प्रधानमंत्री मोदी को कई क्षेत्रों की 49 चर्चित हस्तियों जिनमें फिल्मकार, सामाजिक कार्यकर्ता तथा उद्यमी भी शामिल हैं, ने मिलकर एक चिट्ठी लिखी है जिसमें उन्होंने मॉब लिंचिंग और जय श्रीराम के नारे के दुरुपयोग को लेकर अपनी बातें लिखी हैं. चिट्ठी लिखने में शामिल ऐक्टर और निर्देशक अपर्णा सेन ने कहा कि वह देश को लेकर चिंतित हैं. उन्होंने कहा कि अलग-अलग धर्मों को मानने वाले लोगों से जबरदस्ती ‘जय श्रीराम’ का नारा लगवाया जा रहा है.
49 celebrities write to PM over incidents of lynching, seek 'exemplary punishment' for perpetrators
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— ANI Digital (@ani_digital) July 24, 2019
अपर्णा सेन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि देश में दलितों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हेट क्राइम चरम पर है. उन्होंने कहा, हमने चिट्ठी लिखी है और इस आधार पर हमें देशद्रोही करार देने का अधिकार किसी के पास नहीं है. हम देश के सेक्युलर नागरिक के तौर पर अपनी आवाज उठा रहे हैं.’
Aparna Sen, one of the signatories to open letter to PM Modi: We're anxious about the state our country is in today. All over India people are being lynched, why people of different faiths are being forced to say 'Jai Shri Ram'. pic.twitter.com/Fd2X3wyHjk
— ANI (@ANI) July 24, 2019
उन्होंने कहा कि अकसर अखबार खोलने या टीवी खोलने पर ऐसी खबरें देखने को मिलती हैं कि कहीं मॉब लिंचिंग हो गई. उन्होंने कहा, ‘अकसर देखने को मिलता है कि गाय को ले जाने वालों की लिचिंग हो जाती है.अगर कोई गैरकानूनी तरीके से गाय ले जा रहा है तो उसकी शिकायत होनी चाहिए लेकिन लिंचिंग नहीं होनी चाहिए.मैं हिंदू के तौर पर कहती हूं कि अगर मुझसे जबरदस्ती अल्ला हू अकबर का नारा लगवाया जाए तो शायद अच्छा न लगे, वैसे ही जबरदस्ती जय श्रीराम क्यों कहलवाना ?.’
Aparna Sen: Hate crimes against minorities&dalits are on the rise in the country. No one has the right to brand any of the signatories as anti-nationals. We are raising our voices as secular fabric of our country is being ruined. https://t.co/Vwq645uV3J
— ANI (@ANI) July 24, 2019
खत के मुताबिक, “प्रधानमंत्री जी,
आपने संसद में इस तरह की लिंचिंग की निंदा की थी, लेकिन वह काफी नहीं है.हम मानते हैं कि इस तरह के अपराधों को गैर-ज़मानती घोषित कर दिया जाना चाहिए.”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड में 24-वर्षीय युवक को भीड़ द्वारा मार दिए जाने की जून में संसद में निंदा की थी, और ज़ोर देकर कहा था कि झारखंड हो या पश्चिम बंगाल या केरल, हिंसा की घटनाओं से एक ही तरीके से निपटा जाना चाहिए, और हिंसा फैलाने और उसकी साज़िश रचने वालों सबक मिल जाए कि पूरा मुल्क इस मुद्दे पर एकजुट है.
पत्र में एंटी नेशनल और अर्बन नक्सल का टैग लगाने पर भी चिंता जताई गई है. साथ ही कहा गया है कि देश में एक ऐसा माहौल होना चाहिए जहां असहमति को कुचला नहीं जाना चाहिए.
पत्र में लिखा गया है, “अफसोसनाक तरीके से ‘जय श्री राम’ का नारा उत्तेजक ‘युद्ध की ललकार’ में तब्दील हो गया है, जिसकी वजह से कानून एवं व्यवस्था की समस्याएं पैदा होती है, और उनके नाम से लिंचिंग की कई घटनाएं होती हैं… यह जानना स्तब्ध कर देता है कि धर्म के नाम पर इतनी ज़्यादा हिंसा फैला दी जाती है. यह मध्य युग नहीं है. राम का नाम भारत के बहुसंख्यक समुदाय के बहुत-से लोगों के लिए पवित्र है. देश के सबसे बड़े कार्यपालक होने के नाते आपको राम के नाम को इस तरह अपमानित किए जाने पर रोक लगानी होगी.”
खत में यह भी लिखा गया है, “सत्तासीन दल की आलोचना करने का अर्थ देश की आलोचना करना नहीं होता है.कोई भी सत्तारूढ़ दल सत्ता में रहने के दौरान देश का समानार्थी नहीं होता है.
अपर्णा सेन के अलावा इस पत्र में उनकी अभिनेत्री बेटी कोंकणा सेनशर्मा, निर्देशक मणिरत्नम,फिल्मकार श्याम बेनेगल, केतन मेहता, अनुराग कश्यप,इतिहासकार रामचंद्र गुहा,फिल्मकार अदूर गोपालकृष्णन, सामाजिक कार्यकर्ता अनुराधा कपूर व अदिति बसु एवं लेखक अमित चौधरी ने भी पत्र में हस्ताक्षर किए हैं.