इतवार, 5 जनवरी को जेएनयू में सैकड़ों नकाबपोश गुंडों द्वारा लड़कियों के हॉस्टलों में घुसकर हमला किया गया. उससे पहले राजीव चौक मेट्रो स्टेशन के बाहर भी कुछ ऐसी ही घटना हुई.
आर्टिस्ट यूनाइट द्वारा नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ विरोध जताने के लिए कलाकारों और आम नागरिकों ने चाक से सड़क पर लिखकर प्रदर्शन का आह्वान किया था. भारी संख्या में कलाकार और लोग वहां पहुंचकर मेट्रो गेट के बाहर सड़क पर लिख रहे थे- संविधान बचाओ! तभी बीजेपी और आरएसएस के लोग आकर उन्हें पैरों से मिटाने लगे, नारे लगाये- “जिन्ने की औलादों को गोली मारो सालों को, जेएनयू के आतंकवादी वापस जाओ…!”
यह सब कुछ पुलिस की मौजूदगी में होता रहा और पुलिस भी बीजेपी और संघ के लोगों के साथ संविधान बचाओ लिखे हुए को मिटाने लगी, सफाई कर्मी को बुलाकर मिटावाया. तो क्या लोकतंत्र में अब सांकेतिक विरोध के लिए भी जगह नहीं बची है?
आप देखिये इन तस्वीरों को :