गिरीश मालवीय
लोग कहते हैं नोटबन्दी फेल हो गयी लेकिन सच तो यह है कि नोटबन्दी के फेल या पास होने का सवाल ही नही है क्योकि नोटबन्दी ही सबसे बड़ा घोटाला था जो हमारी आंखों के सामने हुआ और हम उसे सही तरह से समझ ही नही पाए
किस तरह से यह घोटाला किया गया अब इसकी परते खुलना शुरू हुई है कल सूचना का अधिकार (आरटीआई) के जरिए मांगी गई जानकारी से पता चला है कि भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह जिस बैंक (एडीसीबी) के निदेशक रहे हैं वह नोटबंदी के दौरान सबसे ज्यादा प्रतिबंधित 500 और 1000 रुपये के नोट जमा करने वाला जिला सहकारी बैंक है अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक (एडीसीबी) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी की घोषणा करने के महज पांच दिन के भीतर 745.59 करोड़ रुपये मूल्य के प्रतिबंधित नोट प्राप्त किए थे।
आपको याद होगा कि 8 नवम्बर 2016 को जब नोटबन्दी की घोषणा की गयी तो पांच दिन तक यानी 14 नवंबर 2016 तक जिला सहकारी बैंकों को लोगों से प्रतिबंधित नोट जमा करने की छूट दी गयी ऐसा जानबूझकर कर किया गया था ताकि बड़े भाजपा के नेताओ के जरिए काला धन रखने वाले नेता और अधिकारी अपना काला धन इन छोटे सहकारी बैंकों में जमा करवा कर उसे सफेद कर सके
हिंदुस्तान टाइम्स अखबार द्वारा की गई एक जांच में यह पाया गया कि पूरे देश के 285 जिला कोऑपरेटिव बैंकों में 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा के एक सप्ताह के अंदर ही उनकी नकद जमा में 6 गुना तक वृद्धि हुई थी
लेकिन असली खेल तो गुजरात के जिला सहकारी बैंकों में खेला गया जहाँ बड़े पैमाने पर मोदी समर्थक नेता अध्यक्ष उपाध्यक्ष जैसे उच्च पदों पर आसीन थे जैसे अमरेली जिला मध्यस्थ सहकारी बैंक लिमिटेड, इस बैंक की नकद जमा में 200 गुना के लगभग वृद्धि इस अवधि में दर्ज की गई इस बैंक के चेयरमैन गुजरात के एक कद्दावर भाजपा नेता दिलीपभाई संघानी थे जो उस वक्त की गुजरात सरकार में कैबिनेट मंत्री थे।
इस कोऑपरेटिव बैंक में सात नवंबर को 1.3 करोड़ की नकदी थी। लेकिन अगले चार दिन के अंदर ही यह जमा राशि लगभग 200 गुना बढ़कर 209.15 करोड़ हो गई जबकि पिछली पूरी तिमाही में बैंक में सबसे अधिक जमा राशि का स्तर कभी 6.2 करोड़ से अधिक नही रहा था
ओर अमित शाह के अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक में महज पांच दिन के भीतर 745.59 करोड़ रुपये मूल्य के प्रतिबंधित नोट का जमा होना दिखाता है अंदर ही अंदर कितना गहरा खेल किया गया था
अहमदाबाद बैंक के बाद सबसे ज्यादा प्रतिबंधित नोट जमा करने वाला सहकारी बैंक राजकोट जिला सहकारी बैंक है जिसके अध्यक्ष गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की सरकार में कैबिनेट मंत्री जयेशभाई विट्ठलभाई रडाड़िया हैं। इस बैंक ने 693.19 करोड़ रुपये मूल्य के प्रतिबंधित नोट जमा लिए थे
अब सबसे कमाल की बात समझिए कि अमरेली, अहमदाबाद और राजकोट के जिला सहकारी बैंकों द्वारा जमा प्राप्ति का यह आंकड़ा गुजरात राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड द्वारा जमा प्राप्त रकम 1.11 करोड़ रुपये से बहुत ज्यादा है
अमित शाह का राजनीतिक कैरियर गुजरात के सहकारी आंदोलन पर कांग्रेस की पकड़ को तोड़ने से ही आगे बढ़ा था। सन 2010 में जब अमित शाह को एशिया के सबसे बड़ा सहकारी बैंक कहे जाने वाले अहमदाबाद डिस्ट्रिक्ट कोआपरेटिव बैंक का अध्यक्ष बनाया गया तो बैंक के हालात काफी ख़राब थे। 36 करोड़ के घाटे का सामना करते हुए बैंक बंद होने के कगार पर था लेकिन अमित शाह के अध्यक्ष बनते ही यह बैंक लाभ दर्शाने लगा, इसी बैंक के चेयरमैन अजय पटेल का नाम सोहराबुद्दी एनकाउंटर मामले में भी आया था इसी बैंक के पूर्व निदेशक यशपाल चूडास्मा ने अमित शाह के बेटे जय शाह की कम्पनी 60 प्रतिशत हिस्सेदारी वाली कम्पनी कुसुम फिनसर्व के पक्ष में अपनी संपत्ति गिरवी रखी थी जिससे जय शाह को ऐसे ही सहकारी बैंक कालूपुर कॉमर्शियल कोऑपरेटिव बैंक स 25 करोड़ के लेटर ऑफ़ क्रेडिट के सहारे करोडों रुपये के वारे न्यारे करने में मदद मिली हैं
मोदी सरकार सिर्फ इन जिला सहकारी बैंको के मुख्यालय शाखा पर लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज की ही जांच कर ले तो ही इस घोटाले का भंडाफोड़ हो सकता है लेकिन हमें यकीन है कि ऐसा कभी किया नही जाएगा।
गिरीश मालवीय आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ हैं।