एन आई ए कोर्ट ने पांच साल पहले श्रीनगर की जामिआ मस्जिद के बाहर एक पुलिस अफसर की भीड़ के द्वारा हत्या के आरोप में जेल में बंद 17 आरोपियों को ये कहते हुए जमानत दे दी कि उन्हें दोषी मानने का कोई “तर्कशील आधार नहीं है”. 22 जून 2017 को डिप्टी सुपरिटेंडेंट ऑफ़ पुलिस मोहम्मद अयूब पंडित को भीड़ द्वारा इंटेलिजेंस अफसर होने के शक में, हत्या कर दी गई थी। वे जम्मू – कश्मीर पुलिस के सिक्योरिटी विंग में तैनात थे, लेकिन घटना के वक़्त वे सिविल ड्रेस में थे।
मुक़दमे के दौरान अभियोजन के गवाह के मुकर जाने के चलते, एन आई ए कोर्ट के एडिशनल जज एम एस मन्हास ने कहा कि, ” रिकॉर्ड में उपलब्ध सामग्री को देखने पर, और मुकदमे के दौरान गवाहों के दर्ज़ बयानों को देखने के बाद… ये मानने का कोई तर्कसंगत आधार नहीं बचता की चार्ज शीट में लगाए गए आरोपों के दोषी वे लोग हैं जिन्हे आरोपी बनाया गया है।