सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले में हो रही घटिया राजनीति और मीडिया ट्रायल पर महिला संगठन ऐपवा ने गंभीर सवाल उठाए हैं। ऐपवा की राष्ट्रीय अध्यक्ष रति राव, महासचिव मीना तिवारी और सचिव कविता कृष्णन ने संयुक्त बयान जारी कर कहा है कि सुशांत सिंह राजपूत के साथ न्याय हो, और पूरे मामले में सत्य सामने आयें, इसके लिए जरूरी है कि उनके नाम पर चलायी जा रही मीडिया ट्रायल और घटिया राजनीति बंद हो. ऐपवा नेताओं ने कहा कि जिस तरीके से मीडिया रिया की छवि पेश कर रही है वह शर्मनाक और आपराधिक कृत्य है. उन्होंने कहा कि रिया चक्रवर्ती का सार्वजानिक उत्पीडन तत्काल बंद किया जाए.
अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) का बयान
सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु से हर संवेदनशील व्यक्ति मर्माहत है और सुशांत व उसके परिवार को न्याय मिले यह हर बिहारवासी चाहेगा, देश के आम प्रगतिशील लोग चाहेंगे. लेकिन सुशांत सिंह की मृत्यु के लिए रिया चक्रवर्ती दोषी है या नहीं यह अदालत को तय करने दिया जाए. इस मामले में जिस तरीके से मीडिया रिया की छवि पेश कर रही है वह शर्मनाक और आपराधिक कृत्य है. कल जिस तरीके से रिया के साथ मीडिया कर्मियों ने धक्का मुक्की की, उसकी जितनी भी भर्त्सना की जाए कम है. ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्यवाई की जानी चाहिए.
ऐपवा की ओर से मीडिया से भी हम अपील करना चाहते हैं कि कानून व्यवस्था को अपना काम करने दें. हम समाज के आमलोगों से भी अपील करना चाहते हैं कि मीडिया के कुछ लोग जो आज सरकार के चारण बने हुए हैं उनकी मंशा को समझें. देश में बढ़ रही बेरोजगारी, आर्थिक तंगहाली, बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बिहार के प्रवासी मजदूरों, किसानों की बदहाली, बिहार में अपराधियों का बढ़ता मनोबल, महिलाओं पर बलात्कार, अत्याचार आदि मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए इस मुद्दे को इस्तेमाल करने की कोशिश हो रही है.
हमें इस बात पर भी गौर करना चाहिए कि कल ही बिहार भाजपा के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ ने सुशांत सिंह मामले को बिहार विधानसभा चुनाव का मुद्दा बनाने की बात की है. हमें इस बात पर भी गौर करना चाहिए कि जो ताकतें पद्मावत फिल्म के समय सुशांत सिंह के दुश्मन बनी हुई थीं वह आज सुशांत की हितैषी नहीं हो सकती बल्कि वह इस मुद्दे पर अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने में लगी हैं .
किसी महिला को अगर वह दोषी है तब भी अपनी बात कहने का मौका दिया जाना चाहिए और जांच एजेंसियों को निष्पक्ष तरीके से काम करना चाहिए. मीडिया अगर खुद एक अदालत का काम हड़प लें तो यह माहौल को निष्पक्ष नहीं रहने देता है और न्याय और सच का दुश्मन बन जाता है. हम अदालत, राष्ट्रीय महिला आयोग, और न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी से भी अपील करते हैं कि मीडिया जिस तरह महिला विरोधी भाषा और सोच के साथ रिया के बारे में प्रसारण कर रही है उसे सख्ती से रोका जाए.
सुशांत जिस प्रगतिशील विचार का होनहार नौजवान था, शायद उसे भी यह पसंद नहीं होता कि किसी महिला को उनके नाम पर सार्वजनिक रूप से इस तरह जलील किया जाए. इसलिए हम सुशांत के प्रति सम्मान रखने वाले हर व्यक्ति से अपील करते हैं कि वे मीडिया के इस रवैये के प्रति अपनी असहमति जताएं.
Thread: AIPWA statement in English and Hindi, on the bullying of @Tweet2Rhea and #JusticeForSSR pic.twitter.com/KF1zhRHQ8j
— Kavita Krishnan (@kavita_krishnan) September 7, 2020