कोरोना काल: तीन हादसों में घर जाने का ‘गुनाह’ कर रहे 16 मज़दूरों की मौत, 85 घायल

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मीडिया विजिल टीम जिस समय मुज़फ़्फ़रनगर हादसे में 6 प्रवासी श्रमिकों की मौत की ख़बर लिख ही रही थी, उसी समय मध्य प्रदेश के गुना से एक और हादसे की ख़बर आ गई। एक बेहद दर्दनाक हादसे में, एमपी के गुना में एक ट्रक की बस से टक्कर में 8 प्रवासी श्रमिकों की जान चली गई। ये एक ही रात में प्रवासी श्रमिकों की सड़क हादसे में मौत की दूसरी घटना है।

इसी ट्रक में सवार थे यूपी के प्रवासी मज़दूर

अपने-अपने घर पहुंचने की जद्दोजहद में, रोज़गार और जमापूंजी गंवा चुके प्रवासी मज़दूरों की हादसों में जान जाने की ख़बरों का सिलसिला थमता नहीं नज़र आ रहा है। ये ख़बर मध्य प्रदेश से है, जहां गुना में एक यात्री बस और ट्रक में आमने-सामने की भीषण भिड़ंत में 55 मज़दूर घायल हो गए और 8 ने जान गंवा दी। इस ट्रक में 60 से अधिक प्रवासी मज़दूर सवार थे। ये सभी मज़दूर उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं और महाराष्ट्र से यूपी वापस जा रहे थे।

 

इस हादसे की भीषणता इसी बात से समझी जा सकती है कि 8 मज़दूरों की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि बस में कोई भी यात्री सवार नहीं था। यदि बस में यात्री सवार होते तो हादसे की विभीषिका बढ़ सकती थी। इस ट्रक में इसकी क्षमता से कहीं अधिक प्रवासी श्रमिक सवार थे और बताया जा रहा है कि ट्रक चालक ने इन मज़दूरों से यूपी पहुंचाने के मनमाने पैसे वसूल किए थे। ट्रक चालक, दुर्घटना स्थल से ही फरार बताया जा रहा है।

गुना के ज़िला अस्पताल में भर्ती, हादसे में घायल प्रवासी कामगार

मौके पर पहुंची पुलिस ने घायलों को गुना के ज़िला अस्पताल पहुंचाया, जहां उनका इलाज चल रहा है। सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकार, इन मज़दूरों को इनके घर पहुंचाने के इंतज़ाम कर सकती है।

उधर, बिहार में भी दो मज़दूरों की मौत की ख़बर है। हादसा उजियारपुर थाना क्षेत्र के चांदचर में शंकर चौक के पास एनएच 28 पर हुआ। बस और ट्रक में टक्कर हो गयी। बस में महाराष्ट्र से आये प्रवासी मज़दूर सवार थे। सभी कटिहार जा रहे थे। इस टक्कर में दो मज़ृदूरों की मौके पर मौत हो गयी जबकि 30 ज़ख़्मी हो गये।

इस तरह मध्यप्रदेश, यूपी और बिहार में हुए तीन हादसों कुल 16 मज़दूरों की मौत हो गयी और 85 घायल हो गये। घर जाने की कोशिश कर रहे मज़दूरों के हादसे के शिकार होने की ख़बर रोज़ आती है। सरकार ने बीस लाख करोड़ के राहत पैकेज का जो ऐलान किया है, उसमें इन मज़दूरों के लिए क्या है। सवाल ये भी है कि आख़िर क्यों इन प्रवासी श्रमिकों को इनके घर पहुंचाने के व्यापक इंतज़ाम नहीं किए जा रहे हैं? क्यों इनके रोज़गार और आजीविका के लिए कोई बड़ी घोषणा नहीं की जाती? आखिर वो कौन सी उपेक्षा है, जिसने इनको ये फैसला लेने को मजबूर किया कि भले ही पैदल हज़ारों किलोमीटर चलना पड़े – ये शहर में नहीं रुकेंगे…और हां, ये प्रवासी मज़दूर इस ट्रक में अपने परिवारों के साथ सवार थे!


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