आकाशवाणी दिल्ली स्टेशन ने अपने एकमात्र लोकप्रिय पब्लिक स्पोकेन कार्यक्रम “आज सुबह” को मंगलवार 3 अप्रैल से बंद कर दिया है और स्वरोजगार प्राप्त प्रस्तुतकर्ताओं को बाहर निकाल दिया।
इस लोकप्रिय पब्लिक स्पोकेन कार्यक्रम की जगह “विज्ञान पत्रिका” से समय भरा गया है जबकी इस कार्यक्रम का अलग चंक है। ये साबित करता है कि आकाशवाणी अपने लोक प्रसारक की भूमिका से अपने आपको अलग कर चुका है। दिल्ली स्टेशन का यही एक कार्यक्रम था जिसमें आम और खास लोगों से बातचीत होती थी, सरकारी योजनाओं को जनता तक पहुंचाया जाता था, समसामयिक विषयों पर साक्षात्कार और समाचार प्रस्तुत किया जाता था।
इस कार्यक्रम के प्रस्तुतकर्ताओं को बदले में ऊंट के मुंह में जीरा बराबर मामूली फीस मिलती थी। यहां तक कि कवरेज के लिए गाड़ी और रिकार्डर तक मुहैया नहीं होता था। बावजूद इसके एंकर/ब्राडकास्टर अपने संसाधनों से इसे सुंदर से सर्वोत्तम बनाने की कोशिश करते रहे।
सवाल उठता है कि आम लोगों की आवाज को प्रसारित करने से ये स्टेशन क्यों बचना चाह रहा है? या यह एक साज़िश है उन अधिकारियों की जो अपने मनपसंद वार्ताकार को बुलाकर “आज सुबह” की फीस से दोगुना तीगुना फीस देने का मन बना चुके हैं?
कार्यक्रम बंद करने की सूचना स्वयं प्रस्तुतकर्ताओं से क्यों छुपाई गई? ये साबित करता है कि कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ है। ”आज सुबह” कार्यक्रम बंद होने की भनक तब लगी जब एंकरों ने फोन कर अपनी ड्यूटी जाननी चाही। अचानक कार्यक्रम बंद हो जाने से सारे प्रसारणकर्मी सकते में हैं। इन्हें स्टेशन ने बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।
दूसरी तरफ रेडियो के श्रोता भी मायूस हैं और निदेशक से मिलने वाले हैं। दिल्ली स्टेशन की निदेशक दिल्ली में नई हैं इसलिए ज्यादा संभावना ये है कि इन्हें गुमराह कर कोई अधिकारी अपने पसंदीदा लोगों को बुलाने के लिए और अपना उल्लू सीधा करने में कामयाब हो गया हो। जो भी हो, आकाशवाणी की लोक प्रसारक की भूमिका अब संदेह के घेरे में है।
ऑल इंडिया रेडियो कैजुअल अनाउंसर्स एंड कम्पीयर्स यूनियन (पंजीकृत) द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति