आज एक साथ कई राज्यों में हुई गिरफ्तारियां इस बात का संकेत हैं कि केंद्र सरकार जनादेश खोने के भय में है और सदमे में आ गई है।
वकीलों, कवियों, लेखकों, दलित अधिकार एक्टिविस्टों और बुद्धिजीवियों को हास्यास्पद आरोपों पर गिरफ्तार किया जा रहा है जबकि जो लोग दिन की रोशनी में खुलेआम भीड़ का रूप लेकर लोगों को धमका रहे हैं और हत्याएं कर रहे हैं, वे खुलेआम घूम रहे हैं। यह तथ्य इस बात को स्पष्ट करता है कि भारत किस दिशा में जा रहा है।
हत्यारों का सम्मान किया जा रहा है और उन्हें बचाया जा रहा है। कोई भी व्यक्ति जो इंसाफ के पक्ष में बोल रहा है या हिंदू बहुसंख्यकवाद के खिलाफ बोल रहा है उसे अपराधी करार दिया जा रहा है। जो भी हो रहा है वह बेहद खतरनाक है।
आम चुनाव की दौड़ में यह भारतीय संविधान के खिलाफ तख्तापलट करने और हमारी सारी स्वतंत्रताओं को खत्म करने की एक कोशिश है।