अरामको पर ड्रोन हमले के बाद कच्‍चे तेल के बाज़ार में आ सकता है तूफ़ान

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सऊदी अरब की सरकारी तेल कंपनी अरामको के फ़ैक्टरियों पर ड्रोन हमले से दुनिया की कुल तेल सप्लाई के पांच फ़ीसदी पर असर पड़ा है. अरामको के दो बड़े ठिकानों पर शनिवार सुबह हुए ड्रोन हमले के बाद कंपनी ने वहां उत्पादन ठप कर दिया है. हमले के बाद कच्चे तेलों के दामों में 71.95 डॉलर प्रति बैरेल हो गया है. इस हमले से बाजार में करीब 60 लाख बैरल तेल की आपूर्ति कम हुई है. यमन के हौदी लड़ाकों ने इन हमलों का ज़िम्मा लिया है. इन हमलों में 10 ड्रोन शामिल थे.

चीन,अमेरिका के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का आयातक है. यह प्रतिदिन 49 लाख 30 हजार बैरल तेल आयात करता है. इराक के बाद सऊदी से भारत को सबसे अधिक मात्रा में कच्चा तेल मिलता है. ऐसे होने से भारतीय बाजार में भी पेट्रोल-डीजल के दाम में भारी उछाल आ सकता है.

इस साल अगस्त में अरामको तब चर्चा में आई थी जब रिलायंस इंडस्ट्री के प्रमुख मुकेश अंबानी ने घोषणा की थी कि सऊदी अरब की यह कंपनी रिलायंस के तेल-गैस एवं रसायन कारोबार के 20 प्रतिशत शेयर खरीदेगी.

ऊर्जा विशेषज्ञों के अनुसार, ईरान और अमेरिका के बीच पहले से जारी तनाव के बीच अरामको पर हमले के बाद खाड़ी क्षेत्र में तनाव और बढ़ जाने की आशंका है. रूस व ओपेक देशों द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती के बीच अरामको पर यह हमला कच्चे तेल के वैश्विक बाजार में तूफान ला सकता है.

वहीं, अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने अरामको के तेल संयत्रों पर हमलों के लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि यमन से हमले का कोई सबूत नहीं है. ईरान ने अब वैश्विक कच्चा तेल आपूर्ति पर अप्रत्याशित हमला किया है.

ईरान और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ने से संकट बढ़ेगा ईरान और अमेरिका के बीच पिछले साल मई से तनाव बढ़ा हुआ है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2015 में हुए एक सौदे से अमेरिका को बाहर कर लिया था. इस सौदे के तहत ईरान के परमाणु कार्यक्रम को नियंत्रित करने के बदले उस पर लगे प्रतिबंधों में कुछ ढील देने का वादा किया गया था. इस हमले के बाद खाड़ी में फिर से युद्ध की संभावनाएं तेज हो गई है.

(स्रोत: ब्‍लूमबर्ग)


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