समाजवादी जन परिषद के भुवनेश्वर सम्मेलन से ठीक पहले संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और नियमगिरि सुरक्षा समिति के जुझारू नेता लिंगराज आज़ाद की गिरफ्तारी की चौतरफा निंदा हो रही है। गौरतलब है कि ओडिशा पुलिस ने उन्हें कथित तौर पर दो साल पुराने मुकदमों में बुधवार को गिरफ्तार किया है, हालांकि उनके ऊपर पहले से दर्ज दो मामलों के अतिरिक्त आइपीसी की धारा 120बी ताज़ा लगायी गयी है जो आपराधिक षडयंत्र से ताल्लुक रखती है।
लिंगराज आज़ाद नियमगिरि के डोंगरिया कोंढ आदिवासियों के संघर्ष के अगुवा प्रतिनिधि रहे हैं। ओडिशा के रायगढ़ा और कालाहांडी जिलों में फैली नियमगिरि की पहाडि़यों में बसे कोई दस हज़ार दुर्लभ डोंगरिया कोंढ़ आदिवासियों के अस्तित्व पर बहुराष्ट्रीय कंपनी वेदांता के बॉक्साइट खनन के चलते खतरा मंडरा रहा है। इन आदिवासियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुई जनसुनवाई में वेदांता कंपनी को 12-0 से मात दी थी, जिसके बाद खनन का खतरा तो टल गया था लेकिन दो साल पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नियमगिरि सुरक्षा समिति को माओवादी संगठन की श्रेणी में डालकर अपना कॉरपोरेट प्रेम स्पष्ट कर दिया था। इसके बाद से ओडिशा सरकार भी लगातार यहां के आदिवासियों का दमन कर रही है।
लिंगराज आज़ाद इन संघर्षों के अगुवा रहे हैं। यह इलाका किशन पटनायक के संघर्षों का क्षेत्र रहा है जहां के आदिवासियों के बीच समाजवादी जन परिषद की पकड़ बहुत मजबूत है। जब कंपनी के खिलाफ संघर्ष चल रहा था, उस वक्त डोंगरिया आदिवासियों ने लांजीगढ़ स्थित वेदांता के कारखाने के दो गेट पर प्रतीकात्मक रूप से ताला जड़ दिया था। इसी मामले में लिंगराज आज़ाद पर 26/04/2017 को पहला केस आइपीसी की धाराओं 143, 147, 148, 188 और 149/7 सीआरपी एक्ट के अंतर्गत धारा 341 और 120B में कायम किया गया था। दूसरा केस 18 फरवरी को 147, 148, 294, 506, 149 आईपीसी और 27 आर्म्स एक्ट के अंतर्गत दर्ज किया गया है जिसके तहत उन्हें बुधवार को गिरफ्तार किया गया है।
इस गिरफ्तारी की काफी आलोचना हुई है। संगठन के राष्ट्रीय महामंत्री अफलातून ने बताया कि 6 मार्च को दिल्ली में दूसरे रबि रे स्मृति व्याख्यान में जुटे अकादगिकों और बुद्धिजीवियों ने आज़ाद को तुरंत रिहा करने की मांग की है। प्रो. मनोरंजन मोहन्ती ने इस सभा में एक निंदा प्रस्ताव पारित किया जिसे प्रो. आनंद कुमार, प्रफुल्ल सामंतराय, सुमित चक्रवर्ती, डॉ. सुनीलम, अरुण श्रीवास्तव, विजयन एमजे, विजय प्रताप, मधुरेश कुमार सहित दर्जनों लोगों ने समर्थन दिया। जनांदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय (एनएपीएम) ने भी इस गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की है। इस संबंध में अफलातून द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि 11 मार्च को भुवनेश्वर में परिषद का जन मोर्चा निकलने वाला था और उससे ठीक पहले की गइ्र गिरफ्तारी सुनियोजित है।
नियमगिरि आंदोलन के नेता और समाजवादी जन परिषद के पुराने कार्यकर्ता व बुद्विजीवी लिंगराज प्रधान ने मीडियाविजिल को फोन पर देर रात जानकारी दी कि आज़ाद की ज़मानत क लिए भवानीपटना अदालत में आवेदन दे दिया गया है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि गुरुवार को दोपहर होने वाली सुनवाई में उन्हें ज़मानत मिलने की पूरी उम्मीद है।