भगवा RSS के सामने नागपुर में बना ‘नीला’ RSS! रजिस्ट्रेशन आवेदन मंज़ूर!

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1925 में स्थापित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का दावा है कि वह दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है। लेकिन रजिस्ट्रेशन की ज़रूरत उसने आज तक महसूस नहीं की। नतीजा ये है कि अब इसी नाम से एक और संगठन रजिस्ट्रेशन कराने की प्रक्रिया में है। यह संगठन हेडगेवार और गुरु गोलवलकर के विचारों के बिलकुल उलट खड़ा है।
दिलचस्प बात है कि इस संगठन का मुख्यालय भी नागपुर में है। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष जनार्दन मून हैं जिन्होंने रजिस्ट्रेशन के लिए ऑनलाइन एप्लीकेशन दी थी, चूँकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नाम का कोई रजिस्टर्ड संगठन नहीं है, इसलिए उनकी एप्लीकेशन स्वीकृत हो गई। अब इसी स्वीकृति नंबर को लिखकर अपने आयोजन करते हैं।
रजिस्ट्रेशन न होने से कोई भी संगठन कई कानूनी बंदिशो से बच जाता है, लेकिन उसका कार्यव्यापार संदिग्ध हो जाता है। एक समय तो गोलवलकर वाले आरएसएस के पास अपना संविधान भी नहीं था। लेकिन महात्मा गाँधी की हत्या के बाद जब उस पर प्रतिबंध लगा तो सरदार पटेल ने हटाने की शर्त यही रखी थी कि वह अपना संविधान बनाए जिसमें यह दर्ज हो कि वह सिर्फ सांस्कृतिक दायरे में काम करेगा। राजनीति से दूर रहेगा। हालाँकि सरदार पटेल के निधन के बाद, उसने इस दायरे को तोड़ दिया और जनसंघ का गठन कराके राजनीतिक हस्तक्षेप शुरू कर दिया।
बहरहाल, इसी नाम से दूसरे संगठन का अगर रजिस्ट्रेशन हो गया तो उसके लिए परेशानी तो खड़ी हो ही गई है। नया आरएसएस आंबेडकरवादियों का  है। उसने ऑन लाइन रजिस्ट्रेशन की एप्लीकेशन नंबर लगाकर बड़े-बड़े आयोजन शुरू कर दिए हैं। ऐसा ही एक आयोजन कल भी है जिसकी सूचना वरिष्ठ पत्रकार और इंडिया टुडे, हिंदी के पूर्व मैनेजिंग एडिटर दिलीप मंडल ने अपनी फ़ेसबुक दीवार पर दी है–

 

कल मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (रजि.एप्लिकेशन स्वीकृत) के एक कार्यक्रम में शामिल रहूंगा.

चूंकि आरएसएस भारतीय संविधान और कानून को नहीं मानता, इसलिए उसने अपनी संस्था का कभी रजिस्ट्रेशन नही कराया. अरबों रुपए और कई शहरों में इसकी जायदाद है कि लेकिन ये अपने एकाउंट की ऑडिटिंग सरकार को नहीं सौंपता. सरकार के खाते में ये संस्था है ही नहीं.

आरएसएस के नाम से कोई रजिस्टर्ड संस्थान न होने के कारण नागपुर के जनार्दन मून साहेब ने जब इस नाम की संस्था ऑनलाइन रजिस्टर्ड कराई तो अप्लीकेशन एक्सेप्ट हो गया.

अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नाम की जो भी कानूनी संस्था है उसका संचालन जनार्दन मून करते हैं.

मुझे उन्होंने अपने कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया है. नागपुर यानी नागभूमि मेरे लिए हमेशा आदर की जगह है. इसलिए मैंने आने की स्वीकृति दे दी है.

मिलते हैं नागपुर के दोस्तों!

मेरा व्याख्यान का विषय होगा – “राष्ट्र की आंबेडकरवादी अवधारणा बनाम राष्ट्र का कांग्रेसी-संघी विचार”

जो लोग इस बारे में पढ़ना चाहते हैं उनके लिए ग्रंथों की सूचि.

1. बाबा साहेब का संविधान सभा का आखिरी भाषण
2. थॉट्स ऑन पाकिस्तान- डॉ. आंबेडकर
3. इंडियन आइडियोलॉजी- पैरी एंडरसन
4. ह्वाट इज ए नेशन- अर्न्स्ट रेनॉन
5. इमेजिन्ड कम्युनिटीज- बेनेडिक्ट एंडरसन
6. नेशनलिज्म विदाउट ए नेशन- जी. एलोसियस
7. आंबेडकर ऑन नेशनलिज्म- प्रो. प्रदीप अगलवे

 



 


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