महाराष्ट्र में पूर्व सीएम और विधानसभा में नेता विपक्ष, देवेंद्र फड़नवीस के भतीजे को कोविड19 वैक्सीन लगने की तस्वीर बाहर आते ही हंगामा मच गया है। ये हंगामा मचना भी चाहिए क्योंकि दरअसल ये एक आपराधिक कृत्य है। देवेंद्र फड़नवीस के भतीजे तन्मय फडणवीस की कोरोना वैक्सीन लगवाने की फोटो वायरल हो गई और हंगामा बरपा है क्योंकि तन्मय की उम्र सिर्फ 21 साल के आसपास है।
ऐसे में जबकि देश न केवल वैक्सीन की किल्लत से जूझ रहा है, बल्कि 45 साल से कम उम्र के लोगों का वैक्सीनेशन अभी शुरू ही नहीं हुआ है..तन्मय के वैक्सीन लगवाने पर आम जनता में भी गुस्सा है। क्योंकि न तो तन्मय फ्रंट लाइन कोविड वॉरियर हैं, न ही बुज़ुर्ग और न ही बीमार तो फिर आख़िर किस आधार पर उनको ये वैक्सीन लगी?
ज़ाहिर है कि उनको वैक्सीन दिए जाने का इकलौता आधार – उनकी राजनैतिक हैसियत है। उनके चाचा भाजपा के बड़े नेताओं में से हैं, नेता विपक्ष हैं और पूर्व सीएम हैं।
महाराष्ट्र कांग्रेस ने देवेंद्र फड़नवीस से पूछा है कि उनके भतीजे आरोग्य कर्मचारी या फ्रंटलाइन वर्कर हैं क्या? सोशल मीडिया में महाराष्ट्र कांग्रेस ने एक स्लाइड शेयर की है और ये सवाल किए हैं –
४५ वर्षांवरील लोकांनाच लस देण्याची अट मोदी सरकारने घातलीये. असं असताना फडणवीसांच्या ४५ वर्षांपेक्षा कमी वय असलेल्या पुतण्याला लस मिळतेच कशी?
भाजप नेत्यांच्या कुटुंबीयांचा जीव महत्त्वाचा मग इतर लोक काय किडेमुंग्या आहेत का? त्यांच्या जिवाची काहीच किंमत नाही का! pic.twitter.com/oN49h5xiiC
— Maharashtra Congress (@INCMaharashtra) April 19, 2021
- क्या तन्मय की उम्र 45 साल से ज्यादा है?
- क्या वे कोई फ्रंटलाइन वर्कर हैं?
- क्या वे कोई स्वास्थ्य कार्यकर्ता हैं?
- यदि नहीं, तो उनका टीकाकरण कैसे हुआ?
- क्या BJP के पास रेमेडेसिविर जैसे टीकों का गुप्त भंडार है?
नागपुर के नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट में हुए वैक्सीनेशन की फोटो, तन्मय ने खुद सोशल मीडिया पर शेयर की थी। इसके बाद चारों ओर सवाल उठने लगे और लोगों ने कहा कि तन्मय को वैक्सीन आख़िर किस कोटे के तहत लगाई गई? एक ओटीटी प्लेटफॉर्म की सीरीज़ के नाम पर, इस मामले में सोशल मीडिया पर #ChachaVidhayakHainHamare ने ट्रेंड करना भी शुरू कर दिया है।
हालांकि इस बारे में नागपुर के नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के डॉक्टर्स से बात करने की कोशिश की गई है। वहां के डायरेक्टर शैलेश जोगलेकर के मुताबिक,
“तन्मय को हमने पहला डोज़ नहीं दिया। वे पहला डोज़, मुंबई के सेवन हिल्स अस्पताल में ले चुके थे। ये पहला डोज़, उन्हें किस प्रावधान के तहत दिया गया – ये हमें नहीं पता। हमने उनकी पहली डोज़ का प्रमाण पत्र देखा और इस आधार पर हमको उनको दूसरी डोज़ देनी पड़ी।”
देवेंद्र फड़नवीस पर बीते तीन दिनों में अपनी ताक़त के दुरूपयोग का ये पहला आरोप नहीं है। दो दिन पहले ही, उन पर रेमडेसिवीर इंजेक्शन के अवैध भंडारण और वितरण में शामिल के आरोप भी लगे थे। वे एक निजी फार्मा कंपनी मालिक के पास से अवैध तरीके से इस इंजेक्शन के भंडारण के पकड़े जाने के बाद, उसके पक्ष में पुलिस थाने पहुंच गए थे। इस मामले में भी महाराष्ट्र की राजनीति काफी गर्म है और फड़नवीस की छवि पर गंभीर आंच आई है। ऐसे में ये नया मामला न केवल, भाजपा और फड़नवीस की मुश्किलें बढ़ाएगा – ये आम लोगों के ऊपर वीवीआईपी-वीआईपी और उनके परिजनों की जान को ज़्यादा कीमती मानने का आदर्श उदाहरण भी है।