिखे अपने पत्र में दावा किया था, ‘जब से अल्पमत को रिकॉर्ड नहीं किया गया तब से लेकर मुझे कमीशन की मीटिंग से दूर रहने के लिए दबाव बनाया गया.’ लवासा ने मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखा था और कहा था, ‘जब से मेरे अल्पमत को रिकॉर्ड नहीं किया गया तब से कमीशन में हुए विचार-विमर्श में मेरी भागीदारी का अब कोई मतलब नहीं है.’

सीईसी सुनील अरोड़ा ने अशोक लवासा की चिट्ठी के जवाब में लिखा है कि वे कभी किसी बहस से नहीं भागे लेकिन हर चीज का एक समय होता है. साथ ही सुनील अरोड़ा ने कहा कि ऐसा पहले भी कई बार हुआ है जब आयोग के तीन सदस्यों के मत किसी मसले पर अलग-अलग रहे और ऐसा होना भी चाहिए.

इस विवाद के सामने आने के बाद कांग्रेस ने भी मोदी सरकार पर एक बार फिर निशाना साधा है. कांग्रेस पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक खबर शेयर करते हुए ट्वीट किया, ‘चुनाव आयोग है या चूक आयोग। लोकतंत्र के लिए एक और काला दिन’.

रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘चुनाव आयोग मोदीजी का पिट्ठू बन चुका है, अशोक लवासाजी की चिट्ठी से साफ है सीईसी और उनके सहयोगी लवासाजी का जो भिन्न ऑपिनियन है मोदीजी और अमित शाह को लेकर उसको भी रिकॉर्ड करने को तैयार नहीं हैं.’

बता दें कि अशोक लवासा के अलावा चुनाव आयोग के दो अन्य सदस्य मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा और चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा हैं. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी चुनाव आयोग को फटकार लगाई थी.आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन से संबंधित कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की ओर से आयोग में दाखिल शिकायतों का जल्द निपटारा नहीं किए जाने की आलोचना भी की थी.

ख़बरों के मुताबिक, लवासा ने 1 अप्रैल को महाराष्ट्र के वर्धा और 6 अप्रैल को नांदेड़ में दिए गए मोदी के भाषण को क्लीनचिट दिए जाने का विरोध किया था. इसके साथ ही 9 अप्रैल को लातूर और चित्रदुर्ग में बालाकोट हवाई हमला और पुलवामा हमले का उल्लेख करते हुए पहली बार वोट देने वालों से की गई अपील को भी क्लीनचिट देने का विरोध किया था.

उन्होंने 9 अप्रैल को नागपुर में दिए गए शाह के भाषण को भी क्लीनचिट देने पर अपने सहयोगियों से असहमति जताई थी. इस भाषण में उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की दूसरी सीट की तुलना पाकिस्तान से की थी. इन सभी मामलों का फैसला 2-1 के बहुमत से हुआ था.


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