बुधवार, 28 अगस्त को पटना हाईकोर्ट के जज जस्टिस राकेश कुमार द्वारा पूर्व आईएएस अधिकारी केपी रमैया की अग्रिम जमानत पर सुनवाई करते हुए भ्रष्टाचार को लेकर तल्ख टिप्पणियों और अपने सीनियर और मातहतों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए जाने के बाद 29 अगस्त को पटना उच्च न्यायालय में 11 जजों की पीठ ने जस्टिस राकेश कुमार के फैसले को निरस्त कर दिया. चीफ जस्टिस साही ने एक नोटिस जारी कर कहा कि जस्टिस राकेश कुमार के पास लंबित सभी मामलों को तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाता है.
11-Judge Bench of Patna HC stays order on Corruption in Judicial System by Justice Rakesh Kumarhttps://t.co/mR4KF4waFM
— Bar and Bench (@barandbench) August 29, 2019
जस्टिस राकेश कुमार ने अपने फैसले में पटना उच्च न्यायालय की कार्यप्रणाली पर सवालिया टिप्पणी करते हुए लिखा था- “भ्रष्ट जजों को संरक्षण देता है हाईकोर्ट प्रशासन”.
जस्टिस राकेश कुमार ने आदेश की प्रति सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम, पीएमओ, कानून मंत्रालय और सीबीआई निदेशक को भी भेजने का निर्देश दिया था.
11 जजों के बेंच ने कहा कि न्यायमूर्ति राकेश कुमार का आदेश सुधार के लिए नहीं, बल्कि व्यक्तिगत पूर्वाग्रह का परिणाम है.
Justice Rakesh Kumar Order an outcome of personal prejudice not reform, 11-Judge Bench of Patna High Court [Read Order]https://t.co/iMY4n813Jv
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गुरुवार को पटना हाई कोर्ट के 11 जजों की पीठ ने जस्टिस राकेश कुमार के फैसले को निरस्त करते हुए उसे प्राकृतिक न्याय (नेचरल जस्टिस) के विरुद्ध करार दिया. चीफ जस्टिस एपी शाही की 11 सदस्यीय फुल बेंच ने कहा कि इस आदेश से न्यायपालिका की गरिमा और प्रतिष्ठा गिरी है. संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति से ऐसी अपेक्षा नहीं होती है.
Patna-HC-11-Judge-Orderपीठ ने एकल न्यायाधीश के आदेश की घोर निंदा करते हुए कहा कि यह न्यायिक पदानुक्रम, सत्यनिष्ठा और अदालत के गौरव पर हमले के समान है.
11-Judge Bench of Patna HC Stays Justice Rakesh Kumar's Order On Corruption in Judiciary https://t.co/ZZ1XT5uJvY
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पटना उच्च न्यायालय के वरिष्ठ जज जस्टिस राकेश कुमार बुधवार को पूर्व आईएएस अधिकारी केपी रमैया के मामले की सुनवाई कर रहे थे. इसी दौरान अपने आदेश में सख्त टिप्पणियां करते हुए उन्होंने लिखा- “पटना के जिस एडीजे के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला साबित हुआ, उन्हें बर्खास्त करने की बजाय मामूली सजा दी गई, क्यों? हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस और अन्य जजों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ मेरे विरोध को दरकिनार किया”.
जस्टिस राकेश कुमार ने रमैया की अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज की थी. उन्होंने आश्चर्य जताया कि हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज होने और सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिलने के बावजूद वे खुलेआम घूमते रहे. इतना ही नहीं, वे निचली अदालत से नियमित जमानत लेने में भी कामयाब रहे. उन्होंने इस पूरे प्रकरण की जांच करने का निर्देश पटना के जिला एवं सत्र न्यायाधीश को दिया था. जस्टिस कुमार ने अपने आदेश में कहा कि जब हाईकोर्ट ने रमैया की अग्रिम जमानत खारिज कर दी, उन्हें सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली, तो उन्हें निचली अदालत से बेल कैसे मिल गई?
बता दें कि, सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी केपी रमैया पर बिहार महादलित विकास मिशन से 5 करोड़ रुपये का गबन करने का आरोप है.
जस्टिस राकेश कुमार सिन्हा ने निचली अदालत में हुए स्टिंग ऑपरेशन मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी.
इसके बाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एपी शाही ने जस्टिस राकेश कुमार की सिंगल बेंच की सभी केसों की सुनवाई पर रोक लगा दी. अगले आदेश तक जस्टिस कुमार सिंगल बेंच केसों की सुनवाई नहीं कर सकेंगे.
जस्टिस राकेश कुमार ने पूर्व आईएएस अधिकारी केपी रमैया मामले में सुनवाई करते हुए टिप्पणी करते हुए कहा था:
“सामान्य तौर पर, मैंने ऐसा आदेश नहीं दिया होगा, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से, यह न्यायालय इस तथ्य पर ध्यान दे रहा है कि पटना जजमेंट में, चीजें अपने सही परिप्रेक्ष्य में नहीं जा रही हैं.” “किसी भी घटना में उच्च न्यायालय को एक एफआईआर दर्ज करने और स्वतंत्र जांच एजेंसी द्वारा मामले की जांच करने के लिए बाध्य किया गया था. दुर्भाग्य से, इस अदालत द्वारा ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की गई. इस अदालत के न्यायाधीश होने के नाते, मौखिक रूप से मैंने इस तथ्य को न्यायाधीशों, विशेष रूप से तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश के बीच कुछ कार्रवाई करने के लिए साझा किया था, हालांकि कुछ भी नहीं किया गया था.”
भारत में न्यायपालिका की कार्यप्रणाली पर किसी न्यायाधीश द्वारा यह कोई पहली टिप्पणी नहीं है. 12 जनवरी, 2018 को सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों ने तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) दीपक मिश्रा के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी. इन चारों जजों ने सीजेआई के काम करने के तरीकों पर सवाल उठाए थे. प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल रहे चार में से तीन जज – जस्टिस जे. चेलमेश्वर, जस्टिस कुरियन जोसफ और जस्टिस मदन लोकुर – रिटायर हो चुके हैं, वहीं एक जज (जस्टिस रंजन गोगोई) सीजेआई बन चुके हैं.
बीते जुलाई में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्तियों पर गंभीर सवाल उठाते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के जस्टिस रंगनाथ पांडेय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था. प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्तियों पर ‘परिवारवाद और जातिवाद’ का आरोप लगाया था. जस्टिस पाण्डेय ने लिखा था कि न्यायपालिका दुर्भाग्यवश वंशवाद व जातिवाद से बुरी तरह ग्रस्त है.यहां न्यायाधीशों के परिवार का सदस्य होना ही अगला न्यायाधीश होना सुनिश्चित करता है.
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