संसद में बजट सत्र शुरू होने के साथ ही देशभर के बैंक कर्मचारी चले गये हड़ताल पर

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संसद में बजट सत्र के बीच देशभर के बैंक कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर दो दिन के हड़ताल पर उतर चुके हैं. देशव्यापी हड़ताल की वजह से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में नकदी निकासी और जमा समेत विभिन्न सेवाएं प्रभावित हुईं. बैंक कर्मचारियों के संगठन वेतन वृद्धि की मांग को लेकर 31 जनवरी से दो दिन की हड़ताल पर हैं.

यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के आवाहन पर देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया गया है. भारतीय स्टेट बैंक समेत विभिन्न बैंकों ने अपने ग्राहकों को पहले ही सूचित कर दिया है कि हड़ताल की वजह से बैंकिंग सेवाओं पर कुछ असर पड़ सकता है.

यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (यूएफबीयू) ने कहा है कि 31 जनवरी और एक फरवरी को बैंकों में हड़ताल रहेगी. वहीं मार्च में 11,12 और 13 तारीख को भी हड़ताल रहेगी. बैंक यूनियन ने एक अप्रैल से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की भी घोषणा की है.

यूएफबीयू की ओर से की गई 12 सूत्री मांगों में पांच दिवसीय बैंकिंग, समान काम के बदले समान वेतन, रिटायरमेंट लाभ को आयकर से मुक्‍त करना, मूल वेतन में विशेष भत्‍ता का मर्जर, अपडेट पेंशन, पारिवारिक पेंशन में बढ़ोतरी, नए पेंशन स्‍कीम को रद करना, बैंकिंग कारोबार की अवधि एक समान तय करना और अधिकारियों के लिए नियत कार्य अविध तय करना आदि शामिल है.

यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियनों के नेताओं का कहना है कि वेतन पुनर्गठन समझौते को लागू नहीं किया जा रहा है. यह लागू हो जाता तो बैंककर्मियों को आर्थिक मदद मिलती. केंद्र एक के बाद एक बैंकों को मर्ज करते जा रहा है, लेकिन इन बैंकों के बकाया वसूली को लेकर कोई ठोस नीति नहीं है. हजारों करोड़ों का बकाया डूब जाएगा. इसका नुकसान बैंक, उनमें काम करने वाले कर्मचारी और देश को हो रहा है. इसी कारण आर्थिक सुस्ती देखी जा रही है और बैंकों को मर्ज करने से रोजगार के अवसर खत्म हो रहे हैं.


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