किसान आंदोलन में शामिल अमरजीत सिंह नामक अधिवक्ता ने रविवार सुबह बहादुरगढ़ में जहर पीकर खुदकुशी कर ली। वे दिल्ली के टिकरी बॉर्डर के पास एक धरना स्थल पर शामिल थे। उन्हें पीजीआई, रोहतक ले जाया गया लेकिन बचाया नहीं जा सका।
अमरजीत सिंह के पास से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने किसानों-मज़दूरों की स्थिति और सरकार के रवैये पर गहरा क्षोभ व्यक्त किया है। इस पर 18 दिसंबर की तारीख पड़ी है। ऐसा लगता है कि वे कई दिन पहले ही ख़ुदकुशी का मन बना चुके थे।
“भारत के आम नागरिकों ने आपको पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता अपने जीवन को सुरक्षित करने और उसे समृद्ध बनाने के लिए दिया था। स्वतंत्रता के बाद आम लोग आपके प्रधानमंत्रित्व काल में एक बेहतर भविष्य की अपेक्षा कर रहे थे। लेकिन मुझे पूरे दुख और पीड़ा के साथ कहना पड़ रहा है कि आप अडानी और अंबानी जैसे विशेष समूह के प्रधानमंत्री बन गए।…..कुछ पूंजीपतियों की इच्छा को पूरा करने के लिए आपने पूरी जनता और कृषि को बर्बाद कर दिया जो भारत की रीढ़ है।
कुछ पूंजपतियों के लिए कृपया किसानों, मजदूरों और आम लोगों की रोजी-रोटी मत छीनिए और उन्हें सल्फर खाने के लिए मजबूर मत कीजिए।
सुनिये लोगों की आवाज ईश्वर की आवाज होती है। वह तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के समर्थन में बलिदान दे रहे हैं।”
टाइप किए इस पत्र के नीचे हस्ताक्षर के साथ हरे रंग की स्याही वाले पेन से 18 दिसंबर की तारीख लिखी है। उन्होंने पंजाबी में हाथ से लिखी कुछ पंक्तियों में देश की न्यायपालिका के प्रति भी निराशा व्यक्त की है।
किसान की मजबूरी है/ मोदी की मगरूरी है/ खून का खेल ज़रूरी है। किसान मज़दूर एकता ज़िंदाबाद!
अमरजीत सिंह पंजाब के फाजिल्का जिले के जलालाबाद बार एसोसिएशन के सदस्य थे। इससे पहले धरने में शामिल हुए संत बाबा राम सिंह ने भी किसानों के आंदोलन पर सरकार के रवैये से नाराज़ होकर गोली मारकर ख़ुदकुशी कर ली।