दिल्ली: तुर्कमान गेट पर धरनाकारियों पर पुलिसिया कहर

सुशील मानव सुशील मानव
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बुधवार, 15 जनवरी को  दिल्ली के तुर्कमान गेट पर सीएए-एनआरसी-एनपीआर के विरोध में लोग अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए। शाहीन बाग़ और खुरेजी में पहले ही दो अनिश्चितकालीन धरने चल रहे हैं। ऐसे में तुर्कमान गेट पर शुरु हुए तीसरे धरने को केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस बर्दाश्त करने की हालत में नहीं थी। दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए तारीखें घोषित होने के साथ ही आचार-संहिता भी लागू हो गई है। प्रदर्शनकारियों में मुख्यतः छात्र और स्त्रियां शामिल थीं। नतीजतन आज सुबह जब वहां प्रदर्शनकारियों की संख्या कम थी दिल्ली पुलिस ने अर्द्धसैन्य बलों को साथ लेकर तुर्कमान गेट में हो रहे धरने पर हमला कर दिया। और धरने को चारो ओर से घेरकर लोगो को बर्बरतापूर्वक उठा लिया। और श्रीनिवासपुरी थाने ले गई है। लोगो के फोन छीन लिए गए ताकि वो वीडियो, फोटो के जरिए सबूत न इकट्ठा कर सकें।

इसी देश की सुप्रीम कोर्ट ने दो दिन पहले ही कहा है कि लोकतंत्र में आवाम को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का पूरा हक़ है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की बर्बरता पर कमेंट करते हुए ये भी कहा था कि आप पाकिस्तान में नहीं हैं जहां विरोध की मनाही है, बावजूद इसके वहां पर भी विरोध प्रदर्शन होता है। इससे पहले 12 जनवरी से खुरेजी में शुरु हुए अनिश्चितकालीन धरने पर भी कल रात में दिल्ली पुलिस ने हमला किया था और जेएनयू और जामिया की तर्ज पर हमले से पहले इलाके की लाइट बंद करवा दी गई थी।

खुरेजी धरनास्थल से सदफ़ बताती हैं –“मंगलवार की रात ढाई-तीन बजे जब धरना स्थल पर स्त्रियों की संख्या 50-60 के करीब थी, पहले दो पुलिस वाले पहले देखने के लिए। फिर वो देखकर निकल गए तब तीन पुलिस वाले आए। थोड़ी ही देर में बाहर करीब 50-60 पुलिस वाले जुट गए। तीन पुलिस वाले जो हमसे बात करने आए उसमे से एक एसीपी और दूसरा डीसीपी था। उनमें से एक जो खुद को एसीपी बता रहा था वो सिविल ड्रेस में था।

ऑन ड्युटी कोई बिना वर्दी के कैसे हो सकता है। उन्होंने पहले हमें बातों में फँसाया और आते ही हमसे बोला कि आप लोगो का दो दिन प्रोटेस्ट हो गया अब आप लोग यहाँ से डिस्पर्स हो जाइए। हमने उनसे बहुत आराम से बात करने की कोशिश की लेकिन वो इस मंसूबे के साथ आए थे कि हमें किसी तरह से निकाला जाए। वो सिर्फ़ पुलिस नहीं थी। उनके साथ आरएसएस के कुछ लोग भी थे। पुलिस ने हमसे बात करते वक़्त अचानक से लाइट बंद करा दिया। जैसा कि उन्होंने जामिया और जेएनयू में किया था। कुछ भी करने से पहले वो लाइट बंद कर देते हैं। उसके बाद वो शामियाना गिराने की कोशिश किए। उनकी प्लानिंग ये थी कि जब पूरा शामियना हम पर गिरता तो उसके बाद शादय वो लाठीचार्ज करते। हमने वो टेंट हिस्सो में बांधा था। सिंगल हिस्से में नहीं बँधा था, वो तीन हिस्सों में बँधा था।

उन्हें ये नहीं पता था कि तीन हिस्सों में बँधा है। तो उन्होंने जब टेंट गिराने की कोशिश की तो सिर्फ़ एक हिस्सा टूटा बाकी दो हिस्सा सही सलामत खड़ा रहा। पुलिस ने जब हमला किया तो उस समय हमने स्थानीय लोगो को सूचित किया और थोड़ी ही देर में 300 लोकल लोग इकट्ठे हो गए। सब लोगो ने अपने मोबाइल की लाइट जलाकर पुलिस के अँधेरे को दूर किया। कई लोग पुलिस की हरकतों की फेसबुक लाइव करने लगे दिल्ली पुलिस का मंसूबा फेल हो गया तो वो चुपचाप निकल लिए।”

सदफ़ बताती हैं- “ पहले दिन यानि सोमवार की शाम को दिल्ली पुलिस ने धरने पर बैठी स्त्रियों के साथ बदतमीजी की। दूसरे दिन मंगलवार की सुबह भी वो स्त्रियों को धरने से उठाने के लिए आए और धरना स्थल पर परेड किए। फिर सामने से बैरीकेंडिंग लगाकर रास्ता अवरुद्ध कर दिया कि बाहर के लोग यहां न आ सकें। उन्होंने लड़कों पुरुषों पर हमले भी किए वो तो स्त्रियों ने ह्युमन चैन बनाकर पुरुषों को पुलिस की मार से बचाया। मंगलवार की सुबह स्थिति बहुत तनावपूर्ण थी। लेकिन खुरेजी की स्त्रियों ने भी ठान लिया है कि जब तक सीएए वापिस नहीं होता है तब तक हम धरने से नहीं उठेंगे।”


 


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